इस शुभ योग में रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, राशि अनुसार उपाय करने से चमकेगा भाग्य!

सनातन धर्म में सभी एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। हर महीने दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं और इस तरह वर्ष में 24 एकादशी की तिथियां पड़ती है। परन्तु जिस वर्ष अधिक मास होता है, उस वर्ष में 26 एकादशी तिथियां आती है। इन सभी में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि सभी एकादशी में केवल निर्जला एकादशी का व्रत रखने से श्रद्धालुओं को वर्ष के सभी एकादशियों के बराबर फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन व्रत होता है क्योंकि इस व्रत में द्वादशी तक पानी की एक बूंद भी नहीं ग्रहण की जाती है इसलिए इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। साथ ही, इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि वेदव्यास के अनुसार, भीमसेन ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत को विधि-विधान से करने वालों को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

ख़ास बात यह है कि इस साल निर्जला एकादशी पर बहुत अधिक शुभ योग का निर्माण हो रहा है और इस योग की वजह से इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस साल निर्जला एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, इस दिन बनने वाले शुभ योग व इस दिन राशि अनुसार करने वाले आसान उपायों के बारे में हम यहां चर्चा करेंगे।

निर्जला एकादशी 2024: तिथि व समय

निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को रखा जाता है। इस बार यह तिथि 18 जून 2024 को पड़ रही है।

निर्जला एकादशी तिथि: मंगलवार, 18 जून 2024

एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 जून 2024 की सुबह 04 बजकर 45 मिनट से 

एकादशी तिथि समाप्त: 18 जून 2024 की सुबह 06 बजकर 26 मिनट तक

निर्जला एकादशी पारण मुहूर्त : 19 जून 2024 की सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 47 मिनट

शुभ योग

निर्जला एकादशी के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं और पारण वाले दिन 5 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। सबसे पहले बात करें निर्जला एकादशी के दिन बन रहे शुभ योगों की तो, इस दिन त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र का शुभ योग बनेगा। 

समय की बात करें तो, 

त्रिपुष्कर योग- एकादशी के दिन शाम 03:56 से अगले दिन सुबह 05:24 तक रहेगा। 

वहीं शिव योग एकादशी वाले दिन प्रात:काल से लेकर रात 09 बजकर 39 मिनट तक है।

स्वाति नक्षत्र एकादशी वाले दिन प्रात:काल से प्रारंभ होकर शाम 03:56 तक रहने वाला है। 

ये दोनों ही योग और नक्षत्र किसी भी नए काम की शुभ शुरुआत के लिए बेहद ही शुभ माने गए हैं। वहीं कहा जाता है कि त्रिपुष्कर योग में जो भी काम किया जाए उससे व्यक्ति को तीन गुना फल की प्राप्ति होती है। 

निर्जला एकादशी के दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है। शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते हैं, जो बहुत ही शुभ योगों में एक माना जाता है। जैसा कि नाम से प्रतीत हो रहा है कि शिव योग भगवान शिव पर आधारित है। इस दौरान भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करना और जलाभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस योग में किए हर कार्य सफल होते हैं और इसके परिणाम सकारात्मक मिलते हैं।

इसके बाद पारण वाले दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो, इस दिन यानि 19 जून को सिद्ध योग प्रात:काल से रात 09 बजकर 12 मिनट तक रहने वाला है, विशाखा नक्षत्र प्रात:काल से शाम 05:23 तक रहने वाला है। .

पारण के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। ये तीनों शुभ योग 19 जून को शाम 05:23 से अगले दिन यानि 20 जून को सुबह 05:24 तक रहने वाले हैं। 

क्या ये जानते हैं आप? इन महिलाओं को भूलकर भी नहीं करना चाहिए निर्जला एकादशी का व्रत: दरअसल निर्जला एकादशी व्रत का संबंध गदाधारी भीम से जोड़कर भी देखा जाता है इसलिए षष्टरोन के अनुसार गर्भवती महिलाओं, अधिक उम्र की महिलाओं, बीमार महिलाओं, आदि को ये व्रत नहीं रखना चाहिए। इसका एक कारण ये भी है कि ये व्रत बहुत ही कठिन होता है ऐसे में यदि कोई गर्भवती महिला या उम्रदराज़ महिला या बीमार महिला इस व्रत को करती है तो उन्हें परेशानी हो सकती है।

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

निर्जला एकादशी का महत्व

शास्त्रों में हर एक एकादशी के व्रत का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि यह एकादशी का व्रत अगर कोई भी व्यक्ति करता है तो उसका फल उसे 24 एकादशी व्रत करने के बराबर मिलता है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। निर्जला एकादशी जल के महत्व जल पिलाने और दान करने की परंपरा होती है।

इस दिन जल से भरे कलश का दान करने वाले श्रद्धालुओं को साल भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। अगर आप साल भर की एकादशी करते है और गलती से किसी एकादशी में अन्न खा लेते है तो इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों का दोष भी समाप्त हो जाता है। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए क्योंकि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को बहुत ही ज्यादा प्रिय होता है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

निर्जला एकादशी की पूजा विधि

  • निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत हो जाए। फिर इसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
  • निर्जला एकादशी के दिन एक चौकी पर साफ पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। 
  • भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए एकादशी व्रत के दिन पूजा सामग्री में पीले पुष्प, वस्त्र, पीला फल जैसे आम या केला और साथ में कलश व आम के पत्ते जरूर रखें।
  • इसके अलावा, पूजा की सामग्री में पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पीला चंदन, अक्षत, पानी से भरा नारियल, पंचमेवा, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, मिष्ठान, मौली आदि जरूर रखें क्योंकि इन चीज़ों के प्रति पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • सनातन धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है और भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत अवश्य चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पंचामृत का भोग लगाने से और उसे प्रसाद के रूप में बांटने व उसे ग्रहण करने से साधक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
  • भगवान विष्णु की पूजा के वक्त चढ़ाने वाले भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें तुलसी सर्वाधिक प्रिय है इसलिए पूजा के समय भोग में और पंचामृत में तुलसी जरूर डालें। इससे न केवल इन चीजों की शुद्धि होती है, बल्कि भगवान विष्णु का विशेष कृपा भी प्राप्त होगी।
  • इस दिन पूजा के दौरान कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही, इसके बाद ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

निर्जला एकादशी पर न करें ये काम

  • यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो आपको इस दिन पानी पीने से बचना चाहिए। और अगर आपके अंदर व्रत रखने की क्षमता है तब ही व्रत रखें।
  • विष्णु पुराण के अनुसार, निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को पान के पत्ते अर्पित किए जाते हैं इसलिए इस दिन पान खाने से बचना चाहिए। अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तब भी नपान न खाएं।
  • निर्जला एकादशी सहित किसी भी एकादशी और यहां तक कि द्वादशी यानी अगले  दिन तक भी तामसिक भोजन जैसे कि मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • निर्जला एकादशी के दिन देर तक न सोना अच्छा नहीं माना जाता है और इस दिन काले वस्त्र व सुहागन औरतों को सफेद वस्त्र पहनें से बचना चाहिए।
  • इस दिन दाढ़ी, बाल और नाखून, कटवाने से बचना चाहिए।
  • निर्जला एकादशी के दिन चावल और बैंगन का सेवन भी वर्जित माना जाता है।

निर्जला एकादशी पर पढ़ें ये कथा

पौराणिक क​था के अनुसार, एक बार भीमसेन व्यास जी से बोले कि हे पितामह! भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सभी मुझसे एकादशी का व्रत करने को कहते हैं। महाराज मैं भगवान की भक्ति, पूजा पाठ, दान आदि कर सकता हूं लेकिन भोजन के बिना मैं एक पल भी जीवित नहीं रह सकता हूं। इस पर व्यास जी ने कहा कि हे भीमसेन! यदि तुम नरक को बुरा और स्वर्ग को अच्छा समझते हो तो प्रत्येक मास की दोनों एकादशियों को अन्न मत खाया करो। इस पर भीम बोले हे पितामह! मैं तो पहले ही आपसे ये बात बता चुका हूं कि मैं भूख नहीं बर्दाश्त कर कर सकता। यदि वर्षभर में कोई एक ही व्रत ऐसा हो तो रख सकता हूं पर हर महीने मेरे लिए मुश्किल होगा क्योंकि मेरे पेट में वृक नाम की अग्नि है जिसके चलते मैं भूख बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं। अत: आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार ही करना पड़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इस पर व्यास जी ने कहा कि बड़े-बड़े ऋषियों ने बहुत शास्त्र आदि बनाए हैं जिनसे थोड़े परिश्रम से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार शास्त्रों में दोनों पक्षों की एका‍दशी का व्रत मुक्ति के लिए रखा जाता है। ऐसा सुनकर भीमसेन घबरा गए और परेशान हो गए और व्यास जी से दूसरा कोई उपाय बताने की विनती करने लगे।

ऐसा सुनकर व्यास जी कहने लगे कि वृषभ और मिथुन की संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी में अन्न तो दूर जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। तुम उस एकादशी का व्रत करो। यह एकादशी तुम्हें सभी एकादशी का फल प्रदान करेगी। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए और न ही जल ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि भोजन करने से व्रत टूट जाता है। व्यास जी ने इस व्रत के बारे में जैसे ही भीमसेन को बताया वे खुश हो गए और इस एकादशी का व्रत करने लगे। जिसके बाद उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति हुई।

निर्जला एकादशी के दिन करें राशि अनुसार उपाय

मेष राशि

मेष राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु को लाल रंग के  फूल अर्पित करने चाहिए। इस राशि के लोगों को इस दिन सात प्रकार के अनाज का भी दान करना चाहिए।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर सफेद अनाज जैसे- चावल, सफेद चने आदि का दान करना चाहिए और इसके साथ ही इस दिन क्षमता अनुसार चीनी भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर पीले रंग के वस्‍त्र भगवान विष्‍णु को अर्पित करना चाहिए। उसके साथ ही, तुलसी चढ़ी खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन आपको गाय को हरि व पत्तेदार सब्जी खिलाना चाहिए और किसी जरूरतमंद को मूंग की दाल का दान करना चाहिए।

कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी को खीर का भोग बनाकर अर्पित करना चाहिए। इसका भोग लगाकर सबको प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए। ऐसा करने से आपका तनाव कम हो सकता है और घर पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन माता लक्ष्मी को लाला रंगे के वस्त्र अर्पित करने चाहिए और खुद इस दिन पीले कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्रीहरि को शहद और गुड़ का भोग लगाएं। इससे आर्थिक जीवन में आ रही समस्या दूर होगी।

कन्या राशि

कन्‍या राशि के जातकों को निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु को पीले रंग की मिठाई और शुद्ध केसर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही, तुलसी के पत्ते भी भोग में डालना चाहिए। माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है।

तुला राशि

तुला राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के पर्व पर सत्तू का शरबत दान करना चाहिए। इसके साथ भगवान विष्‍णु को भोग में केसर वाला दूध अर्पित करें। ऐसा करने से आपका जीवन में प्रेम जीवन सुखमय होता है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन गुड़ और चने का दान करना चाहिए और इसके साथ ही भगवान चने या जौ का सत्‍तू अर्पित करें। इसके अलावा इस दिन राहगीरों को जल या शरबत पिलाएं। ऐसा करने से आपको करियर में सफलता प्राप्त होगी।

धनु राशि

धनु राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्‍णु को पीले वस्‍त्र और चंदन अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्‍णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही धनु राशि के लोगों के लिए निर्जला एकादशी पर पीले फलों का दान करना भी फलदायी साबित हो सकता है।

मकर राशि

मकर राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्‍णु को दही और केसर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और अविवाहित जातकों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लोगों को निर्जला एकादशी पीपल के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए और सात या 11 बार उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन से हर प्रकार के कष्‍ट दूर होते हैं।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लोगों को निर्जला एकादशी के पर्व पर भगवान को नारियल और मिश्री अर्पित करनी चाहिए। इसके साथ ही जरूरतमंद व गरीबों को वस्त्र व भोजन देना चाहिए।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. साल 2024 में निर्जला एकादशी कब रखा जाएगा?

उत्तर 1. इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024 को रखा जाएगा।

प्रश्न 2. निर्जला एकादशी में कौन सा योग बन रहा है?

उत्तर 2. इस साल निर्जला एकादशी में बेहद शुभ योग यानी शिव योग का निर्माण हो रहा है।

प्रश्न 3. निर्जला एकादशी के नियम क्या है?

उत्तर 3. निर्जला एकादशी का सबसे बड़ा नियम है कि इस दिन किसी भी तरह के तरल पदार्थ का सेवन न करें। हालांकि, बीमार होने पर यह नियम लागू नहीं होता है।

प्रश्न 4. निर्जला एकादशी में पानी कब किया जाता है?

उत्तर 4. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी से पहले तड़के सुबह 3 बजे से 4:30 बजे के बीच जल ग्रहण कर सकते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.