कंस वध 2019: जानें भगवान श्री कृष्ण ने कब और कैसे किया था कंस का अंत

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इसी महत्वपूर्ण दिन को मनाने के लिए प्रति वर्ष कार्तिक माह में पड़ने वाली शुक्ल की एकादशी तिथि को कंस वध का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 7 नवंबर को पड़ रहा है। आइए इस ख़बर के माध्यम से जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कैसे किया था।

भगवान श्री कृष्ण ने ऐसे किया था पापी कंस का वध

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब कंस वध किया था तो यह दृश्य बड़ा ही रोचक था। जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है कि आकाशवाणी के मुताबिक कंस का वध उसकी बहन देवकी के आठवीं संतान से होना था और वह आठवीं संतान श्रीकृष्ण ही थे। हालाँकि कृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई चालें चलीं। लेकिन उसमें वह हर बार असफल रहा।

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पहले कंस के दो विशालकाय पहलवानों का किया था वध

कहा जाता है कि कंस का वध करने से पहले नंद गोपाल श्रीकृष्ण ने उसके दो पहलवानों मुष्ठिक और चाणूर को मारा था। ये दोनों पहलवान कंस की सेना में बेहद विशाल और शक्तिशाली थे। जब भगवान श्री कृष्ण कंस की सभागार में पहुँचे थे तो इन्हीं पहलवानों ने श्रीकृष्ण और उनके भ्राता बलराम को चुनौती दी थी। कहते हैं कि मुष्ठिक बलराम से भिड़ गया और चाणूर का युद्ध श्रीकृष्ण से हुआ। भगवान कृष्ण और बलराम ने इन दोनों पहलवानों का अंत कर दिया। 

जब कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए उठाई तलवार

अपने दोनों विशालकाय पहलवानों की मौत को देखकर कंस भयभीत हो गया। इस बीच कंस के खेमे के अन्य पहलवान भी दुम दबाकर भाग गए। कंस ने घबराहट में श्रीकृष्ण को मारने के लिए तलवार निकाल ली। उधर, भगवान श्री कृष्ण के पास कोई शस्त्र नहीं था।

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इस तरह से हुआ कंस का अंत

जैसे ही कंस श्रीकृष्ण को मारने के लिए आए उन्होंने तलवार के वार से बचते हुए कंस के केशों को पकड़ लिया और उसे जमीन पर गिरा दिया। इस बीच कंस कुछ समझ पाता इससे पहले ही श्रीकृष्ण उसकी छाती पर कूदकर चढ़कर गए। इस तरह से जैसे कृष्ण उनकी छाती पर चढ़े कंस के प्राण निकल गए और उसके आतंकों से लोगों को मुक्ति मिल गई। भगवान श्रीकृष्ण की कई लीलाओं में से यह एक है।