भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत हर माह में दो बार आता है और इस तरह साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती है। सनातन धर्म सभी एकादशी का बहुत अधिक महत्व है लेकिन हर वर्ष आश्विन माह में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पूर्व जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, व्रत करने और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
ख़ास बात यह है कि इस साल इंदिरा एकादशी बहुत अधिक शुभ योगों में मनाई जाएगी, जिसके चलते इन दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इंदिरा एकादशी 2024 का व्रत कब रखा जाएगा और इस दिन बनने वाले शुभ योगों के बारे में।
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इंदिरा एकादशी 2024: तिथि व समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि इस साल 28 सितंबर 2024 शनिवार के दिन पड़ रही है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त के बारे में।
एकादशी तिथि प्रारंभ: शुक्रवार, 27 सितंबर 2024 की दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: शनिवार, 28 सितंबर 2024 की दोपहर 02 बजकर 52 मिनट तक।
इंदिरा एकादशी व्रत मुहूर्त के लिए
इंदिरा एकादशी पारण मुहूर्त : 29 सितंबर की सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 23 मिनट
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इंदिरा एकादशी पर शुभ योग
इंदिरा एकादशी पर बेहद शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन शिव योग व सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। यह दोनों योग बेहद शुभ माने गए हैं। शिव योग की बात करें तो इस योग में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से हर समस्या का समाधान मिलता है। साथ ही, साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं सिद्धि योग जिसे सिद्ध योग के नाम से भी जाना जाता है, वैदिक ज्योतिष में सबसे शुभ और शक्तिशाली योगों में से एक है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस योग के दौरान होने वाली कोई भी घटना बहुत शुभ परिणाम देती है।
इंदिरा एकादशी का महत्व
इंदिरा एकादशी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आती है और यह महीना सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से हैं। ऐसा माना जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। हिंदू पुराणों के अनुसार, एकमात्र इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सदियों की तपस्या, कन्यादान और अन्य पुण्यों का बराबर फल मिलता है इसलिए इस व्रत को करना बहुत अधिक शुभ माना जाता है। इस व्रत के बारे में ये भी कहा जाता है कि इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति के पितरों को नरक लोक से मुक्ति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त कर भगवान विष्णु के चरण में चले जाते हैं।
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इंदिरा एकादशी पूजा विधि
- इंदिरा एकादशी यानी आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत्त हो जाए।
- फिर स्नान आदि करके पूरे घर पर गंगाजल का छिड़काव करें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को सर्वप्रथम जल का अर्घ्य दें।
- इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- इसके पश्चात, पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार कर भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें।
- भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। ऐसे में, उन्हें पूजा में पीले रंग का फल और फूल अवश्य अर्पित करें।
- पूजा के दौरान भगवान विष्णु चालीसा का पाठ करें और मंत्र का जाप अवश्य करें।
- अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें और साथ ही, कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
- दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती-अर्चना कर फलाहार करें।
- अगले दिन पूजा पाठ के पश्चात पारण मुहूर्त पर व्रत खोलें।
इंदिरा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग के समय महिष्मती नगरी में इंद्रसेन नामक एक राजा राज्य करता था। राजा के माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका था। एक समय रात्रि में राजा को सपने में दिखाई दिया कि, उनके माता-पिता नर्क में रह रहे हैं और बहुत कष्ट में हैं। राजा घबरा कर तुरंत नींद से जग गए। नींद खुलते ही राजा अपने पितरों की दुर्दशा से बहुत अधिक चिंतित हो गए। वे अपने पितरों को यम यातना से मुक्ति दिलाने के उपाय खोजने लगे। इन समस्याओं से हल पाने के लिए राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और मंत्रियों को अपने राजमहल में बुलाया और उन्हें अपने सपने के बारे में बताया और उनसे हल बताने के लिए कहा।
तभी ब्राह्मणों ने कहा कि- “हे राजन यदि आप सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करेंगे तो आपके पितरों को जरूर मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दिन आप भगवान शालिग्राम की पूजा करें और तुलसी आदि चढ़ाकर ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही, अपनी क्षमता अनुसार दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे आपके माता-पिता को नरक लोक से मुक्ति मिलेगी और स्वर्ग चले जाएंगे।” राजा ने ब्राह्मणों की बात मानकर सपत्नीक विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया। रात्रि में जब वे सो रहे थे, तभी भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा- “राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है।” इसके बाद से ही इंदिरा एकादशी के व्रत की महत्ता बढ़ गई और इस व्रत को करने से पितरों को नरक लोक से मुक्ति मिल जाती है।
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इंदिरा एकादशी के दिन करें ये आसान उपाय, दूर होंगे सारे कष्ट
इंदिरा एकादशी में कुछ आसान उपायों को आजमाकर जगत पालन विष्णु जी को प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही, पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त किया जा सकता है। आइए एक नज़र डालते हैं इन उपायों में।
संतान प्राप्ति के लिए
संतान प्राप्ति में यदि बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो इंदिरा एकादशी के दिन दोपहर में पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान पीपल के वृक्ष की सात या 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए और फिर शाम को पीपल के नीचे दीपक लगाकर पितृ सूक्त का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से संतान प्राप्ति में आ रही समस्याओं का निवारण होता है।
पितरों को संतुष्ट करने के लिए
मान्यता है कि इंदिरा एकादशी पर बिहार के गया में फल्गु नदी के किनारे पितरों का तर्पण करने से सात पीढ़ियों के पितर संतुष्ट हो जाते हैं और पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है। साथ ही, पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दरिद्रता दूर करने के लिए
यदि आप दरिद्रता से परेशान हैं और वह आपका पीछा नहीं छोड़ रही है, तो इससे मुक्ति पाने के लिए इंदिरा एकादशी के दिन घर में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि इससे परिवार में क्लेश नहीं होंगे और दुख दरिद्रता से छुटकारा मिलेगा।
वैवाहिक जीवन सुखमय बनाने के लिए
यदि आपके वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति है और अपने पार्टनर से रोजाना आपकी बेहस या विवाद होता रहता है तो ऐसे में, इंदिरा एकादशी के दिन पीला अनाज, फल मंदिर में दान करें। मान्यता है कि इससे शादीशुदा जिंदगी फिर से खुशहाली आएगी और आप दोनों के बीच रिश्ता मधूर होगा।
सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
इंदिरा एकादशी पर सूर्यास्त के समय तुलसी के सामने घी का दीपक जलाकर ‘ॐ वासुदेवाय नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें और इस दौरान तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
शास्त्रों के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत करने से धन-वैभव, सुख-समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। यदि आपको अपनी आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ रहा है, तो इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। ऐसा करने से धन और संपत्ति में जल्द ही वृद्धि देखने को मिलती है।
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इस दिन राशि अनुसार करें मंत्रों का जाप
मेष राशि : ‘ऊँ श्री केशवाय नम:’ मंत्र का जाप अवश्य करें।
वृषभ राशि : ‘ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
मिथुन राशि : ‘ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कर्क राशि : ‘ ऊँ श्री कृष्णाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
सिंह राशि : ‘ऊँ श्री प्रजापतये नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कन्या राशि : ‘ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:’ मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें।
तुला राशि : ‘ऊँ श्री जनार्दनाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
वृश्चिक राशि : ‘ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें।
धनु राशि : ‘ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:’ मंत्र का 51 बार जाप करें।
मकर राशि : ‘ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें।
कुंभ राशि : ‘ ऊँ श्री माधवाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
मीन राशि : ‘ऊँ श्री गोविन्दाय नम:’ मंत्र का एक माला जाप करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि इस साल 28 सितंबर 2024 शनिवार के दिन पड़ रही है।
उत्तर. हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से है। ऐसा माना जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। इसके साथ ही साथ पितरों को मुक्ति मिलती है।
उत्तर. इंदिरा एकादशी व्रत के दौरान घी, दूध, दही और अन्न का दान करना बेहद शुभ माना गया है। साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को खाना खिलाएं।
उत्तर. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।