हस्तरेखा देखने का तरीका हर कोई जानना चाहता है। यह ज्योतिष शास्त्र में बताई गई एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में आसानी से जाना जा सकता है। हस्त रेखा को अंग्रेजी में “पामिस्ट्री” कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हाथों की रेखाओं में हमारा भविष्य छुपा होता है और इसका अध्ययन कर के किसी भी व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
हस्त रेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं। इस पद्धति में हथेलियों की बनावट उंगलियों के आकार के साथ-साथ हथेलियों पर उभरी रेखाओं की मदद से भविष्य के बारे में जाना जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, हमारे हथेलियों में कई रेखाएं मौजूद होती हैं। हस्तरेखा देखने का तरीका ही हस्त रेखा ज्ञान कहलाता है।
क्या है हस्त रेखा ज्ञान?
बीते कई सालो से मनुष्य यह जानने को उत्सुक रहा है कि उसका भविष्य कैसा होगा। खुद को संतुष्ट करने और भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारें में जानने के लिए ज्योतिष के आधार पर ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान और अंक ज्योतिष ज्ञान जैसी कई शाखाओं का निर्माण किया गया।
हस्त रेखा ज्ञान को विज्ञान की एक प्राचीन शाखा माना जाता है। यह ज्ञान हाथों की रेखाओं के आधार पर किसी व्यक्ति के चरित्र और उसके भविष्य का आकलन करती है। हस्त रेखा विज्ञान किसी भी संस्कृति, क्षेत्र अथवा धर्म तक सीमित नहीं है। यह कला विश्व भर में अनेकों सांस्कृतिक विविधताओं के साथ पाया जाता है। इस कला के अभ्यास में जो व्यक्ति लगे होते हैं उन्हें हस्त विश्लेषक, हाथ पढ़ने वाला, हस्तरेखाविद्, हाथ पाठक या हस्तरेखा शास्त्री के नाम से जाना जाता है।
हस्त रेखा का इतिहास
हस्तकला के विषय में कई बुद्धिजीवियों का यह कहना है कि इसकी शुरुआत भारत में हुई थी। महान ऋषि महर्षि वाल्मीकि ने हस्तरेखा शास्त्र पर एक पुस्तक की रचना की थी, जिसमें 567 लेख शामिल थे और उनका यह ज्ञान भारत से होते हुए चीन, तिब्बत, मिस्र, और फारस जैसे अन्य कई देशों तक फैला। हस्तकला शास्त्र में अरस्तू, सिकंदर महान हिप्पोक्रेट्स और कीरो जैसे कई लोगों का नाम प्रसिद्ध है। हस्तरेखा शास्त्र पर कीरो द्वारा कई पुस्तकें लिखीं गयी और हस्तकला पर अपने बेशुमार ज्ञान की वजह से उन्हें “हस्तकला के पिता” के रूप में जाना जाता है।
लेकिन कई जगहों पर यह भी कहा जाता है कि हस्त रेखा विज्ञान की शुरुआत ग्रीस में 348 से 322 ईसा पूर्व के मध्य में हुई थी। 384-322 ईसा पूर्व में के बीच ग्रीस देवता हर्मीस द्वारा अरस्तू को एक ग्रंथ की प्राप्ति हुई। इस ग्रंथ को अरस्तू ने सिकंदर महान को भेंट स्वरूप प्रदान किया। महान शासक सिकंदर ने इस कला में बेहद रुचि दिखाई और उन्होंने अपने अधिकारियों के हाथों की रेखाओं का विश्लेषण किया। इस कला का विस्तार भारत, तिब्बत, चीन, फारस, मिस्र और ग्रीस से यूरोप और उसके अन्य देशों में भी हुआ।
हस्त रेखा ज्ञान का महत्व
अकसर हम अपने बड़े-बुज़ुर्गों से ये बात सुनते आ रहे हैं कि हमारी किस्मत हमारे अपने ही हाथों में होती हैं और यह बहुत हद तक सही भी है क्योंकि काफी हद तक हमारे हाथों की रेखाएं हमारी अच्छी या बुरी किस्मत का निर्धारण करती हैं। किसी व्यक्ति का जन्म किन ग्रह-नक्षत्रों में हुआ है, यह बात उसके पूरे जीवन का निर्धारण करती है, लेकिन वर्तमान समय में आपके जीवन में क्या चल रहा है, इस बात की जानकारी सिर्फ आपके हाथ की रेखाओं को देखकर पता लगाया जा सकता है।
हस्त रेखा विज्ञान व्यक्ति के आने वाले जीवन से जुड़ी सारी जानकारियों पर प्रकाश डालने का काम करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हस्त रेखा देखने का तरीका व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में बतलाता है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी पामिस्ट्री का प्रचलन काफी ज्यादा है।
हम में से अधिकांश लोगों को ज्योतिष और हस्त रेखा विज्ञान के अंतर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। इसीलिए हम आपको बता दें कि दोनों में मूलभूत अंतर यह है कि ज्योतिष में किसी भी व्यक्ति के बारे में जानकरी कुंडली के आधार पर दी जाती है, जबकि हस्त रेखा विज्ञान में हाथ की रेखाओं के आधार पर व्यक्ति के बारे में बताया जाता है।
अधिकांश लोग ज्योतिष से ज्यादा हस्त रेखा को ज्यादा विश्वसनीय मानते हैं। वैसा देखा जाये तो उनका ऐसा सोचना भी काफी हद तक सही है। ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के भविष्य की गणना उसकी कुंडली देख कर की जाती है ऐसे में समय के हेर-फेर की वजह से किसी व्यक्ति की कुंडली गलत भी बन सकती है, लेकिन अगर हम हस्त रेखा कि बात करें तो हाथ की रेखाएं सामने होती हैं। इसलिए इसका आकलन करने में गलती होने का प्रश्न ही नहीं उठता।
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हस्तरेखा देखने का तरीका
हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के नाखूनों की जड़ में छोटे अर्द्धचन्द्र निशान बने होते हैं तो ऐसे इन्सान अपने जीवन में बेहद खुश रहते हैं। इस तरह के लोगों को अपने जीवन में धीरे-धीरे प्रगति मिलती है। वह व्यक्ति जिसे हस्तरेखा देखने का तरीका आता हो वह हाथ की रेखाओं को देखकर व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। आइये जानते हैं हस्त रेखा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और हस्तरेखा देखने का तरीका –
हस्त रेखा की मदद से भविष्य देखने के लिए आपको सबसे पहले किसी व्यक्ति के अंगुलियों, अंगूठे और उसकी हथेली की बनावट को देखना चाहिए। हस्त रेखा का अध्ययन करते समय पहले बायां हाथ देखें और उसके बाद दायां हाथ। अब इन दोनों हाथों की रेखाओं और उनकी बनावट के बीच का अंतर समझने की कोशिश करें। न केवल रेखाओं बल्कि हाथ के हर भाग जैसे हथेली, नाखुन, त्वचा, रंग, उंगलियां, अंगूठा और कलाई आदि का भी परीक्षण करें।
हस्त रेखा देखने की शुरुआत करने से पहले अंगूठा देखें, इसके बाद हथेली की कोमलता या कठोरता को देखें। अंगुलियों की बनावट पर ध्यान से देखें और सभी ग्रह से जुड़े क्षेत्रों का भी अध्ययन करें। अब सभी रेखाओं को एक-एक कर के ध्यानपूर्वक देखें और उनका अध्ययन करें। हाथों का अध्ययन आप जितनी गहराई और ध्यान से करेंगे, आपका भविष्यफल उतना ही सटीक और सही होगा।
कौन-कौन सी होती हैं रेखाएं?
रेखाएं जो हमारे हाथ में दिखाई देती हैं उनका हमारे भविष्य से गहरा संबंध होता है। अगर इन रेखाओं का अध्ययन ध्यान से किया जाए तो हमें हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त हो सकती है। वैसे तो हमारे हाथों की सभी रेखाओं को अलग-अलग महत्व दिया गया है। किसी व्यक्ति के पूरे जीवनकाल में उसे कितना मान-सम्मान और पैसा मिलेगा इन सब की भी जानकारी रेखाओं के अध्ययन से मालुम की जाती है।
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वैसे तो हस्त रेखा विज्ञान में हथेलियों की सभी रेखाओं का बेहद बारीकी से अध्ययन किया जाता है, पर इनमें कुछ मुख्य रेखाएं इस प्रकार हैं- जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा और भाग्य रेखा। हमारे हथेलियों में बहुत सी छोटी-छोटी रेखाएं भी होती हैं। इनका भी अपना अलग महत्व होता है। इन छोटी रेखाओं में आती हैं- विद्या रेखा, विवाह रेखा, संतान रेखा, यात्रा रेखा, चिंता रेखा आदि।
हस्त विश्लेषक एक नहीं बल्कि दाहिनी और बाई दोनों हथेलियों को देखते हैं। बाई हथेली की रेखाएं यह बतलाती हैं कि हम अपने भाग्य में क्या लेकर आए हैं और दाई हथेली की रेखाओं से यह पता चलता है कि अब तक हमने अपने कर्मो से क्या कुछ प्राप्त किया है।
आईये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण और बड़ी हस्त रेखाओं के विषय में विस्तार से –
हृदय रेखा – यह रेखा उन बड़ी रेखाओं में से एक है जिसे हस्तरेखाविद् सबसे पहले जांचते हैं। हृदय रेखा हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे होती है। यह छोटी उंगली से शुरू होती है और तर्जनी उंगली की तरफ बढ़ती है। इस रेखा का संबंध दिल के मामलों से किया जाता है और साथ ही यह भी माना जाता है कि दिल की सेहत के अलावा अवसाद, स्वभाव, गुण, भावनात्मक स्थिरता, रुमानी दृष्टिकोण और सामाजिक व्यवहार को भी प्रदार्शित करती हैं। यदि यह रेखा नीचे की तरफ झुकी हो तो व्यक्ति साहित्य-संगीत प्रेमी, कला में रूचि रखने वाला या अंतर्मुखी होता है। और यदि यह रेखा ऊपर की तरफ जाती हुई हो तो व्यक्ति तकनीकी विद्या का जानकार और दिमाग से कार्य करने वाला होता है।
मस्तिष्क रेखा- हस्तरेखा जानकर मस्तिष्क रेखा को दूसरी महत्वपूर्ण रेखा को मानते हैं। इस रेखा की शुरुआत तर्जनी उंगली के नीचे से होती है जो बाहर के किनारे की ओर बढ़ती जाती है। मस्तिष्क रेखा शुरुआत में जीवन रेखा के साथ जुड़ी हुई होती है। यह रेखा कभी सीधी तो कभी नीचे की तरफ जाती है। मस्तिष्क रेखा व्यक्ति की मानसिक क्षमता, बुद्धि, मानसिक स्तर, योग्यता आदि के बारे में बतलाती है। अधूरी रेखा मानसिक क्षमता में कमी को दर्शाती है।
जीवन रेखा- सामुद्रिक शास्त्र में सबसे विवादास्पद और अहम रेखा जीवन रेखा को मानते हैं। यह रेखा अंगूठे और तर्जनी के बीच से निकलती है और कलाई की तरफ यानि मणिबंध तक बढ़ती है। हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति की आयु, ऊर्जा, उपलब्धियां, स्वास्थ्य, जीवन, मृत्यु और संकट आदि के विषय में बतलाती हैं। एक स्वस्थ रेखा अच्छे जीवन का संकेत देती है, वहीं अधूरी रेखा, टूटी फूटी रेखा या रेखा पर गोल चक्कर का निशान अशुभ संकेत देती हैं। भाग्य रेखा- हथेली के नीचे का स्थान जिसे हम मणिबंध कहते हैं, वहां से निकलकर जो रेखा मध्यमा उंगली के पास जाती है, वह भाग्य रेखा कहलाती है। यदि भाग्य रेखा एकदम स्पष्ट हो तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि यह रेखा हथेली के नीचे से निकले तो यह पारिवारिक समर्थन से भाग्योदय की ओर इशारा करती है। लेकिन यदि यह रेखा चंद्र क्षेत्र से निकले तो ऐसे लोग दूसरों की मदद और प्रोत्साहन से आगे बढ़ने वाले होते हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण रेखांएं –
विद्या रेखा- हथेली में विद्या रेखा की शुरुआत अनामिका और मध्यमा उंगली के बीच से होती है। यह रेखा अनामिका उंगली की तरफ झुकी होती है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों के हाथों में यह रेखा होती है वे गरीब से गरीब घर में भी जन्म लेकर अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं। जिन लोगों के हाथ में विद्या रेखा होती है वे बुद्धिमान और ज्ञानवान होते हैं और अपनी बुद्धि के बल पर सफलता प्राप्त करते हैं। हस्तरेखाविद के अनुसार यदि किसी व्यक्ति हथेली में विद्या रेखा पर क्रॉस का निशान हो तो इसका मतलब व्यक्ति पढ़ाई में अच्छा नहीं होता और निरंतर फेल होता है।
विवाह रेखा- विवाह रेखा छोटी उंगली यानि लिटिल फिंगर के नीचे वाले हिस्से में होती है। ऐसा माना जाता है कि हाथ में जितनी विवाह रेखाओं की संख्या होती है, उस व्यक्ति के उतने ही ज्यादा प्रेम प्रसंग होते हैं। यदि यह रेखा टूटी या फिर कटी हुई हो विवाह में मतभेद की संभावना होती है। वहीं अगर विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं होती हैं, तो उस व्यक्ति की शादी के टूटने का भय रहता है। यदि किसी जातक की हथेली में विवाह रेखा सूर्य पर्वत की तरफ जा रही हो या वहां तक पहुंच गयी हो तो यह इस बात की ओर संकेत करता है कि उसका होने वाला जीवन साथी जरुर ही समृद्ध और सम्पन्न परिवार से ताल्लुक़ रखता होगा। दोनों हाथों में विवाह रेखा एक जैसी हो तो इस तरह के लोगों का वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है, अर्थात ऐसे लोगों का अपने जीवन साथी के साथ सही सामंजस्य बना रहता है।
यात्रा रेखा- यात्रा रेखा हमारी हथेली में तीन स्थानों पर पायी जाती है- पहला- चन्द्र-क्षेत्र पर, दूसरा- मणिबन्ध से शुरू होकर ऊपर को जाती हुई और तीसरा- जीवन-रेखा से निकलने वाली और उसी के सहारे चलने वाली रेखाएँ। यदि यात्रा-रेखा कलाई की ओर झुकी हो या मुड़ी हुई हो तो यात्रा में बाधा उत्पन्न होने की संभावना होती है किन्तु यदि यह ऊपर की ओर जाये तो जातक को यात्रा से वृद्धि होती है। वहीं अगर यात्रा-रेखा भाग्य-रेखा में मिल जाये जिसके बाद भाग्य-रेखा गहरी हो तो यात्रा के दौरान भाग्य में उन्नति होती है।
संतान रेखा- संतान रेखा वह होती हैं जो विवाह रेखा के अंत में उसके उपरी भाग में ऊपर की ओर जाती है। विवाह रेखा पर खड़ी और सीधी रेखा स्वस्थ पुत्र और टेढ़ी-मेढ़ी कमजोर रेखा पुत्री की और संकेत देती है। हथेली में अगर अंगूठे के नीचे शुक्र पर्वत अधिक उभरा हुआ दिखे तो यह एक संतान होने की संभावना को दर्शता है। हस्तरेखा जानकारों के अनुसार हथेली में जो संतान रेखा जितनी अधिक उभरी और स्पष्ट होगी, व्यक्ति को उस संतान से अधिक प्यार और सुख मिलता है। यही कारण है कि किसी खास संतान से व्यक्ति का अधिक लगाव होता है और उससे सुख मिलता है।
हस्त रेखा से जुड़ी कुछ धारणाएं
अन्य ज्योतिष शिक्षाओं की तरह ही हस्त रेखा परिक्षण के लिए भी कुछ नियम बनाये हैं । यदि आप किसी व्यक्ति का का हाथ देख रहे हैं या फिर अपना हाथ दिखाना चाहते हैं तो अवश्य ही आपको इन बातों का ज्ञान होना चाहिए। ये नियम बेहद सरल है, तो आईये जानते हैं हस्त रेखा से जुड़ी कुछ धारणाओं के बारे में –
- ऐसा माना जाता है कि हस्त रेखा देखने का काम सुबह के समय ही करना चाहिए।
- हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार वे जातक जो हाथ दिखाना चाहते हैं उन्हें खाना खाने के तुरंत बाद या फिर किसी भारी काम को करने के फ़ौरन बाद हाथ नहीं दिखाना चाहिए, ऐसा इसीलिए क्यूंकि इस समय में व्यक्ति के हाथों में रक्त का प्रवाह अलग हो सकता है जिसकी वजह से हथेली का रंग सही से देखने में परेशानी आ सकती है।
- हाथ दिखते समय दिमाग ठंडा और मन शांत रखना चाहिए, ऐसा इसीलिए क्यूंकि मस्तिष्क और मन हमारे का हिस्सा हैं अगर इनमें उथल-पुथल रहेगी तो इनका प्रभाव हथेलियों पर भी पड़ेगा।
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- हममें से बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि कौन सा हाथ दिखाना दिखाना चाहिए। हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार पुरुष का दायां हाथ यानि सीधा हाथ और महिलाओं का बायां यानि कि उल्टा हाथ देख कर भविष्यवाणी की जानी चाहिए।
- कुछ हस्त रेखा विद्वान ऐसा भी मानते हैं कि दोपहर या रात के समय हस्त रेखाओं का आंकलन नहीं करना चाहिए।
- सबसे पहले मणिबंध (कलाई के पास की रेखाएं) और उसके बाद ही दोनों हाथों को जांचने के बाद ही भविष्य कथन की शुरुआत की जानी चाहिए।
हम सभी जानते हैं कि आस्था और अंधविश्वास के बीच एक बेहद महीन रेखा होती है, जिसे कभी पार नहीं करना चाहिए। हस्त रेखा ज्ञान की सही जानकारी बहुत कम लोगों को होती है इसीलिए धूर्त पंडितों और झोला छाप ज्योतिषियों से हमेशा सावधान रहें और अंत में एक बात जो हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है, कि कर्म ही प्रधान होता है, यह भूत भी है और कर्म ही भविष्य भी होता है। कर्म से ही व्यक्ति का वर्तमान बन रहा है, इसीलिए हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए।
आशा करते हैं कि एस्ट्रोसेज द्वारा हस्तरेखा देखने का तरीका और उससे जुड़ी दी गयी जानकारी आपके लिए लाभदायक रहेगी।