इस मंदिर में टहलती हैं माता रानी, यहाँ आने वाले निरोगी होकर लौटते हैं

हिन्दू धर्म में मंदिरों की काफी मान्यता होती है। ऐसे में किसी भी शुभ काम से पहले भी लोग मंदिर जाकर देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं, मन अशांत हो तो भी लोग मंदिर जाकर शांति ढूंढते  हैं, किसी को कोई परेशानी होती है तो भी मंदिर में भगवान की शरण में जाकर उसका निदान ढूंढते हैं। इसके अलावा भारत में कई ऐसे मंदिर भी हैं जहाँ जाने वाले भक्त बताते हैं कि भगवान के आशीर्वाद से वो मंदिर से निरोगी काया लेकर निकलते हैं। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको आज बताने जा रहे हैं जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ रोग ग्रस्त लोग आते हैं और एकदम निरोगी होकर जाते हैं।

जानें कहाँ हैं ये मंदिर?

यहाँ हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो मालवा के प्रांत, मध्य प्रदेश, नीमच से 18 किमी पूर्व में स्थित महामाया भादवा माता का एक बेहद ही शानदार संगमरमर का मंदिर है। इस मंदिर में मुख्य माता की प्रतिमा के आधार में नौ नव दुर्गा मूर्तियों को स्थापित किया गया है। इस मंदिर में जाने वाले लोग बताते हैं कि महामाया भादवा जी का यह मंदिर माता के चमत्कारों से भरा है।

इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को माता के इस चमत्कारी रुप का फल भी निश्चित ही मिलता है। इस मंदिर की जो बात सबको अपनी तरफ आकर्षित करती है वो यह है कि इस मंदिर में आने वाले रोग ग्रस्त लोग निरोगी होकर लौटते हैं। मां के दर्शन से उनके भक्तों के सभी दुखों का नाश होता है और उनके हृदय में भक्ति का भाव भी जाग जाता है।  इस मंदिर का वातावरण बेहद शांत एवं सुख का आभास कराने वाला होता है जो भक्तों का मन मोह लेता है।

इस मंदिर में रात में टहलती हैं माता

इस मंदिर को बहुत से लोग भादवा माता धाम के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर के बारे में सबसे ज़्यादा चमत्कारी बात यह बताई जाती है कि हर रात माता रानी इस मंदिर में टहलती हैं। मंदिर के पुजारी और यहाँ रहने वाले लोग मानते हैं कि इस मंदिर में हर रात माता अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के प्रांगण में टलती हैं।

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सालों से जल रही है अखंड-ज्योति

भादवा माता के इस मंदिर में माता की चमत्कारी और बेहद खूबसूरत प्रतिमा स्थापित है जो की चाँदी के सिंहासन पर विराजमान है। माता की इस प्रतिमा के पास ही नव दुर्गा के नौ रूप विराजमान हैं। मंदिर में माता की अखंड ज्योति जल रही होती है।  ये ज्योति भी काफी चमत्कारी है। कहा जाता है की यह ज्योति कई सालों से मंदिर में प्रज्वलित है और बिना किसी बाधा के लगातार जल रही है। यह चमत्कारी ज्योति माता की मूर्ति के ठीक सामने जलती है।

कहते हैं कि रात में टहलते समय माता रानी की जिस पर कृपा हो जाती है वह इंसान बड़े से बड़े रोग से मुक्त हो जाता है। माता के इस चमत्कार की वजह से यहां पूरे साल लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित भक्तों का आना लगा रहता है। बहुत से भक्त तो ऐसे भी हैं जो इस जगह से रोग मुक्त होकर अपने घर जाते रहे हैं इसलिए ही इस मंदिर पर भक्तों का अटूट विश्वास है।

इस मंदिर में है चमत्कारी बावड़ी

भादवा माता के इस मंदिर में एक बेहद ही प्राचीन बावड़ी भी मौजूद है। इस बावड़ी के बारे में लोगों की ऐसी मान्यता है कि अपने भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए खुद माता ने यहां जमीन से जल निकाला था। इस जल को भी भक्त काफी पवित्र मानते हैं। कहा जाता है कि जल में औषधीय गुण मौजूद हैं जिसके चलते इसमें स्नान करने मात्र से लोग निरोगी हो जाते हैं और उनके शरीर की सारी दिक्कत-परेशानियां दूर हो जाती हैं।

इस जल को माता के भक्त गंगा जल के समान पवित्र मानते हैं। ऐसे ही अनेकों चमत्कारी रूपों और शक्तियों से ये मंदिर फलीभूत है। इस बावड़ी के जल पर माता रानी की असीम कृपा मानी जाती है। लोग बताते हैं कि इस मंदिर का जल अमृत के सामान है। माता ने कहा है कि जो भी इंसान इस पवित्र बावड़ी के जल से स्नान कर लेगा, वह हर तरह के रोग से मुक्त होकर निरोगी जीवन जियेगा।

इस मंदिर में पशु-पक्षी भी करते हैं माता की आरती

इस मंदिर का के नियम है कि जो भी भक्त यहां से माता के आशीर्वाद से रोग मुक्त होकर जायेगा या माता रानी जिनकी मुराद पूरी कर देती हैं वह मंदिर में वापिस आकर जिंदा मुर्गे और बकरे माता को भेंट करते हैं। माता को चढ़ाए हुए यह मुर्गे और बकरे आरती के समय भक्तों की भीड़ में इस तरह से शामिल होते हैं जैसे की वह भी मां की आरती कर रहे हों। इस मंदिर की लोगों में इतनी मान्यता है कि कुछ भक्त तो अपनी मुराद पूरी होने के बाद यहाँ चाँदी और सोने की आँख भी चढ़ाते हैं।