यहाँ शिवलिंग पर दूध चढ़ाते ही बदल जाता है उसका रंग, सफ़ेद रंग पड़ जाता है नीला !

भारत को यूँ ही अनोखी सभ्यता और संस्कृति वाला देश नहीं माना जाता है, बल्कि वास्तव में हमारे यहाँ ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जो आपको दुनिया में और कहीं मिलेगी। महान सभ्यता और संस्कृति वाला हमारा ये देश वास्तव में अपने अंदर बहुत सी ऐसी चीजें समेटे हुए हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज हम आपको दक्षिण भारत स्थित एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ शिवलिंग पर दूध चढ़ाते ही उस दूध का रंग नीला पड़ जाता है। शिव भक्तों में इस मंदिर को लेकर विशेष आस्था और विश्वास है। आइये आपको बताते हैं कि आखिर क्यों इस शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के बाद उसका रंग बदलकर नीला हो जाता है।

तमिलनाडु स्थित इस मंदिर में देखने को मिलता है ये चमत्कार

आपको बता दें कि हम जिस चमत्कारी शिव मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वो असल में तमिलनाडु स्थित नागनाथस्वामी मंदिर है। बता दें कि ये मंदिर तमिलनाडु के कीझापेरुपल्लम में कावेरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में ऐसी आस्था और विश्वास है कि यहाँ सभी दोषों का निवारण हो जाता है। विशेष रूप से भक्त यहाँ अपनी कुंडली में मौजूद राहु-केतु दोष और कालशर्प दोष के निवारण के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दोषों को लेकर लोगों के जीवन में जो असामन्यता आती है उसी के निवारण के लिए लोग यहाँ शिव जी का अभिषेक करने आते हैं। इस शिव मंदिर में भक्त शिव जी की पूजा अर्चना कर दूध से उनका रुद्राभिषेक करते हैं और इस दौरान दूध का रंग सफ़ेद से नीला हो जाता है। इस मंदिर में होने वाले इस चमत्कार को विशेष रूप से कुंडली में मौजूद दोषों के निवारण का एक प्रक्रिया माना जाता है।

इसलिए हो जाता है सफ़ेद रंग नीला

बता दें कि यहाँ आने वाले भक्तों का ऐसा मानना है कि इस मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाये जाने वाले दूध का रंग सफ़ेद से नीला इसलिए पड़ जाता है क्योंकि शिव जी इशारा करते हैं कि आपकी कुंडली में दोष है जो अब दूर हो गया है। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहाँ शिवलिंग पर जब दूध अर्पित किया जाता है तो उसका मतलब है कि व्यक्ति की कुंडली में दोष है, लेकिन जब उस दूध का रंग सफ़ेद से नीला पड़ जाता है तो ये इस बात है का संकेत माना जाता है कि व्यक्ति के जीवन में व्याप्त दोष अब दूर हो चुके हैं। इस मान्यता को मानते हुए ही यहाँ दूर-दूर से लोग अपने दुखों के निवारण के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाने आते हैं। इस मंदिर के बारे में एक हैरानी की बात ये भी है कि यहाँ स्थित शिवलिंग किसी ने ना तो बनाया और ना ही उसे स्थापित किया, ये शिवलिंग स्वयं भू शिवलिंग कहलाता है। यानि की जो स्वयं अवतरित हुआ हो।