2 फरवरी से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि का यह पावन पर्व अपने आप में बेहद ही ख़ास और शुभ माना गया है लेकिन इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 2022 को जो बात और भी ज्यादा ख़ास और विशेष बना रही है वो है इस वर्ष 19 सालों बाद बनने वाला एक दुर्लभ संयोग। क्या है यह विशेष संयोग? दरअसल इस वर्ष गुप्त नवरात्रि के मौके पर 19 वर्षों बाद राहु ग्रह अपनी मित्र राशि वृषभ में मौजूद रहने वाले हैं।
राहु के वृषभ राशि में मौजूद होने का क्या अर्थ निकलता है? इस बात से क्या कुछ शुभ अशुभ संकेत मिल रहे हैं? गुप्त नवरात्रि 2022 का शुभ मुहूर्त क्या है? और इस नवरात्रि का महत्व क्या होता है? इन सभी बातों का जवाब विस्तार से जानने के लिए ये विशेष ब्लॉग अंत तक अवश्य पढ़ें।
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गुप्त नवरात्रि पर सालों बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि, इस वर्ष गुप्त नवरात्रि के मौके पर 19 वर्षों बाद राहु ग्रह अपनी मित्र राशि वृषभ में मौजूद रहने वाले हैं। बता दें कि इसके पहले वर्ष 2003 में ऐसा मौका आया था जब गुप्त नवरात्रि की शुरुआत ऐसे शुभ संयोग में हुई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, इस वर्ष की गुप्त नवरात्रि के मौके पर मकर राशि में सूर्य और शनि ग्रह की मौजूदगी भी शुभ संकेत दे रही है।
माना जाता है कि, सूर्य और शनि जब एक राशि में मौजूद होते हैं तो इनके प्रभाव से तंत्र क्रियाएं बाधा मुक्त होकर सुगमता से पूरी की जा सकती हैं। यहाँ इस बात से तो सभी अवगत होंगे ही कि गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र और मनोकामना पूरी करने के लिए तमाम साधना आदि किये जाते हैं।
- गुप्त नवरात्रि पर बन रहे हैं शुभ संयोग
इसके अलावा गुप्त नवरात्रि 2022 सर्वार्थसिद्धि और रवियोग में मनाई जाएगी। कहा जाता है इन शुभ योगों में यदि देवी की पूजा की जाये तो इससे मिलने वाले फल का प्रभाव कभी भी क्षीण नहीं होता है।
गुप्त नवरात्रि 2022: घटस्थापना शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गुप्त नवरात्रि माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (2 फरवरी) से शुरू होकर 10 फरवरी तक मनाई जाएगी।
घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 07 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक
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- गुप्त नवरात्रि में किन देवियों की की जाती है पूजा?
जहाँ नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा का विधान बताया जाता है वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 देवियों की पूजा का महत्व होता है। ये दस देवियाँ हैं: माँ काली, माँ तारादेवी, माँ त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, माँ त्रिपुर भैरवी, धूमावती माता, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी
गुप्त नवरात्रि 2022: क्या है महत्व?
बात करें गुप्त नवरात्रि के महत्व की तो, मुख्यरूप से गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना, तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना, महाकाल, आदि से संबंधित होती है। गुप्त नवरात्रि के नियम भी बेहद ही कड़े और कठिन होते हैं और यदि मनोकामना पूर्ति की कामना हो तो व्यक्ति को इन कड़े नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। इसके अलावा ध्यान देने वाली बात यह भी है कि, जहाँ एक तरफ चैत्र और शरद मास की नवरात्रि भारत में भव्य पैमाने पर मनाई जाती है वहीं इसके विपरीत गुप्त नवरात्रि खासतौर पर पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि में ही मनाई जाती है।
गुप्त नवरात्रि पूजा विधि
- इस दिन ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें और पूजा प्रारंभ करें।
- पूजा में माँ दुर्गा की एक प्रतिमा या तस्वीर साफ़ जगह पर पटरे पर स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी ओढ़ायें।
- इसके बाद एक साफ़ मिट्टी का बर्तन लेकर उसमें जौ लगायें।
- इसके साथ ही मंगल कलश में गंगाजल, सिक्के डालकर उसे आम के पत्ते और श्रीफल आदि से तैयार कर के घटस्थापना मुहूर्त में स्थापित कर दें।
- इसके बाद देवी को फल, फूल, धुप, दीप, नैवैध्य आदि अर्पित करें।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, नौ दिनों तक आपको इस मिट्टी के बर्तन में थोड़ा-थोड़ा जल डालना है। इसके बाद अष्टमी या नवमी तिथि पर नौ कन्याओं को बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन कराकर, दान दक्षिणा देकर और उनके पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें। नवरात्रि के आखिरी दिन सपरिवार मिलकर माँ दुर्गा की पूजा करें, उनकी आरती गायें और फिर कलश के जल को पूरे घर में छिडकें। इसके बाद भी जल बच जाये तो इसे किसी पवित्र स्थान या पूजित वृक्ष के नीचे डाल दें।
गुप्त नवरात्रि की व्रत और पूजन विधि चैत्र और शरद नवरात्रि की ही तरह होती है। इन दिनों में भी श्रद्धापूर्वक माँ की पूजा करनी चाहिए और व्रत करना चाहिए।
- चैत्र और शरद नवरात्रि से कैसे अलग होती है गुप्त नवरात्रि?
गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तंत्र साधना के माध्यम से मनोकामना पूर्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है। इस दौरान भक्त माँ दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद अपने जीवन पर बनाये रखने के लिए तमाम उपाय आदि करते हैं। इस दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करना, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ करना विशेष फलदायी साबित होता है। कहते हैं साधक विशेषतौर पर धन प्राप्ति, संतान सुख, शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्रि का व्रत और पूजा करते हैं।
इसके अलावा गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त रहकर की जाती है। यानि की इस व्रत और पूजा से संबंधित बातें आप जितनी ज्यादा गुप्त रखते हैं आपको उतना ही ज्यादा फल प्राप्त होता है। गुप्त नवरात्रि में अपने गुरु से आज्ञा लेने के बाद या उनके मार्गदर्शन में ही तंत्र क्रिया की जानी चाहिए।
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गुप्त नवरात्रि से जुड़े विशेष नियम
- नवरात्रि में कलश हमेशा मिट्टी, सोना, चांदी, पीतल या ताम्बे का होने चाहिए। गलती से भी पूजा में स्टील या लोहे का कलश इस्तेमाल न करें।
- गुप्त नवरात्रि का व्रत या पूजा भी कर रहे हैं तो कोशिश करें और ज़मीन पर ही सोयें।
- गुप्त नवरात्रि के दौरान किसी का भी बुरा न सोचें, किसी के अनहित के लिए पूजा न करें, क्रोध न करें, ईर्ष्या न करें और न ही किसी को भला बुरा कहें।
- गुप्त नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- गुप्त नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं तो कन्या पूजन अवश्य करें।
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गुप्त नवरात्रि 2022: क्या करें-क्या न करें?
क्या करें:
- इन नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- माता-पिता का सम्मान करें और प्रतिदिन उनका आशीर्वाद लें।
- मुमकिन हो तो इस दौरान केवल पीले और लाल रंग के वस्त्र पहनें।
- सच्चे मन से माँ की पूजा करें।
- ज़मीन पर कुश के आसन पर सोयें।
क्या न करें:
- किसी का बुरा न सोचें।
- तामसिक भोजन न करें।
- किसी का नुकसान करने के उद्देश्य से पूजा न करें।
- लहसुन-प्याज भूल से भी न खाएं।
- क्रोध न करें।
गुप्त नवरात्रि राशिनुसार मंत्र
मेष राशि: ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम: मंत्र का जप करें। मनोकामना पूरी होगी।
वृषभ राशि: ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम: मंत्र का जप करें। हर काम में सफलता प्राप्त होगी।
मिथुन राशि: ॐ दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जप करें। शत्रुओं और बाधाओं का नाश होगा।
कर्क राशि: ॐ ललिता देव्यै नम: मंत्र का जप करें। कार्यक्षेत्र में शुभ परिणाम मिलेंगे।
सिंह राशि: ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नम: मंत्र का जप करें। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
कन्या राशि: ॐ शूल धारिणी देव्यै नम: मंत्र का जप करें। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
तुला राशि: ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जप करें। संतान सुख और बाधाओं से छुटकारा मिलेगा।
वृश्चिक राशि: ॐ शक्तिरूपायै नम: या ॐ क्लीं कामाख्यै नम: मंत्र का जप करें। सभी अभीष्ट मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
धनु राशि: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करें। हर काम में सफलता मिलेगी।
मकर राशि: ॐ पां पार्वती देव्यै नम: मंत्र का जप करें। शत्रुओं का नाश होगा।
कुम्भ राशि: ॐ पां पार्वती देव्यै नम: मंत्र का जप करें। मनोकामना पूरी होगी और विजय प्राप्त होगी।
मीन राशि: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम: मंत्र का जप करें। शत्रुओं का नाश होगा और मनोकामना पूर्ति अवश्य होगी।
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