Govind Dwadashi 2021: कल है गोविन्द द्वादशी, जानिए इस दिन का महत्व और कथा

कल यानी 24 फरवरी 2021 बुधवार के दिन गोविंद द्वादशी (Govind Dwadashi 2021) का पर्व मनाया जा रहा है। गोविंद द्वादशी के इस पर्व के बारे में कहा जाता है कि, इस बेहद ही पुण्यदायी व्रत का महिमामंडन खुद भगवान श्री कृष्ण ने किया था। ऐसे में स्वाभाविक सी बात है कि इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। 

गोविंद द्वादशी (Govind Dwadashi) का यह व्रत जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ करता है उससे सभी तरह के दुख और कष्ट और बीमारी से छुटकारा मिलता है और साथ ही ऐसे व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होती हैं। गोविंद द्वादशी का यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसे में कल के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

सच्ची श्रद्धा और सही पूजन विधि के साथ पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, गोविंद द्वादशी का यह पावन व्रत सबसे पहले एक यादव कन्या ने रखा था। ऐसे में इस व्रत के प्रभाव से उस कन्या को जीते जी सभी तरह के सुखों की प्राप्ति हुई और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष हासिल हुआ।

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सिर्फ इतना ही नहीं गोविंद द्वादशी के इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह को बताया था और यादव कन्या को मिलने वाले फल के बारे में भी जानकारी प्रदान की थी। 

गोविंद द्वादशी की पूजा विधि (Govind Dwadashi Puja Vidhi)

  • गोविंद द्वादशी के दिन स्नान आदि करने के बाद षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें। 
  • गोविंद द्वादशी की पूजा में मौली, रोली, चावल, पंचामृत, तुलसी तिल और पान इत्यादि अवश्य शामिल करें। 
  • इस बात पर विशेष ध्यान दें कि, गोविंद द्वादशी के दिन की जाने वाली पूजा में भगवान  को तिल और पंचामृत का भोग अवश्य चढ़ाएं। 
  • इसके अलावा इस दिन  लक्ष्मी नारायण की कथा पढ़ें और दूसरों को सुनाएं। 
  • इस दिन की पूजा करने के बाद शाम के समय अपनी यथाशक्ति अनुसार ब्राह्मण और ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं। इसके साथ ही अपनी यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को दक्षिणा दें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें। 
  • गोविंद द्वादशी के रात में हरी नाम का कीर्तन करना विशेष फलदाई होता है। 

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गोविंद द्वादशी की पूजा में अवश्य शामिल करें यह मंत्र 

कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति गोविंद द्वादशी की पूजा में इन मंत्रों का जप करता है उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप भी इस दिन की पूजा में स्पष्ट उच्चारण पूर्वक और पूरी श्रद्धा के साथ इन मंत्रों का जाप करें। 

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

ॐ नमो नारायणाय नम:

श्रीकृष्णाय नम:

सर्वात्मने नम:

गोविंद द्वादशी की पूजा से मिलने वाला लाभ 

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ गोविंद द्वादशी का व्रत करता है उससे सभी तरह की ख़ुशियाँ प्राप्त होती हैं। इसके अलावा इस दिन दान, तप और हवन करने और तर्पण आदि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पूजा-अर्चना से आपको भगवान विष्णु की कृपा हासिल होती है। 

साथ ही मृत्यु के बाद गोविंद द्वादशी का व्रत करने वाले इंसानों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसे व्यक्तियों के सभी पाप और कष्ट दूर होते हैं। सभी तरह की परेशानी और कष्ट दूर कर जीवन में सुख समृद्धि प्रदान करने वाले इस गोविंद द्वादशी व्रत का सही नियम और विधि पूर्वक पालन अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है तभी व्यक्ति को शुभ परिणाम हासिल होते हैं।

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गोविंद द्वादशी व्रत कथा (Govind Dwadashi Vrat Katha) 

गोविंद द्वादशी (Govind Dwadshi Vrat Katha) से संबंधित व्रत कथा के अनुसार कहा जाता है कि, बहुत समय पहले एक यादव कन्या ने इस व्रत को किया था। बताया जाता है इस व्रत के प्रभाव से उस कन्या को जीते जी सभी तरह की ख़ुशियाँ प्राप्त हुई थी और मृत्यु के बाद उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई थी। ऐसे में इस व्रत का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह को बताया था और साथ ही इस व्रत से मिलने वाले पुणे के बारे में भी बताया था। 

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