Gupt Navratri 2021: गुप्त नवरात्रि में बन रहा है शुभ संयोग, जानिए घट-स्थापना मुहूर्त

नवरात्रि के नौ दिन हिंदू धर्म में बेहद ही खास महत्व रखते हैं। यदि हम आपसे पूछे तो शायद आपको भी साल में आने वाली दो मुख्य नवरात्रों के बारे में ही पता होगा। हालांकि एक वर्ष में नवरात्रि का यह पर्व कुल पांच बार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि, शरद नवरात्रि, पौष गुप्त नवरात्रि, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, और माघ गुप्त नवरात्रि। इनमें से चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि को देश में व्यापक रूप से मनाया जाता है। अपने इस माघ नवरात्रि (Magh Gupt Navratri) या गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) विशेष इस आर्टिकल में हम बात करेंगे माघ माह में आने वाली नवरात्रि के बारे में। 

माघ गुप्त नवरात्रि को बहुत सी जगह पर शिशिर नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के यह पावन दिन मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होते हैं। 

कब शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रि? (Magh Gupt Navratri 2021 Date)

इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी शुक्रवार के दिन से प्रारंभ हो रही है। वहीं एक और महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखने वाली यह है कि, इस बार की नवरात्रि नौ नहीं बल्कि दस दिन चलेगी। माघ माह की गुप्त नवरात्रि का समापन 21 फरवरी यानी रविवार के दिन होगा। 

माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त (Magh Navratri GhataSthapana Muhurat)

घट स्थापना मुहूर्त: 

सुबह 08 बज-कर 34 मिनट से 

09 बज-कर 59 मिनट तक 

12 फरवरी अभिजीत मुहूर्त: 12 बज-कर 13 मिनट से लेकर
12 बज-कर 58 मिनट तक 

गुप्त नवरात्रि का समापन 

21 फरवरी, रविवार 

नवरात्रि 2021 दिनांक, दुर्गा पूजा मुहूर्त एवं विशेषताएँ

माघ नवरात्रि पर्व का महत्व (Magh Gupt Navratri Mahatva)

नवरात्रि शब्द का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ‘नव’ यानी ‘नौ’ और दूसरा ‘रात्रि’ यानी ‘रातें’। ऐसे में नवरात्रि शब्द का अर्थ हुआ नौ-रातें। नवरात्रि के इस पर्व को भारत में मुख्य रूप से उत्तरी इलाकों, गुजरात, और पश्चिम बंगाल में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के भक्त माता को प्रसन्न करने और अपने जीवन में उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा और उपवास रखते हैं। 

इन नौ दिनों के दौरान मुख्य रूप से शराब, मांस, मदिरा, प्याज़, लहसुन इत्यादि चीजों से परहेज किया जाता है। माँ दुर्गा की पूजा अर्चना और उपवास के बाद दसवें दिन अर्थात दशमी के दिन व्रत करने वाले लोग पारण करते हैं। जहां चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि देशभर में व्यापक रूप से मनाई जाती है वहीं साल में आने वाले तीन अन्य गुप्त नवरात्रि तंत्र, मंत्र की सिद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

माघ मास की नवरात्रि मां सरस्वती की पूजा अर्चना के लिए बेहद ही उपयुक्त मानी जाती है। ऐसे में 16 फरवरी को सरस्वती जयंती या वसंत पंचमी का भी त्यौहार है। इसके अलावा सरस्वती जयंती के दिन  अहर्निश शुभ योग भी बन रहा है। ऐसे में विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बेहद ही उपयुक्त साबित होगा। गुप्त नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।

गुप्त नवरात्रि पूजन विधि (Gupt Navratri Puja Vidhi)

माघ  नवरात्रि में तंत्र मंत्र की पूजा करने वाले लोग आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। 

  • इस दौरान सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति को एक साफ़ और ऊँचे पटरी पर स्थापित करें। 
  • इसके बाद मां को लाल रंग का सिंदूर और लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। 
  • इसके बाद मां दुर्गा के समक्ष पानी वाला नारियल, फल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। 
  • मां दुर्गा की पूजा में लाल रंग का फूल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। 
  • इसके बाद दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’  मंत्र का जाप करें। 
  • दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • दुर्गा मंत्र का जाप करें।
  • माँ दुर्गा को भोग अर्पित करें।
  • माता की विधिवत पूजा करें और उसके बाद मां दुर्गा की आरती उतरें। 
  • पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद दें।

इसके अलावा, जो भी लोग गुप्त नवरात्रि में घट-स्थापना या कलश स्थापना करते हैं, उन्हें दिन के दोनों समय (सुबह और शाम में) पूजा करना अनिवार्य होता है।

दुर्गा सप्तशती: महत्व और पूजा विधि

माघ नवरात्रि शुभ संयोग (Magh Navratri Shubh Sanyog)

इस वर्ष की माघ नवरात्रि (Magh Navratri 2021) में बन रहा है बेहद शुभ संयोग। 12 फरवरी से माघ गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। ऐसे में घट स्थापना के दिन शनि, गुरु, सूर्य, शुक्र, और गुरु का पंच-ग्रही योग इस पावन दिन को और भी ज्यादा शुभ बना रहा है। 

इसके अलावा इस वर्ष की माघ नवरात्रि (Magh Gupt Navratri) में 17 फरवरी और 18 फरवरी दोनों ही दिन षष्ठी तिथि रहने वाली है। इसके अलावा जो अन्य बात माघ माह की नवरात्रि 2021 (Navratri 2021) को और भी ज्यादा शुभ बना रही है वह यह कि, 13 फरवरी को जहां गुरु पूर्व में उदित होंगी तो वहीं 14 फरवरी को शुक्र अस्त होंगे। इसके अलावा 16 फरवरी को बसंत पंचमी है जिसे अबूझ मुहूर्त में गिना जाता है।

अबूझ मुहूर्त होने के बाद भी बसंत पंचमी के दिन नहीं हो सकेंगे मांगलिक कार्य: जानिए वजह 

हिंदू धर्म में अबूझ मुहूर्त शब्द का अर्थ होता है, एक ऐसा दिन जिसके पूरे 24 घंटे बेहद शुभ हों। इस दिन कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने के लिए हमें शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता है। ऐसे में बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त में गिना जाता है। 

हालांकि इस वर्ष अबूझ मुहूर्त होने के बावजूद बसंत पंचमी के दिन और विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे। इसकी वजह यह है कि, इस दिन शुक्र का तारा अस्त होने वाला है। 

गुप्त नवरात्रि मान्यता 

गुप्त नवरात्रि के बारे में मान्यता है कि, इस नवरात्रि में पूजा और व्रत करने वाले साधक अपने व्रत और पूजा के बारे में बात गुप्त रखते हैं। इसके पीछे की धारणा यह है कि, ऐसा करने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां कालीके, त्रिपुर सुंदरी, तारा देवी, माता चित्रमस्ता, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मां धूमावती, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान बताया गया है। 

गुप्त नवरात्रि में अवश्य बरतें ये सावधानियां 

गुप्त नवरात्रि के दौरान व्यक्ति को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। 

  • इस दौरान कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए। 
  • किसी भी तरह के गलत और अनैतिक कामों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। 
  • पूजा में शुद्धता और साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 
  • इस दौरान किसी के भी व्यक्ति के बुरे के बारे में नहीं सोचना चाहिए, ना ही कामना करनी चाहिए।

माँ दुर्गा के मंत्र और उनका प्रभाव (Maa Durga Mantra)

मंत्र प्रभाव 
‘ॐ हुं फट्’जीवन में किसी भी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए तेज की वृद्धि के लिए
‘ॐ श्रीं श्रियै नम:’आर्थिक संपन्नता के लिए 
‘ॐ नमो भास्कराय मम् सर्वग्रहाणां पीड़ा नाशनं कुरु कुरु स्वाहा।’कुंडली में मौजूद अशांत ग्रहों की शन्ति के लिएमहादारिद्रय योग की समाप्ति के लिए  
‘ॐ परात्मन परब्रह्म मम् शरीरं, पाहि-पाहि कुरु-कुरु स्वाहा’ रोग से मुक्ति के लिए 
‘ॐ हं हनुमते नम:’भय का नाश करने के लिए आत्मशक्ति की वृद्धि के लिए 
‘ह्रीं ह्रीं ह्रीं’अपने परिवार की रक्षा के लिए 
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्‍म्यै नम:’ जीवन में माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए 
‘ॐ गं गणपतये नम:’ज्ञान की वृद्धि के लिए 

इस व्रत के बारे में यदि मन में कोई और सवाल है तो अभी करें ज्योतिषी मृगांक शर्मा से फोन पर बात

हम आशा करते हैं आपके लिए यह लेख उपयोगी साबित हुआ होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका आभार।

Dharma

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