हिंदू धर्म की प्रमुख धर्म नगरियों में से एक अयोध्या आजकल चर्चाओं में है। खबरों के अनुसार नवंबर के इस महीने में राममंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को उम्मीद है कि इस बार फैसला आने के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। खैर फैसला आने से पहले हम राममंदिर निर्माण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं। आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर हुए आंदोलन में जिस इंसान ने मुख्य भूमिका निभाई थी उसका नाम लालकृष्ण आडवाणी था।
आज लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है आज उनकी उम्र 92 साल हो चुकि है। आपको बता दें कि साल 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर एक रथ यात्रा शुरु की थी। इस रथ यात्रा ने भारत के सामाजिक परिदृश्य पर गहरा असर डाला था। उस वक्त राम मंदिर निर्माण आंदोलन का नेता लालकृष्ण आडवाणी आज अपना जन्म दिन मीडिया और भीड़-भाड़ से दूर कहीं मना रहे हैं और दूसरी तरफ राम मंदिर के फैसले को लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
आपको बता दें कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा 1980 में ही यह बात उठा दी गई थी कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिये। लेकिन किसी तरह का भी राजनीतिक रुप इसे उस समय नहीं दिया गया था। लेकिन बीजेपी के भीष्म पितामह कहे जाने वाले आडवाणी जी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई और उसके बाद लोकसभी चुनाव हुए तो बीजेपी को केवल 2 सीटें उस दौरान मिलीं। इसके बाद बीजेपी ने राममंदिर के मुद्दे को लेकर चल रहे आंदोलन को समर्थन दिया। अगले चुनाव से पहले बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा घोषणा पत्र में किया। इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 86 सीटें मिल गईं। आडवाणी को समझ आ गया था राम मंदिर निर्माण के बाद जनसमर्थन उनकी पार्टी को मिल सकता है। इसके बाद आडवाणी ने गुजरात से रथयात्रा 1980 में शुरु की और इसका अंतिम स्थान था अयोध्या।
आडवाणी ने रथ यात्रा के दौरान अपने भाषणों से लोगों को आकर्षित किया। उस दौरान वो हिंदुत्व के नेता बन गये थे। लाल कृष्ण आडवाणी के राजनीतिक जीवन का सबसे अहम साल रहा साल 1992। इस साल लाल कृष्ण आडवाणी की अगवाही में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई। अभी तक भी इस केस का मुकदमा लालकृष्ण आडवाणी पर चल रहा है। अब जबकि कहा जा रहा है कि राम मंदिर पर फैसला आने वाला है तो लालकृष्ण आडवाणी की नजरें भी जरुर इस खबर पर लगी होंगी। हो सकता है कि अयोध्या में राम मंदिर देखने का उनका सपना जल्द ही हकीकत का रुप लेने लगे। हालांकि वास्तविक स्थिति का पता आने वाला वक्त ही बताएगा।
हिंदू समुदाय के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय को भी सुप्रीम कोर्ट से यह उम्मीद है कि जो भी फैसला आएगा वो सबको संतुष्ट करेगा। राम मंदिर पर आने वाले फैसले से पहले ही अयोध्या और पूरे उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर दिये गये हैं।
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