‘मौत के देवता’ का है ये मंदिर, इसके अंदर जाने से डरता है हर इंसान

भारत श्रद्धा और भक्ति का देश माना जाता है।  केवल हिन्दू धर्म में ही इतने देवी-देवता होते हैं जिनके बारे में बात करने बैठे तो शायद उम्र कम पड़ जाए। जितने देवी-देवता उससे कई ज़्यादा संख्या में होते हैं उनके मंदिर। कहा जाता है कि ये मंदिर वाकई में भगवान का घर ही होते हैं तभी तो यहाँ बड़ी से बड़ी परेशानी का हल मिल जाता है, दिमाग में चल रही उथल-पुथल शांत हो जाती है, मन को शांति मिल जाती है।  ऐसे में हर इंसान मंदिर जाकर ख़ुशी का अनुभव करता है, लेकिन क्या आपने आजतक किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जिसके अंदर जाने से लोग डरते हो? नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताते हैं।

‘मौत के देवता’ का है ये मंदिर

अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर इस मंदिर में ऐसा क्या है जिससे लोग इसके अंदर जाने से डरते हैं? तो हम आपको बता दें कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ये मंदिर ‘मौत के देवता’ कहे जाने वाले यमराज का है। इस मंदिर में यमराज अकेले नहीं विराजते हैं बल्कि वो यहाँ अपने सहायक चित्रगुप्त के साथ विराजमान हैं| ये मंदिर दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक जगह पर स्थित है|  इस मंदिर में एक खाली कमरा है, इस कमरे के बारे में कहा जाता है कि इसमें चित्रगुप्त यमराज के साथ बैठे हुए हैं।

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है की चित्रगुप्त हर व्यक्ति के उसके जीवन काल में किये गए सभी कर्मो का लेखा जोखा संभालते है और उसके अनुसार ही उस व्यक्ति के मरने के बाद उसके आगे की अच्छी या बुरी यात्रा शुरू करते है।

यमराज के अलावा धर्मराज भी है इनका एक नाम

बहुत से लोग शायद अभी तक इस बात से अनजान हों कि यमराज का एक नाम धर्मराज भी होता है। जैसे की कहा जाता है ज़िंदगी का सबसे बड़ा सच यही है कि जो आया है वो जायेगा ज़रूर, ऐसे में इस धरती पर कब किस इंसान का समय पूरा हो चुका है और फिर उस इंसान को इस संसार से ले जाने का काम यमराज को ही सौंपा गया है | मौत के बाद यमराज ही उस आत्मा को उसके कर्मो के अनुसार उसकी आगे की यात्रा बताते हैं इसी वजह से उन्हें धर्मराज भी कहा जाता है।

अनोखी मान्यता :

जैसे की हिंदुओं के अनेकों मंदिरों से कोई ना कोई मान्यता जुड़ीं होती है वैसे ही इस मंदिर के बारे में भी एक मान्यता है जिसके अनुसार कहा जाता है कि किसी भी इंसान की मौत के बाद यमराज के दूत उस इंसान को सबसे पहले इसी मंदिर में लेकर आते हैं।  फिर इसी मंदिर में बैठकर चित्रगुप्त उनका लेखा-जोखा देखते हैं जिससे ये तय किया जाता है कि उस आत्मा को स्वर्ग भेजना है या नरक। इस वजह के चलते इस मंदिर का एक नाम ‘यमराज की कचहरी भी है।’

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 मंदिर के अंदर मौत देखने से डरते हैं लोग

जायज़ है जिस मंदिर के कुलपति यमराज हो वहां कोई भी इंसान जीते जी क्यों ही जाना चाहेगा? इसी वजह के चलते कहा जाता है कि लोग अपनी मौत के डर से इस मंदिर के अंदर जाने से बचते हैं।  उन्हें ये भय रहता है कि कहीं उन्हें अंदर मौत के देवता का दर्शन ना हो जाए। यही वजह है कि बहुत से लोग तो मंदिर के बाहर से ही अपनी सलामती की दुआ मांग कर लौट जाते है।