ढूंढ रहे हैं कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त, तो मई 2024 में ये तिथियां हैं सबसे शुभ!

ढूंढ रहे हैं कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त, तो मई 2024 में ये तिथियां हैं सबसे शुभ!

एस्ट्रोसेज के इस लेख के माध्यम से हम आपको मई 2024 के लिए कर्णवेध मुहूर्त की शुभ तिथियां एवं मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं। इस साल यदि आप भी अपनी संतान का कर्णवेध संस्कार करना चाहते हैं और इसके लिए कोई शुभ मुहूर्त की तलाश में है, तो हम आपको यहां मई 2024 में कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त की विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहे हैं। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं कर्णवेध संस्कार के बारे में। 

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धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से कर्णवेध संस्कार का महत्व

हिंदू धर्म में किये जाने वाले हर शुभ एवं मांगलिक काम के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव ज्योतिषियों द्वारा किया जाता है। शिशु के जन्म के छह महीने बाद अन्नप्राशन, कर्ण छेदन अनेक तरह के संस्कार किये जाते हैं। सोलह संस्कारों में से कर्णवेध को नौवां स्थान प्राप्त है और इसके अंतर्गत बच्चे का कर्णछेदन यानी कि कान छेदा जाता है और उसे कान में सोने या चांदी का तार पहनाया जाता है। ऐसे में, लड़के के दाएं और लड़की के बाएं कान को छेदने की परंपरा है। कहते हैं कि कर्णवेध संस्कार करने से बच्चे की सुनने की क्षमता तेज़ होती है और उसके जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। 

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मई 2024 के लिए कर्णवेध संस्कार के शुभ मुहूर्त

      तिथिमुहूर्त
1 मई, बुधवारपहला मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 57 मिनट से सुबह 08 मिनट 53 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 07 मिनट से शाम 06 बजकर 01 मिनट तक
6 मई, सोमवारसुबह 06 बजकर 38 मिनट से दोपहर 01 बजकर 08 मिनट तक
10 मई, शुक्रवारदोपहर 12 बजकर 52 मिनट से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक
12 मई, रविवारदोपहर 12 बजकर 44 मिनट से शाम 07 बजकर 38 मिनट तक
13 मई, सोमवारपहला मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 58 मिनट से शाम 07 बजकर 34 मिनट तक
19 मई, रविवारदोपहर 02 बजकर 34 मिनट से शाम 04 बजकर 51 मिनट तक
20 मई, सोमवारसुबह 09 बजकर 53 मिनट से शाम 04 बजकर 47 मिनट तक
23 मई, गुरुवारदोपहर 02 बजकर 19 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक

क्या है कर्णवेध करने की सही उम्र?

धर्मग्रंथों में कर्णवेध संस्कार को करने के लिए सही उम्र और समय का वर्णन किया गया है। बता दें कि शिशु के जन्म के महीने से 6, 7 या 8 महीने में या फिर बच्चे के विषम सालों में जैसे कि 1, 3 या 5 उम्र का होने पर किया जा सकता है। हालांकि, कर्णवेध संस्कार को शिशु के जन्म के तीन से पांच साल के भीतर भी कर सकते हैं।

कर्णवेध संस्कार से होने वाले लाभ

  •  ऐसा माना जाता है कि कर्णवेध संस्कार को करने से सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है और आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
  • इस संस्कार को करने से लकवा, हर्निया, बहरापन और मानसिक रोग आदि बिमारियों से सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
  • इस समारोह को करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है और शिशु को लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
  • मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह सुगमता से होता है और दिमाग तेज चलता है।
  • पौराणिक मान्यता के अनुसार, कर्णछेदन संस्कार को करने से शिशु का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
  • जीवन में आने वाले कष्ट एवं विपदा दूर होती हैं।

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