हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा रविवार के दिन पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जायेगा। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत की प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जैसा कि आप, सभी जानते हैं की, आज के दिन मुख्य रूप से जगह-जगह पर रावण दहन किया जाता है। आज दशहरा के शुभ अवसर पर हम आपको रावण से संबंधित मुख्य तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं कौन सी है वो जगह जहाँ रावण को लोग मानते हैं अपना दामाद और महिलाएं करती हैं उनकी पूजा।
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आज रावण दहन के साथ ही समाप्त होगी शारदीय नवरात्रि
हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि को दशहरा या विजय दशमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन आमतौर पर देश के अमूमन हिस्सों में रावण जलाया जाता है और रामलीला का आयोजन किया जाता है। हालांकि देश के कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहाँ रावण की पूजा जाती है, कुछ जगहों पर उनके मंदिर भी स्थापित हैं। दशहरा के पर्व का महत्व इसलिए भी है क्योंकि आज के दिन ही जहाँ एक तरफ भगवान् श्री राम ने रावण का वध किया था वहीं दूसरी तरफ माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के अंतर्गत हर दिन का एक ख़ास महत्व होता है। इन दिनों देवी माँ दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
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यहाँ माना जाता है रावण को दामाद
आमतौर पर रावण का नाम जब लिया जाता है तो मन में केवल लंका का ख्याल आता है। लेकिन भारत में एक ऐसी जगह है जिसका संबंध सीधे तौर पर लंकेश्वर से है। जी हाँ मध्यप्रदेश के मंदसौर को रावण का ससुराल माना जाता है। यही कारण है की प्राचीन समय में मंदसौर को दशपुर के नाम से भी जाना जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर ही था इस वजह से यहाँ के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। जहाँ एक तरफ देश के अन्य हिस्सों में दशहरा के दिन रावण को जलाया जाता है वहीं मंदसौर में साल भर रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर के खानपुर नाम के जगह पर रावण की विशाल प्रतिमा भी स्थापित है जहाँ हर दिन लोग उनकी पूजा के लिए आते हैं। यहाँ स्थापित रावण की प्रतिमा को करीबन चार सौ साल पुराना माना जाता है। रावण की ये प्रतिमा 41 फ़ीट ऊँची और विशाल है।
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दशहरा के दिन की जाती है रावण की पूजा
यहाँ आज के दिन विशेष रूप से रावण जलाने से पहले उनकी विधि पूर्वक पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंदसौर को विशेष रूप रावण की पत्नी मंदोदरी का ससुराल माना जाता है। इसलिए यहाँ की औरतें रावण की पूजा के दौरान घूंघट करती हैं। इसके साथ ही साथ आज दशहरा के दिन शाम के वक़्त रावण दहन से पहले रावण की पूजा की जाती है और उसके बाद ही उनकी प्रतिमा को जलाया जाता है। यहाँ की महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए विशेष रूप से रावण की पूजा करती हैं।
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