वास्तु शास्त्र का मानना है कि सभी दिशाओं पर किसी न किसी देवी-देवता का स्वामित्व है। यही वजह है कि किसी भी दिशा में रखी जाने वाली कोई भी वस्तु इन देवताओं को या तो प्रसन्न करती है या फिर नाराज। फलस्वरूप इन वस्तुओं से नकारात्मक या फिर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ये ऊर्जा उस स्थान पर रहने वाले जातकों को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, व्यावसायिक, पारिवारिक व सामाजिक रूप से प्रभावित करता है। यही वजह है कि आप जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो आपको अपने अंदर सकारात्मक या नकारात्मक बदलाव महसूस होता है।
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इन बातों से आपको समझ आ गया होगा कि वास्तु शास्त्र का हमारे और आपके जीवन पर कितना गहरा प्रभाव है। वास्तु शास्त्र की ये ऊर्जा न सिर्फ बड़े व व्यसक लोगों को ही प्रभावित करती है बल्कि बच्चों पर भी इसका असर होता है। वे बीमार रहते हैं या पढ़ाई में उनका ध्यान नहीं लगता है, आलस्य हावी रहता है, वगैरह वगैरह। बच्चों के साथ इन समस्याओं का एक कारण वास्तु दोष भी हो सकता है।
ऐसे में आज हम आपको इस लेख में स्टडी रूम से जुड़े कुछ आसान वास्तु उपाय बताने जा रहे हैं जिसे अगर अपनाया जाये तो बच्चों का मानसिक विकास होगा और वे पढ़ाई में पहले के मुक़ाबले बेहतर प्रदर्शन हासिल कर सकेंगे। अगर आपके घर में स्टडी रूम नहीं भी है तो आप इन वास्तु उपायों को वहां लागू कर सकते हैं, जहां बैठ कर आपके बच्चे पढ़ाई करते हैं।
स्टडी रूम से जुड़े वास्तु उपाय
- कभी भी बच्चों का पढ़ाई का कमरा दक्षिण या फिर दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे पढ़ाई में उनकी एकाग्रता नहीं रहती है। आपको बता दें कि दक्षिण दिशा पर मृत्यु के देवता यमराज का आधिपत्य है और दक्षिण पूर्व दिशा पर अग्नि देवता का।
- बच्चों के पढ़ाई का कमरा हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में बनवाएं। उत्तर-पूर्व दिशा पर भगवान सूर्य का आधिपत्य है। भगवान सूर्य तेज, शक्ति व रोशनी के द्योतक माने जाते हैं। यही वजह है कि ये दिशा मन, बुद्धि व विवेक को प्रभावित करती है।
- बच्चों के पढ़ाई के कमरे की दीवारें हमेशा सफेद, बादामी, हल्का फिरोजी या आसमानी रंग का रखना बेहतर होता है। कोशिश करें कि पढ़ाई की मेज यानी कि स्टडी टेबल भी इसी रंग की हो तो और भी बेहतर है। वहीं लाल, काले या गहरे नीले रंग से पढ़ाई के कमरे की दीवारों को पेंट नहीं करवाना चाहिए।
- बच्चों के पढ़ाई के कमरे में हमेशा भरपूर रोशनी होनी चाहिए। कम रोशनी से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे मन एक जगह स्थिर नहीं रहता और पढ़ाई में नीरसता आती है।
- पढ़ाई के लिए उपयोग की जाने वाली मेज हमेशा चौकोर आकार की होनी चाहिए। किसी अन्य आकार की मेज ध्यान केन्द्रित करने में समस्या पैदा करती है। खास बात ये भी है कि पढ़ाई की मेज के सामने कोई दरवाजा नहीं होना चाहिए।
- पढ़ाई के कमरे में उत्तर-पूर्व दिशा में शिक्षा की देवी माता सरस्वती और बुद्धि के दाता भगवान श्री गणेश की तस्वीर या फिर प्रतिमा लगानी चाहिए। शुभ फल प्राप्त होता है।
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