सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है इसलिए लोग अपने घर से लेकर ऑफिस तक को बनाते समय वास्तु का खास ध्यान रखते हैं। यही नहीं वास्तु शास्त्र में घर की हर छोटी से लेकर बड़ी वस्तु को रखने के कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यानी वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। साथ ही वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को अपनाकर आप सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगा सकते हैं।
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वास्तु शास्त्र विद्या प्राचीन काल से ही चली आ रही विद्या है जिसे वर्तमान में सुख समृद्धि पाने के लिए समझना बहुत जरूरी बताया गया है। वास्तु शास्त्र में घर बनाने से लेकर रहने तक के सारे नियम बताए गए है। लेकिन आज हम रसोई घर से संबंधित कुछ नियमों के बारे में एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में चर्चा करेंगे, जिनका ध्यान रखा जाना जरूरी है। तो आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किचन संबंधी वास्तु नियम के बारे में विस्तार से।
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वास्तु शास्त्र का महत्व
वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण से लेकर भवन में रखे जाने वाली प्रत्येक वस्तुएं, जो हमारे दैनिक जीवन में काम आती है उसके दिशा व नियम के बारे में जानकारी प्रदान करता है। वास्तु शास्त्र में पांच तत्व समाहित है। वास्तु शास्त्र पांचों तत्वों के सिद्धांत पर कार्य करता है और ये पंच तत्व इस प्रकार है- पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल और वायु है। वास्तु शास्त्र का हम सबके जीवन पर असर पड़ता है। वास्तुशास्त्र के नियमों को अच्छे से जानकर आप जीवन के तमाम तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं और साथ ही, शुभ अशुभ चीज़ों का भी पता लगा सकते हैं।
वास्तु शास्त्र को अपनाकर हम अपने रिश्तो को मधुर बना सकते हैं और आर्थिक जीवन को मजबूत बना सकते हैं। इसके अलावा, जीवन में आने वाली तमाम परेशानियों से भी छुटकारा पा सकते हैं। वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व बताया गया है। इसके जरिए हम अपने घर में एक खुशनुमा माहौल स्थापित कर सकते हैं तथा नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगा कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। इसका प्रभाव हमारे जीवन में हर क्षेत्र में पड़ता है। यदि घर का वास्तु शास्त्र सही होता है तो आपके जीवन में बरकत होती है तथा घर के सभी सदस्य रोगमुक्त रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, पहले हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग ही वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करते थे लेकिन आधुनिक युग में सभी लोग सुख शांति, समृद्धि और खुशहाल जीवन व्यतीत करने के लिए वास्तुशास्त्र को अपना रहे हैं।
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किचन में इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान
इस दिशा में बनाए खाना
रसोई घर यानी किचन में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यहां बनने वाला खाना हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और स्वस्थ रखता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर बना रसोई घर दक्षिण पूर्व यानी अग्नि कोण दिशा में होना सबसे अच्छा माना जाता है। वास्तु में बताया गया है कि किचन ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां से मुख्य दरवाजे के बाहर से किचन का चूल्हा न दिखाई दे। खाना बनाते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहना चाहिए क्योंकि यह दिशा ग्रहों के राजा सूर्य की दिशा मानी जाती है और जो बहुत ही उत्तम होती है।
रसोई घर की अलमारी की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई घर में स्लैब या बर्तन रखने की अलमारी को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। रसोई में उपयोग होने वाले मसालों और खाद्य पदार्थ को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए। वहीं ध्यान रखें कि किचन में बनी रोशनदान या खिड़कियां बड़ी होनी चाहिए। ताकि खाने का घुआं बाहर जाता रहें और किसी को समस्या न हो।
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बिजली उपकर की दिशा का रखें ध्यान
रसोई घर में बिजली के उपकरण जैसे माइक्रोवेव, मिक्सी आदि का विशेष ध्यान रखें क्योकि वास्तु के अनुसार, इनकी गलत दिशा सीधे व्यक्ति के स्वास्थ पर प्रभाव डालती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, बिजली उपकरणों को आप दक्षिण पूर्व कोने में रख सकते हैं। इसके अलावा, बर्तन स्टैंड या कोई अन्य भारी वस्तु दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। रसोई की पूर्व और उत्तर दिशा में कोई छोटा-मोटा सामान रखना चाहिए।
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इन बातों का भी रखें ध्यान
रसोई घर बनाते समय कुछ विशेष नियम है,जिसको ध्यान में जरूर रखना चाहिए अन्यथा यह व्यक्ति सहित पूरे परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है।
- कभी भी रसोई घर के ठीक सामने शौचालय नहीं होना चाहिए।
- वहीं शौचालय के ऊपर या नीचे भी किचन का होना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा होने पर घर परिवार के लोगो के स्वास्थ्य और उनकी आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- दक्षिण, उत्तर और पश्चिम दिशा की तरफ भी मुख करके भोजन नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने पर धन हानि होने की संभावना बढ़ जाती है। गैस से लेकर रसोईघर की नियमित सफाई करनी चाहिए।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पृथ्वी, आकाश, वायु, अग्नि और जल के तत्वों का उचित संतुलन होना अति आवश्यक है।
- वास्तु के अनुसार, अगर किचन में अनाज जैसे- गेंहू, चावल, दाल आदि रखना है तो पश्चिम या दक्षिण दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।
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