उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है। हर रोज़ यहाँ लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते है। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे हिंदू धर्म के अनेकों पवित्र स्थल यहाँ स्थित है, जिसकी वजह से दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं। उत्तराखंड में शिव का एक ऐसा धाम भी है, जो जिसकी महिमा और रहस्य इसे बेहद खास बनाता है। इस पवित्र स्थल का नाम है, “जागेश्वर धाम” या “जागेश्वर घाटी मंदिर”। वैसे तो भारत के अधिकतर राज्यों में देवो के देव महादेव के कई धर्म स्थल हैं, लेकिन इस धाम का वर्णन शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण में भी मिलता है। तो चलिए आज इस लेख में आपको “जागेश्वर धाम” के विषय में कुछ रोचक बाते बताते हैं –
2500 वर्ष पुराना है यह मंदिर
“जागेश्वर धाम” अलमोढ़ा से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। भगवान शिव का यह धाम लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यहां 124 बड़े और छोटे मंदिर हैं, साथ ही यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उत्तराखंड में स्थित इस मंदिर का उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी से 18 वीं शताब्दी तक की अवधि में हुआ है। इस मंदिर के मुख्य परिसर में मल्ला राजाओं का एक शिलालेख स्थित है, जो उनकी जागेश्वर के प्रति आस्था को दर्शाता है। जगरेश्वर मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर अलग-अलग प्रकार के शिलालेख देखने को मिलते हैं, जो कि संस्कृत और ब्राह्मी भाषा है।
केदारनाथ मंदिर की तरह आता है नजर
जागेश्वर को अपने आकर्षक मंदिर परिसर के लिए जाना जाता है। जागेश्वर धाम के विषय में यह कहा जाता है, कि यही पर भगवान शिव और सप्तऋषियों ने अपनी तपस्या की शुरुआत की थी और इसी जगह से ही शिव रुपि लिंग की पूजा की जाने लगी थी। इस मंदिर को गौर से देखने पर इसकी बनावट बिल्कुल केदारनाथ मंदिर की तरह लगती है। यहां जाने वाले लोगों को जगरेश्वर मंदिरों और उनके राजवंशों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलता है। यहां का सबसे विशाल और प्राचीनतम ‘महामृत्युंजय शिव मंदिर’ मुख्य मंदिरों में से एक है। जागेश्वर धाम में इसके अलावा भैरव, माता पार्वती,केदारनाथ, हनुमान, मृत्युंजय महादेव, माता दुर्गा के मंदिर भी विद्यमान है।
कैसे पहुंचे जागेश्वर धाम
जागेश्वर धाम सड़क मार्ग से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां का नज़दीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो यहां से लगभग 170 किलोमीटर दूर है। जागेश्वर से 150 किमी. दूर आपको यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम मिल जायेगा। अल्मोड़ा शहर से जागेश्वर धाम तक पहुंचने में आपको लगभग डेढ़ घंटा लगता है। यहां रुकने के लिए कुमाऊँ मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस भी है, और यहां से लगभग 2 किमी दूर पर कई होटल भी हैं।
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