पितृपक्ष के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान वर्ना हो सकता है नुक़सान !

हिन्दूधर्म में पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और पिंडदान का विशेष महत्व है। इस साल 13 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक पितृपक्ष है। इस दौरान विशेष रूप से पितरों की पूजा की जाती है। पितृपक्ष के दौरान खासतौर से पिंडदान और तर्पण को विशेष महत्व दिया जाता है। आज हम आपको पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप ध्यान रखने वाले कुछ अहम बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान विधि विधान के साथ पितरों की पूजा की जाती है, इसलिए विशेष ध्यान रखना चाहिए की आप सभी क्रिया विधि पूर्वक कर रहे हैं या नहीं । आइये जानते हैं इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण माना जाता है।

पितृपक्ष के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना जाता है

पितृपक्ष के दौरान पितरों के आत्मा की शांति की लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है। बता दें कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि पितृपक्ष में पितरों की पूजा ना की जाए तो इससे पूर्वजों को मृत्युलोक में जगह नहीं मिलती है और उनकी आत्मा भटकती रहती है। इसलिए इस दौरान खासतौर से विधि पूर्वक पितृपक्ष के दौरान पूजा अर्चना करनी चाहिए और पिंडदान करना चाहिए। इस दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना जाता है।

  • पितृपक्ष में पितरों की पूजा के दौरान इस बात का ख़ास ध्यान रखें की भूलकर भी लोहे के बर्तन का इस्तेमाल ना करें। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का इस्तेमाल करने से परिवार पर उसका अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस दौरान विशेष रूप से तांबा, पीतल या अन्य धातु के बर्तन का ही इस्तेमाल करें। 
  • पितृपक्ष के दौरान यदि आप अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने जा रहे हैं तो इस दौरान शरीर पर ना तो तेल लगाएं और ना ही पान का सेवन करें। इसके साथ ही साथ किसी अन्य व्यक्ति के घर का खाना ना खाएं। 
  • इस समय शुभ कामों को करना और घर में नयी चीजों का खरीदा जाना अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष का समय पितरों के लिए शोक मनाने का होता है इसलिए इस दौरान शुभ काम नहीं करना चाहिए। 
  • पितृपक्ष के दौरान दरवाजे पर आने वाले भिखारी या किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराये ना जाने दें। इसके साथ ही साथ घर के छत पे पक्षी और पशु पक्षियों के लिए खाना रखें। माना जाता है कि इस दौरान पूर्वज किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं। 
  • जो पुरुष इस दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं उन्हें विशेष रूप से इस बात का ख़ास ध्यान रखना चाहिए की इस दौरान अपने दाढ़ी और बाल ना कटवाएं। शास्त्रों के अनुसार इस पंद्रह दिन एक अंतराल में बाल और दाढ़ी कटवाने से व्यक्ति को धन की हानि हो सकती है। 
  • पितृपक्ष के दौरान घर पर ही सात्विक भोजन तैयार कर पितरों को भोग लगाना चाहिए। 
  • ध्यान रखें यदि आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो उस दिन ही पिंडदान करें अन्यथा पितृपक्ष के आखिरी दिन यानि की 28 सितंबर को पिंडदान या तर्पण क्रिया को संपन्न करें।