ज्योतिष शास्त्र मानता है कि दुनिया में जो कुछ भी घट चुका है या घट रहा है या फिर घटने वाला है, ये सब ग्रहों की स्थिति व उनके चाल पर निर्भर करता है। कोई भी जातक अपने जन्म तिथि, समय और स्थान की मदद से अपनी कुंडली तैयार कर सकता है और ग्रहों की स्थिति से कोई भी विद्वान ज्योतिष उसे उसके आने वाले भविष्य के अच्छे-बुरे समय की जानकारी दे सकता है। लेकिन उनका क्या जिनके पास उपरोक्त कोई भी जानकारी न हो।
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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में कुछ खास लक्षण बताने वाले हैं जिन्हें देख कर आप पता लगा सकते हैं कि इस समय आपकी कुंडली में कौन सा ग्रह कमजोर अवस्था में है।
सूर्य
सूर्य को सभी ग्रहों के बीच राजा का दर्जा प्राप्त है। एक जातक की कुंडली मे सूर्य पिता का कारक होता है। ऐसे में जिन जातकों की अपने पिता से अनबन रहती है, वैसे जातकों को अपने जीवन में सूर्य शांति के उपाय करने चाहिए।
चंद्रमा
चंद्रमा मन-मस्तिष्क का कारक माना जाता है। ऐसे में जिस जातकों का मन बेचैन रहता है। मस्तिष्क संबंधी बीमारियाँ परेशान करती हैं या फिर माँ से अच्छे संबंध नहीं हैं। ऐसे जातकों को चंद्रमा के शांति के उपाय अपनाने चाहिए।
मंगल
मंगल को सभी ग्रहों के बीच सेनापति का दर्जा प्राप्त है। मंगल यदि कमजोर हो तो जातकों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। शत्रु प्रबल होते हैं। साथ ही ऐसा जातक स्वभाव से क्रूर और निर्दयी हो जाता है। यदि किसी भी जातक में ये लक्षण हैं तो उसे मंगल शांति के उपाय अपनाने चाहिए, शुभ फल प्राप्त होगा।
बुध
बुध किसी भी जातक की कुंडली में बुद्धि और वाणी का कारक माना जाता है। जिन जातकों का बुध कमजोर होता है उन्हें गणित समझने में समस्या होती है। दूसरों से बात करने में असहज हो जाते हैं। वाणी संबंधी दोष रहता है। साथ ही त्वचा संबंधी बीमारियां परेशान करती हैं। ऐसे में इन जातकों को बुध शांति के उपाय करने चाहिए।
बृहस्पति
बृहस्पति को सभी ग्रहों के बीच गुरु का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर होता है उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कम उम्र में ही बाल झड़ने की समस्या से दो चार होना पड़ता है। साथ ही गंभीर स्थिति में ऐसे जातक पीलिया रोग का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे में इन जातकों को बृहस्पति शांति के उपाय करने चाहिए।
शुक्र
शुक्र भौतिक सुखों के स्वामी हैं। अगर किसी जातक को वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही है तो इसका अर्थ है कि उस जातक का शुक्र कमजोर है। साथ ही तमाम साधन रहने के बावजूद यदि कोई जातक जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहता है तो ये शुक्र के कमजोर होने के लक्षण हैं। शुक्र का कमजोर होना गुप्तांग संबंधी बीमारियों को भी जन्म देती है। ऐसे में इन जातकों को शीघ्र ही शुक्र शांति के उपाय करने चाहिए।
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शनि
शनि को सभी नौ ग्रहों में पापी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। शनि यदि कमजोर हो तो ऐसे जातकों का जीवन परेशानियों से भर जाता है। ऐसे जातकों को अत्यधिक कोशिशों के बावजूद भी किसी कार्य में सफलता हासिल नहीं होती है। साथ ही इन जातकों पर कर्ज़ों का बोझ बढ़ता ही चल जाता है। ऐसे जातक शीघ्र ही शनि शांति के उपाय करें।
राहु
राहु यदि किसी जातक के कुंडली में कमजोर अवस्था में है तो ऐसा जातक विवेक से कोई भी फैसला लेना बंद कर देता है। उसे शराब और जुए की लत लग जाती है और साथ ही गलत तरीके से धन अर्जित करने के ख्याल उसके मन में आते रहते हैं। यदि ऐसा जातक कोई कुत्ता पालता है तो अकस्मात ही उसके कुत्ते की मौत हो जाती है। ऐसे जातकों को राहु शांति के उपाय करने चाहिए।
केतु
केतु का यदि किसी जातक पर प्रभाव हो तो उसे दर्द और मूत्र संबंधी बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसे जातकों के मन में हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है और ये हमेशा किसी तरह के ख्याल में ही खोये हुए से रहते हैं। ऐसे जातकों को जल्द से जल्द केतु शांति के उपाय करने चाहिए।
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