रविवार के दिन सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे जहां चंद्रमा पहले से ही उपस्थित है। इसलिए मीन राशि में इन दोनों ग्रहों की युति होगी। इसलिए इन दोनों ग्रहों की युति का कई लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस गोचर से किन राशि के लोगों को लाभ प्राप्त होगा।
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सूर्य-चंद्रमा युति का महत्व
सूर्य को ज्योतिष में पिता का कारक ग्रह माना जाता है जबकि चंद्रमा माता का कारक कहा जाता है। इन दोनों की कुंडली में युति होने से व्यक्ति भावनात्मक रूप से कई बार डामाडोल स्थिति में हो सकता है। हालांकि इन दोनों के संयोजन से व्यक्ति के अंदर मजबूत इच्छाशक्ति देखने को मिल सकती है। सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है और चंद्रमा को पानी का। आग और पानी जब साथ में मिलते हैं तो भाप का निर्माण होता है, इस युति के चलते व्यक्ति में भी एक अलग तरह की ऊर्जा देखने को मिलती है। हालांकि इस युति को अमावस्या योग के नाम से भी जाना जाता है और कहा जाता है कि इस युति में चंद्रमा के प्रभाव कम हो जाते हैं। लेकिन बावजूद इसके भी इस युति से कई शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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आम जन जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में 12 वीं राशि एकांत, मोक्ष का प्रतिनिधित्व भी करती है। सूर्य और चंद्रमा क्रमश: आत्मा और मन के कारक हैं इसलिए मीन राशि में इन दोनों ग्रहों की युति के चलते व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान में भी वृद्धि होती है। इसलिए इस युति के दौरान कुछ लोग धर्म, कर्म और आध्यात्मिक गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते हैं। वहीं कुछ जातक अपने जीवन में संतुलन लाने के लिए योग-ध्यान का सहारा ले सकते हैं। मीन देव गुरु बृहस्पति की राशि है इसलिए इस युति से ज्ञान अर्जित करने की ओर लोगों का ध्यान रहेगा। इस युति में सिंह, कर्क और मीन राशि के जातकों के जीवन में विशेष परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
इन राशियों को मिलेगा शुभ परिणाम
वृषभ, मिथुन, कर्क, मकर राशि के जातकों के लिए यह संयोजन काफी अच्छा हो सकता है। इससे इनको अपने जीवन में प्रगति देखने को मिलेगी। अटके काम इस दौरान पूरे हो सकते हैं। इसके साथ ही आपमें ऊर्जा की अधिकता भी इस दौरान देखने को मिल सकती है। आप व्यावहारिक रूप से भी इस दौरान बेहतर हो सकते हैं।
सूर्य-चंद्र युति के शुभ फल पाने के लिए करें यह उपाय
इस युति को वैदिक ज्योतिष में अमावस्या दोष के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इससे बचने के लिए उपाय किये जाने चाहिए। इस दोष को कम करने के लिए आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देकर भी इस दोष के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।
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