इस साल यानी कि साल 2021 में रामनवमी अप्रैल महीने के 21 तारीख को पड़ रही है। यूँ तो सनातन धर्म में भगवान राम बहुत पूजनीय हैं और उनके असंख्य भक्त भी हैं लेकिन भगवान हनुमान से बड़ा रामभक्त कोई नहीं है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में वो कथा बताएंगे जब भगवान राम ने भगवान हनुमान को नागलोक भेज दिया था लेकिन उससे पहले रामनवमी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आपको दे देते हैं।
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रामनवमी तिथि, दिन और शुभ मुहूर्त
तिथि : 21 अप्रैल 2021
दिन : बुधवार
रामनवमी मुहूर्त : 11:02:08 से 13:38:08 तक
अवधि : 02 घंटे 36 मिनट
जब भगवान हनुमान को नागलोक जाना पड़ा
भगवान हनुमान प्रभु श्री राम के सबसे बड़े भक्त हैं। यह बात स्वयं प्रभु श्री राम भी जानते थे इसलिए ही उन्होंने हनुमान जी को अपने भाई भरत के समतुल्य भी कहा। जैसा कि हम सब को पता है कि भगवान राम भगवान विष्णु का मनुष्य अवतार थे और मनुष्य योनि की नियति मृत्यु है।
ऐसे में भगवान राम को भी यह बात पता थी कि एक दिन उन्हें वापस विष्णु लोक जाना होगा लेकिन वो तब तक ऐसा नहीं कर सकते थे जब तक कि हनुमान जी वहां मौजूद रहते। चूँकि हनुमान जी ही भगवान श्री राम के द्वारपाल थे ऐसे में मृत्यु देवता भी भगवान राम को छूने से डरते थे।
मान्यता है कि जब भगवान राम को यह एहसास हुआ कि अब उनका समय धरती पर पूरा हो चुका है और अब उन्हें वापस लौट जाना चाहिए तब भगवान श्री राम ने अपनी एक अंगूठी महल की एक दरार में जानबूझ कर गिरा दी। फिर उन्होंने हनुमान जी को बुला कर यह आदेश दिया कि वे उस अंगूठी को ढूंढ कर लाएं। भगवान हनुमान ने प्रभु श्री राम का आदेश पाकर सूक्ष्म रूप धारण किया और वे उस दरार में प्रवेश कर गए। लेकिन जब वो नीचे पहुंचे तो उन्होंने पाया कि वो महज एक दरार नहीं है बल्कि एक सुरंग है जो कि नागलोक तक जाती है।
ऐसे में हनुमान जी भगवान श्री राम की अंगूठी ढूंढते-ढूंढते नागलोक तक पहुँच गए जहाँ उन्हें नागलोक के राजा वासुकी मिले। वासुकी ने हनुमान जी को नागलोक में देख कर उनसे उनके आने की वजह पूछी तो हनुमान जी ने बताया कि वो भगवान श्रीराम की अंगूठी ढूंढने वहां आये हैं। तब वासुकी उन्हें एक ऐसी जगह लेकर जाते हैं जहाँ अंगूठियों का ढेर लगा रहता है। वासुकी हनुमान जी से कहते हैं कि अगर नाग लोक में प्रभु श्री राम की कोई अंगूठी आयी होगी तो वह इसी ढेर में होगी। हनुमान जी उस ढेर को देख कर परेशान हो उठते हैं और सोचने लगते हैं कि इस अंगूठी के ढेर से प्रभु श्री राम की अंगूठी को ढूंढने में जाने कितना वक़्त लग जाएगा। मगर हनुमान जी के अनुमान के ठीक विपरीत उस ढेर की पहली अंगूठी ही भगवान श्री राम की निकलती है। हनुमान जी को यह देख कर बड़ा आश्चर्य होता है और उत्सुकता में वो दूसरी अंगूठी भी उठाते हैं। दूसरी अंगूठी को देखकर वे और भी हैरान हो जाते हैं क्योंकि वह दूसरी अंगूठी भी प्रभु श्री राम की होती है। दरअसल वहां रखी सारी अंगूठियां प्रभु श्री राम की ही थी।
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यह देखकर हनुमान जी परेशान होकर वासुकी जी को देखने लगते हैं। तब वासुकी जी हनुमान जी को देखकर मुस्कुराने लगते हैं और उनसे कहते हैं कि मनुष्यों को एक न एक दिन इस धरती लोक से जाना ही पड़ता है और प्रभु श्रीराम भी इससे अछूते नहीं है। यह सुनकर हनुमान जी को यह समझ में आ जाता है कि प्रभु श्री राम ने यह लीला इसलिए दिखाई ताकि हनुमान जी का ध्यान भटक सके और वे आसानी से विष्णु लोक वापस जा सकें। इस बात का एहसास होते ही हनुमान जी दुखी हो जाते हैं और वासुकी जी से कहते हैं कि जब उनके प्रभु श्री राम ही अयोध्या में नहीं रहे तो वे अब अयोध्या जाकर क्या करेंगे। कहा जाता है कि इस घटना के बाद हनुमान जी अयोध्या छोड़ कर हिमालय की तरफ चले जाते हैं और कभी लौट नहीं आते हैं।
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