हनुमान जी संकट को हरने वाले देवता हैं। मान्यता है कि वो भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं। यही वजह है कि जिस तरह भगवान शिव को उनके निष्कपट मन और अत्यंत दयालु होने की वजह से भोले बाबा कहा जाता है, उनके अवतार भगवान हनुमान भी काफी भोले थे। रामायण का एक बहुत ही प्रचलित प्रसंग है जो यह बताता है कि हनुमान जी के हृदय में अपने आराध्य प्रभु श्री राम के लिए कितनी श्रद्धा है और मन से हनुमान जी कितने भोले हैं। मान्यता है कि रामायण की इसी घटना के बाद भगवान हनुमान को सिंदूर का चोला चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। आज इस लेख में हम आपको रामायण की उसी कथा के बारे में बताने वाले हैं।
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जब हनुमान जी सिंदूर लगाकर श्री राम के दरबार पहुंचे
मान्यता है कि एक बार हनुमान जी प्रभु श्री राम का कोई संदेश लेकर माता सीता के पास पहुंचे। जब हनुमान जी उन्हें प्रभु श्री राम का संदेश दे रहे थे तब माता सीता श्रृंगार कर रही थीं। इसी दौरान उन्होंने माथे पर सिंदूर भी लगाया। अब हनुमान जी तो ठहरे बाल ब्रह्मचारी। उन्हें कहाँ पता विवाह से जुड़े रीति-रिवाजों के बारे में। ऐसे में माता सीता को सिंदूर लगाते देखकर हनुमान जी के मन में जिज्ञासा जगी। बेहद ही संकोचित भाव में उन्होंने माता सीता से सिंदूर लगाने का कारण पूछा।
हनुमान जी की जिज्ञासा देख कर माता सीता ने उन्हें बताया कि वो माथे पर सिंदूर इसलिए लगाती हैं क्योंकि यह लाल रंग भगवान राम को बहुत प्रिय है और साथ ही यह इस बात की प्रार्थना भी है कि प्रभु श्री राम दीर्घायु हों। यह सुनकर हनुमान जी वहाँ से कुछ सोचते हुए निकल गए और कुछ देर बाद जब प्रभु श्री राम के दरबार में पहुंचे तो उनके पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप लगा था।
हनुमान जी को इस रूप में देखकर प्रभु श्रीराम ने उन से इसका कारण पूछा। तब हनुमान जी कहते हैं,
प्रभु श्री राम, माता आपकी लंबी आयु के लिए माथे पर सिंदूर का टीका लगाती हैं। वो तो देवी हैं, उनकी एक चुटकी ब्रह्मांड के बराबर है लेकिन मैं ठहरा एक तुच्छ वानर, यदि मैं भी आपकी लंबी आयु चाहता हूँ तो मुझे सिर्फ मस्तक नहीं बल्कि पूरे शरीर पर सिंदूर लगाना होगा।
हनुमान जी की यह बात सुनकर प्रभु श्री राम ने उन्हें गले से लगा लिया और माता सीता ने उन्हें हृदय से आशीर्वाद दिया। बस इस दिन के बाद से ही हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है। इस वजह से आप देखेंगे कि हनुमान जी की पारंपरिक मूर्तियों पर सिंदूर का लेप भी लगाया जाता है। रामायण का यह प्रसंग भक्ति परंपरा में मिलता है।
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मान्यता है कि जो भी भक्त भगवान हनुमान को सिंदूर का चोला अर्पित करता है, हनुमान जी उस पर अति प्रसन्न होते हैं और उसके सारे दुख हर लेते हैं। शनि से पीड़ित जातकों को हनुमान जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
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