शनिदेव यानी शनि ग्रह को नवग्रहों में न्यायाधीश माना गया है। शनि को यह उपाधि भगवान शिव ने प्रदान की है। शनि की दृष्टि से मनुष्य ही नहीं देवता भी भयभीत रहते हैं। इसका अर्थ ये है कि शनि की दृष्टि से देवता भी नहीं बच पाते हैं। इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं शनि ग्रह को शांत करने के उपाय और शनि ग्रह की शुभता हासिल कैसे करें, इस बात की जानकारी भी हम आपको यहाँ प्रदान कर रहे हैं। अपनी कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति या शनि ग्रह शांति के उपाय जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर करें बात।
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि ग्रह की अशुभताओं में कमी आती है। शनि ग्रह जब किसी की जन्म कुंडली में अशुभ होते हैं, तो उसे कई प्रकार की परेशानियां देते हैं। इसके साथ ही शनि महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान भी बुरे फल प्रदान करते हैं। शनि ग्रह को यदि शांत न किया जाए, तो जीवन में विभिन्न प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या के दौरान शनि को शांत रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन स्थितियों में शनि सबसे अधिक परेशान करते हैं। शनि साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या में व्यक्ति को शिक्षा, करियर, व्यापार, सेहत और दांपत्य जीवन आदि से जुड़ी समस्याएं प्रदान करते हैं। शनि अशुभ होने पर हर कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। व्यक्ति को हानि होने लगती है, संबंध भी खराब होने लगते हैं। व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ जाता है। जमा पूंजी नष्ट हो जाती है और धन आदि से जुड़ी समस्याएं व्यक्ति को घेर लेती हैं इसलिए शनि को शुभ रखना अत्यंत आवश्यक माना गया है।
शनिदेव कौन हैं?
ज्योतिष शास्त्र में शनि को एक शक्तिशाली ग्रह माना गया है। शनि को न्याय करने वाला ग्रह कहा गया है। शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर अच्छे और बुरे फल प्रदान करते हैं। शनि देव सूर्य देव की संतान हैं। शनिदेव सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। शनिदेव की अपने पिता सूर्य से नहीं बनती है।
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भगवान शिव के भक्त हैं शनिदेव
शनिदेव भगवान शिव के भक्त हैं। शनिदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनि को सभी ग्रहों में न्यायाधीश का दर्जा प्रदान किया। शनि को पृथ्वीलोक का न्यायाधीश माना जाता है। शनि स्तोत्र में शनि को सभी ग्रहों का राजा भी कहा गया है। शनि काल भैरव की पूजा से बहुत जल्दी शांत होते हैं, इसके साथ ही हनुमान पूजा से भी प्रसन्न होते हैं। काल भैरव और हनुमान जी, भगवान शिव के ही अवतार हैं।
शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या
वर्तमान समय में धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या है। इस वर्ष शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं है। वर्तमान समय में शनि मकर राशि में विराजमान है। जहां पर देव गुरू बृहस्पति भी बैठे हुए हैं। शनि को मकर राशि का स्वामी माना गया है। जबकि यह गुरु की नीच राशि है। गुरू और शनि की युति से नीच राजयोग भंग का निर्माण भी हो रहा है।
शनिदेव को कैसे शांत करें
शनिदेव को शांत करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। शनिवार के दिन नजदीक शनि मंदिर में शनिदेव की पूजा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को शनि से जुड़ी चीजों का दान करना चाहिए। शनिवार के दिन लोहा, काली उड़द, काले तिल, सरसो के तेल आदि का दान करना चाहिए। इससे शनिदेव शांत होते हैं और अपनी अशुभता को कम करते हैं। आपकी व्यक्तिगत कुंडली में शनि की स्थिति कैसी है, उसका आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा और शनि संबंधी दोष को दूर करने के लिए आपको क्या करना चाहिए, ये विस्तार से जानने के लिए आप शनि रिपोर्ट ऑर्डर कर सकते हैं।
इन चीजों का दान करना चाहिए
- काले वस्त्र
- काला कंबल
- काला छाता
- जामुन
- काली गाय, गोमेद
- काले जूते
- भैंस
- नीलम
शनि की अशुभता से बचना है तो इन बातों को याद रखें
शनिदेव को प्रसन्न रखना है तो कुछ बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। परिश्रम करने वालों का सदैव सम्मान करना चाहिए। निर्धन और मेहनत करने वालों का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। पशुओं को पीड़ा नहीं पहुचानी चाहिए।
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शनिवार को इन मंत्रों का जाप करना चाहिए
शनिवार को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों का जाप करने से शनि की अशुभता दूर होती है-
1- ऊँ शं शनैश्चराय नम:
2- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
3- ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम् यमाग्रजम्। छाया मार्तण्डसंभूतं। तम् नमामि शनैश्चरम्।।
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