शनिवार विशेष : यहाँ जानें क्यों चढ़ाया जाता है शनिदेव को तेल !

शनिवार के दिन मुख्य रूप से शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है। शनि देव के महत्व को वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म, दोनों में महत्वपूर्ण माना जाता है। जहाँ हिन्दू धर्म में शनिदेव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है वहीं वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनिदेव को नवग्रहों में कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। शनिदेव के मंदिरों में खासतौर से शनिवार के दिन तेल चढ़ाया जाता है। आज हम आपको शनिदेव को तेल चढ़ाये जाने के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता है तेल और क्या है इसका महत्व। 

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कैसे हुई शनिदेव को तेल चढ़ाने की प्रथा की शुरुआत 

एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि, एक बार अपने अहंकारी स्वभाव की वजह से बल प्रयोग से सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था। इन नवग्रहों में से एक शनिदेव भी थे, शनिदेव को रावण ने कारागार में उल्टा लटका दिया था। रामायण काल में जब रावण ने सीता माता का हरण कर उन्हें कैद कर लिया तो हनुमान जी भगवान् श्री राम का संदेश लेकर लंका गए थे। हनुमान जी को महज एक बानर समझ कर रावण ने उनकी पूँछ में आग लगा दी थी, जिसके बाद संपूर्ण लंका को हनुमान जी ने जला डाला। इसी दौरान उन्होनें बंदी सभी नवग्रहों को भी रावण की कैद से मुक्त करवाया था। चूँकि शनिदेव को उल्टा लटकाया गया था इसलिए उनके पूरे शरीर में काफी दर्द था। उनकी पीड़ा देख हनुमान जी ने तेल से उनकी मालिश की थी। इसके बाद से ही शनि देव ने कहा की जो कोई भी उन्हें तेल अर्पित करेगा उसे शुभ फलों की प्राप्ति अवश्य होगी। ऐसी मान्यता है कि, इस घटना के बाद से ही शनिदेव को तेल अर्पित करने की परंपरा की शुरुआत हुई। 

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इस वजह से भी चढ़ाया जाता है शनिदेव को तेल 

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शनिदेव को हनुमान जी के प्रति जलन की भावना मन में आगयी थी। उन्होनें हनुमान जी को अपने पराक्रम और साहस का परिचय देने के लिए युद्ध के लिए ललकारा। हनुमान जी की कीर्ति से मन में पैदा होने वाले अवग्रहों को दूर करने के लिए शनिदेव हनुमाना जी के पास पहुंचे। उस वक़्त हनुमान जी प्रभु श्री राम की साधना में मग्न थे। इसके वाबजूद शनिदेव ने आव देखा ना ताव और हनुमान जी के ऊपर प्रहार कर दिया। प्रभु भक्ति में लीन हनुमान जी का ध्यान टूटा और उन्हें शनिदेव की इस हरकत पर काफी क्रोध आया। इसके बाद दोनों में युद्ध आरंभ हो गया और शनिदेव को हनुमान जी से मुँह की खानी पड़ी। हनुमान जी से युद्घ में हारने के बाद शनिदेव के शरीर में काफी पीड़ा हुई। शनिदेव को दर्द में कराहते देख हनुमान जी ने शनिदेव के शरीर पर तेल से मालिश किया। इसके बाद से ही शनिदेव ने कहा ही जो भी भक्त उन्हें तेल अर्पित करेंगे वो उनकी सभी पीड़ा को हरकर उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेंगे। 

बहरहाल इन दो घटनाओं के बाद से ही शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।