Shani 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों का संबंध न सिर्फ हमारे दैनिक जीवन से होता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य से भी होता है। हर ग्रह किसी न किसी बीमारी के कारक होते हैं। यदि कुंडली में कोई भी ग्रह मजबूत स्थिति में होता है, तो जातक को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। जबकि कमजोर ग्रह होने पर वह नकारात्मक परिणाम मिलते हैं और इन्हीं परिणामों में बीमारियां भी शामिल हैं।
आइए इसी क्रम में जानते हैं कुंडली में शनि की कमजोर स्थिति होने पर कौन सी बीमारी हो सकती है और उसके उपचार के लिए कौन अचूक उपाय किए जा सकते हैं।
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ज्योतिष में शनि का महत्व
ज्योतिष में शनि को उग्र, कठोर और क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि देव का नाम आते ही मन में एक डर पैदा हो जाता है क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि शनि हमेशा नकारात्मक परिणाम ही देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। शनिदेव इंसान को कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं इसलिए इन्हें ‘न्याय का देवता’ भी कहा जाता है। यदि कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत हो तो जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। हालांकि वहीं पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों को पैदा करते हैं।
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शनि का स्वास्थ्य समस्याओं से संबंध
सभी ग्रहों में शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह है। जिस कारण से इनका प्रभाव जातकों के ऊपर लंबे समय तक रहता है और शनि के अशुभ प्रभाव के कारण होने वाली बीमारी भी लंबे समय तक चलती है। शरीर के मुख्य अंगों जैसे हड्डियों, पैर, दांत, मांसपेशियों, बाल, जोड़ों, आंतों और नाखूनों पर शनि का प्रभाव सबसे अधिक होता है।
शनि वात रोग यानी वायु से होने वाले रोगों के कारक हैं और इसे शुष्क और ठंडे ग्रह के रूप में भी जाना जाता है जिसके परिणामस्वरूप इससे प्रभावित जातक को ठंड, कफ और अस्थमा आदि बीमारी होने की संभावना होती है। आइए अब विस्तार से जानते हैं शनि से जनित अन्य बीमारियों के बारे में।
- शनि विशेष रोग कारक ग्रह है जिसके द्वारा दीर्घकालीन रोगों की उत्पत्ति होती है।
- जन्मजात विकृतियां अधिकतर शनि के कारण ही होती हैं। इसके अलावा खराब पाचन व कमजोरी भी अशुभ शनि के परिणाम हैं।
- कुंडली में शनि ग्रह के कमजोर होने पर हड्डियों से संबंधित रोग जैसे गठिया, जोड़ों में दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी का कैंसर आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
- इसके अलावा कई लाइलाज बीमारी जैसे- पार्किंसंस, मल्टीपल स्केलेरोसिस, मूवमेंट डिसऑर्डर, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, मायोसाइटिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
- कई बार शनि के अशुभ प्रभाव के कारण जातक को कुष्ठ रोग, लकवा, पागलपन, किसी अंग की खराबी, लिवर रोग, लिवर कैंसर, पैरों का लड़खड़ाना, लसीका फाइलेरिया आदि से संबंधित बीमारी भी हो सकती है।
- शनि के कारण पैरों व आंतों से संबंधित लाइलाज बीमारी हो सकती है। इसके अलावा मानसिक बीमारियां भी होने की आशंका होती है।
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शनि से जुड़े आसान ज्योतिषीय उपाय
- एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें और स्वच्छता पर ध्यान दें।
- सुबह पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर 15 से 20 मिनट के लिए ध्यान करें।
- घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए ताजी हवा को अंदर आने दें और हर शनिवार को खारे पानी से पूरे घर को साफ करें।
- प्रत्येक शनिवार को काले तिल, उड़द दाल और सरसों का तेल दान करें।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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