कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को “रूप चतुर्दशी” का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन को रूप चौदस, नरक चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। रूप चौदस का दिन रूप निखारने के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है, इसीलिए इस दिन प्रातःकाल या शाम के समय चंद्रमा की रौशनी में उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने से भी व्यक्ति के रूप में वृद्धि होती है। वहीं इस दिन यमराज का भी तर्पण किया जाता है और इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। तो चलिए जानते हैं इस लेख में कि साल 2020 में रूप चतुर्दशी कब है, साथ ही आपको बताते हैं रूप चतुर्दशी स्नान का शुभ मुहूर्त, महत्व और कुछ उपाय जो आप रूप चतुर्दशी के दिन कर रूप की प्राप्ति कर सकते हैं।
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रूप चतुर्दशी की तिथि
इस साल 14 नवंबर को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस का त्यौहार मनाया जायेगा। मान्यता है कि इस दिन स्नान शुभ मुहूर्त में विधिवत स्नान करने से व्यक्ति को सौंदर्य की प्राप्ति होती है। श्रीब्रह्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति प्रात:काल स्नान करता है, वह हमेशा निरोगी और जीवन भर सुखी और संतुष्ट रहता है। रूप चौदस को स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05:22:59 से 06:43:18 तक का है।
रूप चतुर्दशी के दिन ऐसे करें रूप की प्राप्ति
- रूप चौदस के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं और दैनिक क्रिया से निवृत्त हो जाएं
- फिर अपामार्ग की पत्तियों को जल में डालकर स्नान करें। ऐसा करने से नर्क दोष से भी मुक्ति मिलती है।
- इस दिन तिल के तेल से भी स्नान किया जाता है। तिल के तेल से स्नान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नही रहता। क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद भी तेल से स्नान किया था।
- इस दिन नीम और तुलसी के पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लें और उससे अपने पूरे शरीर पर लगाएं।
- रूप चौदस वाले दिन चावल का लेप लगाकर भी स्नान किया जाता है। ऐसा करने से न केवल आपका रूप निखरेगा बल्कि आपका चंद्रमा भी मजबूत होगा।
- रूप चौदस के दिन स्नान के बाद श्री कृष्ण या भगवान विष्णु के मंदिर ज़रूर जाएं और उनके दर्शन करें। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान के सभी पाप कट जाते हैं और रूप सौंदर्य की भी प्राप्ति होती है।
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रूप चौदस के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने से व्यक्ति के रूप में वृद्धि होती है। इस दिन लेप या उबटन लगाकर स्नान करने से सुंदरता में वृद्धि होती है। इसलिए इस दिन को रूप चतुर्दशी कहा जाता है। रूप चौदस के दिन ही हनुमान जंयती का भी पर्व मनाया जाता है। इसलिए इस दिन हनुमान जी के भी पूजा का विधान है।
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