तुलसी पत्र को तोड़ने से पहले उससे जुड़े जरूरी नियमों के बारे में जान लीजिये

सनातन धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधा माना गया है। जगत के संचालक भगवान विष्णु को तुलसी पत्र बेहद प्रिय है, यही वजह है कि तुलसी को हरिप्रिया भी कहा जाता है। सनातन धर्म में लगभग हर पूजा में तुलसी पत्र का इस्तेमाल होता है। तुलसी न सनातन धर्म के दृष्टिकोण से बेहद शुभ पौधा माना जाता है बल्कि यह अपने औषधीय गुणों की वजह से भी भारत के घर-घर में पाई जाती है। लेकिन तुलसी के पत्तों को तोड़े जाने के कुछ नियम हैं जिनका आपको पालन करना चाहिए वरना नकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

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आज हम इस लेख में आपको तुलसी पत्र को तोड़ने के नियमों की जानकारी देने वाले हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी जरूरी है।

क्या हैं तुलसी तोड़ने के नियम?

  • तुलसी को कभी भी नाखून से नहीं तोड़ना चाहिए। इससे दोष चढ़ता है। तुलसी को तोड़ते वक्त हमेशा उंगलियों के पोरों का इस्तेमाल करें।
  • यदि आपके घर में कोई तुलसी का पौधा है जो सूख चुका है तो उसे घर में न रखें या तो उसे किसी नदी में प्रवाहित कर दें या फिर कहीं जमीन के नीचे दफना दें। सूखा तुलसी का पौधा घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  • कभी तुलसी को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए।
  • सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के दौरान तुलसी का महत्व बढ़ जाता है। इस दौरान घर में मौजूद भोजन के साथ तुलसी पत्र रख कर उस भोजन को सूर्य ग्रहण या चन्द्र ग्रहण के प्रभाव से बचाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये कार्य सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण से पहले करना चाहिए क्योंकि सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण के दौरान तुलसी के पत्ते को तोड़ना निषेध माना गया है।
  • भगवान शंकर और उनके पुत्र भगवान गणेश को तुलसी पत्र अर्पित करना निषेध माना गया है। वहीं भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
  • अमावस्या, द्वादशी और चतुर्दशी के दिन भी तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित माना गया है।
  • रविवार के दिन भूल से भी तुलसी पत्र न तोड़ें और न ही इसमें जल दें। ऐसा करने से नकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
  • जितना हो सके तुलसी के पत्तों को तोड़ने से बचना चाहिए। हमेशा कोशिश करें कि उन तुलसी के पत्तियों का पहले इस्तेमाल हो जो स्वतः टूट कर जमीन पर गिरी हों। 
  • मान्यता है कि तुलसी के पत्तों में राधा जी का वास होता है। चूंकि सूर्यास्त के बाद भगवान श्री कृष्ण राधारानी वन में राधा जी के साथ रास रचाते हैं। ऐसे में सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। मान्यता है कि इससे भगवान कृष्ण और राधा जी के रास में खलल पड़ता है।
  • भगवान को चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में जब भी तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल करें तो इस बात का ध्यान रखें कि ये पत्ते 11 दिनों से ज्यादा पुराने न हों। 11 दिन से ज्यादा पुराने पत्ते भगवान को अर्पित नहीं करना चाहिए।

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