प्रकृति परमात्मा की अद्भुत देन है। खिलते रंग-बिरंगे फूल, हरी-हरी पत्तियां, ओस से भीगी गीली घास सबके मन को मोह लेती हैं। प्रकृति के इन अद्भुत नज़ारों को देखने मात्र से हमारे दुखी मन को असीम सुख की अनुभूति होती है। कैसे हमारी आंखों से आ रहे आंसू, एक सुंदर बगीचे को देखकर अपने आप मुस्कान में परिवर्तित हो जाते हैं। लंबी यात्रा के दौरान सरसों के लहलहाते खेत देख कैसे बीती बचपन की यादें पुनः जागृत हो जाती है। मां बाप के साथ बिताए हुए पलों की छवि आँखों के सामने जाती हैं। यह प्रकृति ना केवल हमारे मन को हर्षित करती है बल्कि प्राकृतिक रूप से हमें उपचार भी प्रदान करती हैं। मानसिक व शारीरिक दोनों ही क्षेत्र में पेड़-पौधे हमें विभिन्न प्रकार की तकलीफों से निकालने का काम करते हैं।
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प्राकृतिक वास्तु उपचार द्वारा जीवन में बदलाव
आज के आधुनिक युग में जहां एक तरफ हर दिन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए-नए अविष्कार हो रहे हैं, वहीं पुराने समय में व्यक्ति अपनी हर समस्या का समाधान प्राकृतिक ढंग से करता था। लेकिन देखा जाये तो आज हम जितना आगे बढ़ चुके हैं कुछ मामलों में उतना ही पीछे भी होते जा रहे हैं। आज ऊपर से देखने में तो हर व्यक्ति स्वस्थ दिखता है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण, गलत खान-पान आदि की वजह से वह अंदर से खोखला हो चुका है। सहनशक्ति, साहस व सत्यता अपना अस्तित्व खो चुकी हैं। लोग मानसिक अवसाद से गुज़र रहे हैं। आर्थिक समस्या मन-ही-मन दीमक की तरह हमें अंदर ही अंदर खा रही है। यह समस्या शहरों में और महानगरों में बहुत अधिक देखने को मिल रही है।
जैसे-जैसे प्रकृति से हम दूर होकर आधुनिकता को अपना रहे हैं हमारी परेशानियां उतनी ही बढ़ती जा रही हैं। हम सभी ईश्वर पर विश्वास तो करते हैं किंतु उनके द्वारा दी हुई भेंट का निरादर कर रहे हैं जिसकी सज़ा आज हर कोई भुगत रहा है। चाहे वह बीमारी के रूप में हो या आर्थिक समस्या या वैचारिक मतभेद। हर कोई, किसी न किसी समस्या से ग्रसित है।
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पेड़-पौधों द्वारा वास्तु उपचार के लाभ
पेड़-पौधे भगवान द्वारा भेंट की हुई वह चमत्कारिक शक्ति है, यदि इसे संयोजित ढंग से प्रयोग किया जाए तो हर समस्या का समाधान संभव है। आधुनिक वास्तु विज्ञान आज के समय में वरदान से कम नहीं है। यह हमारे जीवन को प्राकृतिक रूप से सुंदर और सुखी बनाने में सक्षम है। इसका एक मुख्य अंश है पेड़ पौधों द्वारा वास्तु उपचार।
क्या आप जानते हैं कि यदि हम किसी पौधे को सही दिशा में लगाते हैं तो यह हमारी दशा को भी बदल देता है। वास्तु व ज्योतिष को पेड़ पौधे से संयुक्त कर जीवन में पूर्ण बदलाव लाना संभव है। हर पौधे की अपनी एक उपचारक क्षमता होती है और इनको सही दिशा में रखकर उस दिशा की वस्तु को प्रभावित किया जा सकता है।
किस दिशा में रखें कौन सा पौधा ?
- घर या ऑफिस की उत्तर दिशा को बुध की दिशा मानी जाती है। इस दिशा का खुला व हवादार होना अति शुभ फल देता है। अगर इस दिशा में हरियाली का प्रबंध किया जाए तो हमारे जीवन में बौद्धिक विकास होता है। चर्म रोग, वाणी दोष, तामसिक बुद्धि, नशे की प्रवृति, कुष्ठरोग, पेट के रोग, दांतों की समस्या, चिड़चिड़ापन आदि को प्राकृतिक रूप से उपचारित किया जा सकता है।
- उत्तर दिशा शुभ दिशा कुबेर का क्षेत्र माना जाता है। इस दिशा में शुभ पौधे जैसे तुलसी, केले का पेड़, अरेलिया, गेंदा आदि लगाने से कुबेर देव की ऊर्जा पुनः जागृत होकर हमें आशीष रूप में उपचार प्रदान करती है।
- पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है। इस दिशा में कम ऊंचाई वाले पौधे लगाने चाहिए। हरी घास बिछाकर इस दिशा में समय व्यतीत करने से व्यक्ति सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करता है। ऐसा करने से व्यक्ति को आत्मविश्वास, यश तथा आरोग्यता का आशीष प्राप्त होता है। सिर दर्द, आंखों की रोशनी, हड्डी के रोग, हृदय रोग, उच्च रक्त संचार, थकान व कमजोरी पर विजय प्राप्त कर एक व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है।
- ज्योतिष अनुसार दक्षिण दिशा मंगल की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में लाल फूल के पौधे लगाने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। अशांति, मतभेद, विवाद, रोग-शोक ,अग्निकांड, भाई से झगड़ा, अचल संपत्ति विवाद, रक्त विकार आदि से मुक्ति के लिए दक्षिण दिशा में लाल फूल के पौधे लगाना किसी चमत्कारिक उपाय से कम नहीं है। जीवन में प्रसिद्धि पाने का यह उत्तम व सरल उपाय है।
- घर की पश्चिम दिशा चंद्रमा की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में चमेली, बेला, एलोवेरा, कड़ी पत्ता आदि के पौधे लगाने से व्यक्ति व वातावरण दोनों की शुद्धि होती है। पश्चिम दिशा के शुद्ध होने से घर में रहने वाले शिशुओं व बच्चों का मानसिक विकास भी होता है। व्यक्ति में डर की मात्रा कम होती है और मानसिक चिंता, अवसाद, सर्दी-जुकाम, गुप्त रोग, गठिया, खांसी, पाचन संबंधी बीमारियों में सुधार आता है।
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कौन से पौधे किस दिशा में और कितनी गिनती में लगाएं यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है। विशेषज्ञ की निगरानी से किए हुए उपाय उचित फल देते हैं। जीवन में कम खर्चे व प्राकृतिक रूप से बदलाव आता है जो हमारे जीवन को पुनः सुखी व स्वस्थ बनता है।
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दीप्ति जैन एक जानी-मानी वास्तुविद हैं, जिन्होंने पिछले 3 सालों से वास्तु विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और प्रतिभा को बखूबी दर्शाया है। उनके इस योगदान के लिए उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। दीप्ति जैन न केवल वास्तु बल्कि सामाजिक मुद्दों, हस्तरेखा विज्ञान, अध्यात्म, कलर थेरेपी, सामुद्रिक शास्त्र जैसे विषयों की भी विशेषज्ञ हैं।