पौष अमावस्या 2024: जानें कब है साल की पहली अमावस्या; इन उपायों से दूर होंगी सारी समस्याएं!

पौष अमावस्या 2024: जानें कब है साल की पहली अमावस्या; इन उपायों से दूर होंगी सारी समस्याएं!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पौष अमावस्या के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, इस अमावस्या के महत्व, पूजा विधि, इस दौरान पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा के बारे में भी बताएंगे और इस दिन किए जाने वाले खास उपाय के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे। बता दें कि पौष अमावस्या की तिथि 11 जनवरी 2024 को पड़ रही है। यह नए साल की पहली अमावस्या होगी। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पौष अमावस्या के बारे में।

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सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है,  जिसे दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान के साथ-साथ पितरों का तर्पण, पिंडदान व भगवान सूर्य और श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है। पुराणों के अनुसार, इस दिन गंगा-स्नान करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पौष अमावस्या की तिथि व समय।

पौष अमावस्या 2024 : तिथि व समय

पौष अमावस्या 11 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को है और यह अमावस्या साल 2024 की पहली अमावस्या है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि का आरंभ 10 जनवरी 2024 से होगी।

अमावस्या आरम्भ : 10 जनवरी 2024 बुधवार की शाम 8 बजकर 13 मिनट से 

अमावस्या समाप्त : 11 जनवरी 2024 गुरुवार की शाम 05 बजकर 29 मिनट तक।

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पौष अमावस्या का महत्व

पौष अमावस्या को देवी-देवताओं की पूजा करने और मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अमावस्या को सौभाग्य लक्ष्मी मास के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि पौष अमावस्या की पूर्व संध्या पर देवी लक्ष्मी के दो रूपों धन लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से कभी भी जातक को धन की कमी नहीं होती है। इसके अलावा, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है, ऐसा करने से व्यक्ति को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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पौष अमावस्या के दिन करें इस विधि से पूजा

  • पौष अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा या अन्य नदी में स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें।
  • इसके बाद अपने इष्ट देवताओं का ध्यान करें।
  • स्नान के बाद तांबे लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, चावल डाल लें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का लगातार जाप करें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में पूजा करें। साथ ही, देवी-देवताओं को स्नान कराएं, उन्हें वस्त्र और पुष्प अर्पित करें और भोग स्वरूप खीर चढ़ाएं। 
  • पितृ दोष से निजात पाने के लिए और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद थोड़ा-सा पानी लेकर अपने दायें हाथ की तरफ, यानी भोग की बाईं तरफ में छोड़ दें। इसके अलावा,  गाय, कौवा, कुत्ता के लिए भोजन निकालने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • इस दिन एक लोटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, थोड़ा-सा दूध, चावल के दाने और तिल डालकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए।

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पौष अमावस्या की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण था जो बेहद गरीब था। उसकी एक सुंदर, गुणवान और संस्कारी बेटी थी लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन उस गरीब ब्राह्मण के घर पर एक साधु आए और ब्राह्मण ने साधु की बहुत सेवा की। ब्राह्मण ने साधु की सेवा से खुश होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण ने अपनी कन्या के विवाह के लिए साधु से उपाय पूछा। साधु ने उपाय बताते हुए कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक परिवार रहता है। यदि वह हर रोज जाकर उसकी पत्नी की सेवा करें तो इसके विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी। अगले दिन सुबह उठकर कन्या उनके घर जाकर साफ सफाई करके अपने घर वापस लौटती है। उस घर में रहने वाली स्त्री यह देखकर हैरान हो जाती है कि रोज-रोज उसके जगने से पहले घर की सफाई करके चला जाता है।

कुछ दिन बाद उस महिला ने ब्राह्मण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और पूछने लगी कि आप कौन हैं और क्यों रोज सुबह उनके घर की साफ-सफाई करती हैं। तब कन्या ने साधु द्वारा बताई गई सारी बातें महिला को बताई। तब महिला ने उस कन्या की सेवा से खुश होकर जल्द विवाह होने का आशीर्वाद दिया लेकिन जैसे ही महिला ने यह आशीर्वाद दिया तुरंत ही उसके पति की मृत्यु हो गई। फिर भी उसने हार नहीं पानी और अपने आंगन में लगे हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करके भगवान विष्णु से अपने पति को पाने के लिए प्रार्थना की। उस दिन पौष अमावस्या थी। भगवान की कृपा से उसका पति फिर से जीवित हो गया। माना जाता है कि पौष अमावस्या के दिन जो जातक पीपल की परिक्रमा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

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पौष अमावस्या के दिन जरूर करें ये खास उपाय

माना जाता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए

पौष अमावस्या के दिन अपने पितरों को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल के पेड़ की जड़ में गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पीले पुष्प चढ़ाएं। इस दौरान ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।

समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

यदि आप जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति पाना चाहते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आटे की गोलियां बनाकर नदी या तालाब में जातक मछलियों को खाने के लिए डालें।

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स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

पौष अमावस्या के दिन घातक बीमारियों से छुटकारा पाने और स्वस्थ जीवन प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और उन्हें भोग में खीर के साथ तुलसी जरूर अर्पित करें क्योंकि माना जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसा अति प्रिय है। ऐसा करने से आप गंभीर से गंभीर समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए

पौष अमावस्या के दिन चांदी के नाग और नागिन की पूजा करें और उन्हें दूध दें। माना जाता है कि ऐसा करने से कालसर्प दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए

पौष अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को घर बुलाकर उनकी सेवा करें और उन्हें भोजन खिलाएं व अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

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