कब है पौष अमावस्या और क्या है इस दिन की महत्व ?

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। अमावस्या तिथि का हिन्दू धर्म में बेहद महत्व बताया गया है क्योंकि इस दिन कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध करने का विधान बताया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी बहुत से लोग पूजा और उपवास करते हैं। पौष माह में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है।

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पौष अमावस्या मुहूर्त 

जनवरी 12, 2021 को 12 बजकर 24 मिनट 29 सेकंड से अमावस्या आरम्भ 

जनवरी 13, 2021 को 10 बजकर 31 मिनट 38 सेकंड पर अमावस्या समाप्त

पौष अमावस्या व्रत और इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्मकांड

पौष का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। पौष मास की अमावस्या पर व्रत और कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। आइये जानते हैं क्या हैं वो व्रत और धार्मिक कर्मकांड :

1.  पौष अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण देने का विशेष महत्व बताया गया है। लोग इस दिन पवित्र नदियों, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।

2.  इस दिन तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।

3.  इसके अलावा पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करने और किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना भी बेहद फलदायी होता है।

4.  जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष या फिर संतान हीन योग होता हैं उन्हें विशेषतौर से पौष अमावस्या का उपवास करने और अपने पितरों का तर्पण करने की सलाह दी जाती है।

5.  अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा और तुलसी के पौधे की परिक्रमा करने का विधान बताया गया है।

6.  इस दिन के बारे में लोगों के बीच ऐसी भी मान्यता है कि, पौष अमावस्या का व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और कुंडली के दोष निवारण के साथ-साथ व्यक्ति की सभी दुर्लभ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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पौष अमावस्या का महत्व

यूँ तो हिन्दू धर्म के अनुसार सभी अमावस्या तिथियों के दिन पूजा-अर्चना का महत्व बताया गया है लेकिन इन सब में पौष मास की अमावस्या को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। माना जाता है कि ये शुभ माह धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन-मनन के लिए यह सर्वश्रेष्ठ होता है। पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से ना ही केवल हमारे पितृगण तृप्त और खुश होते हैं बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। 

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अमावस्या पर कैसे पाएं पितृ दोष से मुक्ति 

अमावस्या इस वर्ष बुधवार, 13 जनवरी को पड़ रही है। ऐसे में माना जाता है कि अगर इस दिन गंगा स्नान के बाद पितरों के नाम पर जल चढ़ाया जाये तो इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इसी मान्यता के चलते मौनी अमावस्या के दिन पवित्र स्थानों पर पिंडदान भी किये जाने का विशेष महत्व होता है। 

पितृ शांति के लिए पौष अमावस्या के दिन अवश्य करें ये काम

  • पौष अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए एक लोटे में जल लें, उसमें एक लाल रंग का फूल और कुछ काले तिल डाल दें।  
  • इसके बाद श्रद्धा-मन से अपने पितरों का ध्यान करते हुए ये जल सूर्य देव को अर्पित कर दें।
  • इसके बाद अपने पितरों से पितृ दोष की मुक्ति की प्रार्थना करें।
  • इस दिन अपने पितरों के लिए उनका मनपसंद भोजन बनाएं।  पहला हिस्सा गाय को चढ़ाएं, दूसरा कुत्ते को और तीसरा कौवे को चढ़ाएं।  इससे आपको आपके पितरों का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा।
  • इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के नाम का घी का दीपक जलाएं।
  • इसके अलावा पौष अमावस्या के दिन किसी ज़रूरतमंद या किसी ब्राह्मण को सात तरह के अनाज का, या फिर तिल से बनी किसी चीज़ का दान करें। इससे भी आपके पितृ प्रसन्न होंगे।

कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पौष अमावस्या पर करें ये काम

वैसे तो शास्त्रों में पौष अमावस्या को ही काफी पावन दिन बताया गया है लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस दिन कई अन्य तरह के दोषों से भी मुक्ति पाई जा सकती है। जिस किसी भी इंसान की कुंडली में कालसर्प दोष होता है वो भी इस दिन कुछ विशेष काम कर के इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं।

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  • पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद चांदी के एक नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करें। फिर उनपर सफ़ेद फूल चढ़ाएं और उन्हें बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। ऐसा करने से आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है।
  • इस दिन स्नान के बाद लघु रुद्र का खुद से पाठ करें। अगर खुद से ये पाठ करने में कोई परेशानी हो तो आप किसी ब्राह्मण से भी इसे सुन सकते हैं।
  • इस दिन नवनाग स्त्रोत का पाठ करना भी बेहद शुभ फलदायी माना गया है।
  • आप इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी ब्राह्मण या किसी निर्धन को दान कर के भी पुण्य कमा सकते हैं।
  • पौष अमावस्या के दिन आप किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर ताम्बे के नाग-नागिन को चढ़ाएं।
  • इस दिन सफ़ेद फूल, बताशे, कच्चे दूध, सफ़ेद कपड़ा, चावल, सफ़ेद रंग की मिठाई बहते जल में प्रवाहित करें और शेषनाग से अपने दोष के निवारण की कामना करें।
  • पौष अमावस्या के दिन कालसर्प यंत्र की स्थापना करें और रोज़ाना इस यंत्र के सामने घी या सरसो के तेल का दीपक जलाएं।

अमावस्या के दिन बरतें ये सावधानियां

अमावस्या की रात सबसे घनी और काली रात मानी जाती है, ऐसे में इस रात अशुभ क्रियाएँ, भूत-प्रेत, जादू-टोना और नकारात्मक शक्तियाँ बेहद सक्रिय रहती हैं इसलिए इस रात किसी भी सुनसान जगह पर जाने से बचना चाहिए। अमावस्या के दिन जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और फिर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए क्योंकि इस दिन देर तक सोना भी अशुभ माना गया है। इस दिन किसी का भी अनादर करने से बचना चाहिए। साथ ही इस दिन तामसिक भोजन और मदिरापान भी वर्जित माना गया है।

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