भगवान विष्णु के आवेश अवतार (आवेशावतार) परशुराम भगवान की जयंती इस वर्ष 14 मई शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। भगवान परशुराम का जिक्र रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है पितामह द्वारा नामकरण संस्कार किए जाने की वजह से इनके नाम में ‘राम’ जुड़ा इसके अलावा शिव जी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किए रहने की वजह से इनके नाम में ‘परशु’ जुड़ा जिसे जोड़कर भगवान का नाम परशुराम पड़ा। परशुराम जयंती के दिन भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना की जाती है। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है।
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परशुराम जयंती 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त
परशुराम जयंती 14 मई 2021, दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
तृतीया तिथि प्रारंभ 14 मई 2021 सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर
तृतीया तिथि की समाप्ति 15 मई 2021 सुबह 08 बजे
भगवान परशुराम की पूजा का हिंदू धर्म में महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम को साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि परशुराम जयंती के दिन जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा और भक्ति और विधि के अनुसार परशुराम की पूजा करता है ऐसे व्यक्ति के साहस में वृद्धि होती है और उनके जीवन में मौजूद किसी भी तरह के भय से मुक्ति प्राप्त होती है। भगवान परशुराम को चिरंजीवी माना जाता है। कहा जाता है भगवान परशुराम ने ही भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था।
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाता है। कहा जाता है परशुराम जयंती के दिन किए गए पुण्य का प्रभाव व्यक्ति के जीवन से कभी भी खत्म नहीं होता है। परशुराम जयंती के दिन बहुत सी जगहों पर भगवान परशुराम की शोभायात्रा निकाली जाती है और लोग पूजा अर्चना करते हैं।
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परशुराम जयंती पूजन विधि
- परशुराम जयंती के दिन सूर्यास्त से पहले पवित्र नदियों में स्नान आदि का विशेष महत्व बताया गया है।
- स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान परशुराम की पूजा करें। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
- इस दिन की पूजा में चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई आदि अवश्य अर्पित करें।
- इसके अलावा परशुराम जयंती के दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है इस दिन जो कोई भी व्यक्ति व्रत आदि करता है उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
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