नीलम रत्न (Blue Sapphire): शनि ग्रह को शांत करने के लिए धारण करें यह रत्न

नीलम रत्न (Blue Sapphire) को ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण रत्न माना जाता है। इस रत्न का मालिक शनि ग्रह है जिसे वैदिक ज्यातिष में न्याय कर्ता ग्रह की उपाधि दी गई है। आज अपने इस लेख में हम आपको नीलम रत्न से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। इस रत्न के क्या लाभ हैं और किस राशि के लोगों को इसे धारण करना चाहिए इसकी जानकारी भी आज हम आपको अपने इस लेख में देंगे। 

नीलम रत्न (Neelam Ratna) का महत्व प्राचीन समय से ही समझ लिया गया था। इस रत्न को यूनान में बहुत उपयोगी माना जाता था। लोग इस रत्न के जरिये तंत्र-मंत्र आदि को सिद्ध करने का काम भी किया करते थे। यह रत्न न केवल शुभ फल के लिए बल्कि कई बार नकारात्मकता के लिए भी प्राचीन समय में उपयोग में लाया जाता था। हालांकि ज्योतिष में इस रत्न से बिगड़ते कामों के बनने की कामना की जाती है। 

नीलम रत्न (Blue Sapphire) का इतिहास 

संस्कृत में नीलम को शनिप्रिय कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रत्न को बौद्ध भिक्षु मध्य एशिया ले गए जहां इसका नाम शनिप्रिय से सपिर हुआ और फिर यह सपिर नाम से ही जाना जाने लगा। सपिर से बदलते-बदलते इसका नाम सैपहाएर या सेफायर हो गया। अंग्रेजी में इस रत्न को ब्लू सेफायर नाम से ही जाना जाता है। नीलम रत्न पीले रंग का भी होता है जिसे ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह से संबंधित माना जाता है। भारत के राज्य कश्मीर में पाया जाने वाला नीलम रत्न सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसके साथ ही यह रूस, अमेरिका, श्रीलंका, बर्मा आदि देशों में भी मिलता है। 

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कैसा होता है नीलम रत्न?

जैसा कि नाम से ही जाहिर है नीलम रत्न की आभा नीले रंग की होती है। यह रत्न कुरुन्दम वर्ग के श्रेष्ठ रत्नों में से एक है, माणिक्य रत्न भी इसी वर्ग से संबंधित है।  यह रत्न पारदर्शी होता है। अपनी नीली आभा के कारण ही इसका नाम नीलम पड़ा है। सबसे श्रेष्ठ नीलम उसी को माना जाता है जिसके अंदर से नीले रंग की आभा निकल रही हो। 

नीलम रत्न (Neelam Ratna) का ज्योतिष में महत्व

ज्योतिषशास्त्र में नीलम रत्न (Neelam Ratna) को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह क्रूर ग्रह माने जाने वाले शनि ग्रह को शांत करता है। हालांकि ज्योतिषाचार्य कुंडली के अनुरूप ही इस रत्न को पहनने की सलाह देत है। यह रत्न शनि की साढ़ेसाती के दौरान भी पहना जाता है ताकि शनि का बुरा असर कम हो सके। जिन जातकों की कुंडली में शनि अच्छी अवस्था में नहीं होता या प्रतिकूल परिणाम देने वाला होता है ज्योतिष उसे नीलम रत्न पहनने की सलाह देते हैं। इसकी वक्र दृष्टि के असर को शांत करने के लिए भी इस रत्न को पहना जाता है। 

शनि ग्रह का असर 

ऐसा माना जाता है कि शनि ग्रह की वक्र दृष्टि से ही भगवान राम को भी जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ा। वहीं इंद्र देवता पर भी इनकी वक्र दृष्टि का प्रभाव पड़ा था। यही नहीं रावण के नाश के लिए भी शनि की दृष्टि को ही जिम्मेदार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस जातक पर शनि की वक्र दृष्टि होती है उसका सर्वनाश हो जाता है। इसलिए शनि के बुरे असर को कम करने के लिए ज्योतिषी नीलम रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। 

शनि रत्न नीलम के लाभ

शनि का यह रत्न व्यक्ति को कई शुभ परिणाम देता है जिनके बारे में नीचे बताया जा रहा है।

  • शनि के बुरे प्रभावों का अंत करके यह शुभ परिणाम देता है। 
  • इस रत्न का असर तुरंत होता है और इससे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलनी शुरू हो जाती है। 
  • यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि लेकर आता है। 
  • यह नकारात्मकता को दूर करता है।
  • शनि के गोचर काल में यह व्यक्ति को प्रगति के पथ पर ले जाता है। 
  • इससे सेहत में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं और एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त हो जाती है।
  • यह तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत आदि बधाओं से भी आपको सुरक्षित करता है।
  • इसके प्रभाव से बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
  • यह जीवन की जटिलताओं को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। 

नीलम रत्न से होने वाले नुक्सान

जिन व्यक्तियों को यह रत्न सूट नहीं होता उनको इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इसलिए इस रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। नीचे इस रत्न के बुरे प्रभावों के बारे में बताया गया है। 

  • जिस व्यक्ति के लिए यह रत्न अनुकूल नहीं है और वह उसको पहन ले तो दुर्घटना होने की संभावना रहती है।
  • इस रत्न को धारण करके समस्याएं बढ़ जाती हैं और व्यक्ति को कई मानसिक चिंताएं होने लगती हैं। 
  • पारिवारिक जीवन में भी कलह-कलेश होने लगते हैं। 
  • करियर में भी प्रतिकूलता आ जाती है। 
  • इसके बुरे प्रभाव से नींद की कमी आ जाती है और बार-बार तबीयत खराब होने लगती है। 

कैसे धारण करें नीलम रत्न

नीलम रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए

नीलम रत्न यदि आपके लिए अनुकूल है तो इसे खरीदने से पहले आपको यह याद रखना चाहिए कि यह रत्न कम-से-कम 2 रत्ती का हो। इससे कम रत्ती का रत्न फलदायक नहीं माना जाता। इस रत्न को शनिवार के दिन धारण करना चाहिए। नीलम को धारण करने से पहले इसे गंगाजल, शहद और दूध के मिश्रण में कुछ देर तक रखना चाहिए। इसके उपरांत पूजास्थल पर दीप और पांच अगरबत्तियां जलाकर ‘ॐ शम शनिचराय नमः’ मंत्र का 11 बार उच्चारण करने के बाद इसे दाएं हाथ की मध्य अंगुली में धारण करना चाहिए। 

नीलम रत्न किसे धारण करना चाहिए

इस रत्न को राशि अनुसार भी धारण किया जाता है और कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार भी, लेकिन इसके लिए किसी योग्य ज्योतिष से सलाह के बाद ही आपको आगे बढ़ना चाहिए। मकर और कुंभ राशि के लोगों के लिए यह रत्न सबसे ज्यादा उपयोगी पाया गया है क्योंकि यह दोनों शनि की राशियां हैं। वहीं कुंडली में यदि शनि ग्रह शुभ न हो तो उसे अनुकूल करने के लिए भी इसे धारण किया जाना चाहिए। 

नीलम रत्न के चमत्कार  

इस रत्न को धारण करने से कई तरह के अनुकूल परिणाम मिलते हैं। व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों से लाभ होने लगते हैं। चारों ओर सकारात्मकता होती है और विरोधी भी परास्त होते हैं। यह रत्न न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी व्यक्ति को सशक्त बनाता है। 


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