13 अप्रैल से नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और प्रसन्न होने पर मां दुर्गा अपने भक्तों के जीवन पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखती हैं। चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप, ब्रह्मचारिणी स्वरूप, चंद्रघंटा स्वरूप, कूष्मांडा स्वरूप, स्कंदमाता स्वरूप, कात्यायनी स्वरूप, कालरात्रि स्वरूप, महागौरी स्वरूप और सिद्धिदात्री माता स्वरूप की पूजा करने का विधान बताया गया है।
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इन 9 दिनों में मां दुर्गा के भक्त माता के दर्शन करने और उन्हें खुश करने के लिए लाखों जतन करते हैं। ऐसे में आप चाहे तो बेहद ही आसानी से मां दुर्गा की पूजा में नवरात्रि के दौरान माता के बीच मंत्रों का जप करके भी मां की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं। पूजा में बीज मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व बताया गया है।
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नवरात्रि में माता को किन बीज मंत्र से प्रसन्न किया जा सकता है
- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। पर्वत को शैल भी कहा जाता है। ऐसे ही मां का नाम शैलपुत्री पड़ा।
माँ शैलपुत्री बीज मंत्र: “शैलपुत्री ह्रीं शिवायै नमः” - नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। क्योंकि माता ने कठिन तपस्या की ऐसे में इनके नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा।
माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र: “ब्रह्मचारिणी ह्रीं श्रीं अम्बिकायै नमः” - नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा ने अपने मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र धारण किया हुआ है जिसके चलते मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
माँ चंद्रघंटा बीज मंत्र: “चन्द्रघंटा ऐं श्रीं शक्तयै नमः” - नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा देवी की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा के नाम से संबंधित मान्यता के अनुसार बताया जाता है जब पृथ्वी पर चारों तरफ अंधकार छा गया था तब मां कुष्मांडा ने इस ब्रह्मांड की रचना की थी तभी से इनका नाम मां कुष्मांडा पड़ा।
माँ कूष्माण्डा बीज मंत्र: “कूष्मांडा ऐं ह्रीं देव्यै नमः” - नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां की गोद में स्कन्द (भगवान शिव और माँ पार्वती के छह मुँह वाले पुत्र कार्तिकेय) विराजमान हैं और यही वजह है कि, मां का नाम स्कंदमाता पड़ा।
माँ स्कंदमाता बीज मंत्र: “स्कंदमाता ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः” - नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी की गोत्र कात्य है और उन्होंने महर्षि कात्यायन के घर में जन्म लिया था जिसके चलते माँ का नाम कात्यायनी पड़ा।
माँ कात्यायनी बीज मंत्र: “कात्यायनी क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः” - नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। यूँ तो मां का स्वरूप काफी क्रोध से भरा हुआ है लेकिन मां अपने भक्तों के लिए बेहद शुभ मानी जाती हैं। यही वजह है कि, माँ कालरात्रि का एक नाम शुभंकरी भी है।
माँ कालरात्रि बीज मंत्र: “कालरात्रि क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः”
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- नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां महागौरी ने सफेद रंग का वस्त्र धारण किया है और इनका वर्ण भी गौर है। यही वजह है कि मां को महागौरी कहा जाता है।
माँ महागौरी बीज मंत्र: “महागौरी श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः” - नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि, सिद्धिदात्री देवी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है, जिससे मां का नाम सिद्धिदात्री पड़ा।
माँ सिद्धिदात्री बीज मंत्र: “सिद्धिदात्री ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः”
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