ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह मंत्र ग्रहों की शांति एवं उनका आशीष पाने के लिए होते हैं। इन मंत्र से व्यक्ति अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है। साथ ही वह इन मंत्रों जाप से अपनी समस्त बाधाओं से मुक्ति पा सकता है। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। ग्रहों के वैदिक और तांत्रिक मंत्रों में असीम शक्ति समाहित होती है जिससे मानव कल्याण संभव है। परंतु इसके लिए मंत्र का उच्चारण शुद्ध रूप से होना चाहिए। यदि इसके उच्चारण में थोड़ी सी भी त्रुटि हुई तो अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है। प्राचीन शास्त्रों में नव ग्रहों के मंत्र के महत्व को विस्तार से बताया गया है। ज्योतिष में नवग्रह मंत्र दो प्रकार के होते हैं जिन्हें वैदिक और तांत्रिक मंत्र कहा जाता है। इसके अलावा सभी नौ ग्रहों के बीज मंत्र भी होेते हैं।
वैदिक व तांत्रिक मंत्र क्या होते हैं?
वेद में ग्रहों से संबंधित जिन मंत्रों का वर्णन है उन्हें वैदिक मंत्र कहा जाता है। वहीं तंत्र विद्या के ग्रंथों में ग्रहों के लिए उपयोग किए गए मन्त्रों को तांत्रिक मंत्र कहा जाता है। जबकि बीज मंत्र को मंत्रों का प्राण कहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी मंत्र की शक्ति उसके बीज मंत्र में समाहित होती है। इन मंत्रों के द्वारा समस्त प्रकार की बाधाओं, विकारों तथा समस्याओं का चमत्कारिक निदान किया जा सकता है। नीचे सभी नौ ग्रहों के मंत्रों को बताया जा रहा है–
सूर्य के मंत्र
ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य के आशीर्वाद से मनुष्य को सम्मान और सफलता प्राप्त होती है।
सूर्य ग्रह की शांति और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष में कई उपाय बताये गए हैं।
जिनमें सूर्य के वैदिक, तांत्रिक और बीज मंत्र प्रमुख हैं।
सूर्य का वैदिक मंत्र
ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।
हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
सूर्य का तांत्रिक मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नमः
सूर्य का बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
नोट – उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र का प्रात: काल में सात हज़ार बार जपना चाहिए।
चंद्र के मंत्र
ज्योतिष में चंद्र ग्रह को मन तथा सुंदरता का कारक माना गया है। कुंडली में चंद्रमा की प्रतिकूलता से जातक को मानसिक कष्ट व श्वसन से संबंधित विकार होते हैं।
चंद्र ग्रह के उपाय के तहत व्यक्ति को सोमवार का व्रत धारण और चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
इसके अलावा जातक मोती धारण भी कर लाभ सकते हैं। इससे आपकी मानसिक शक्ति बढ़ेगी और मन एकाग्र रहेगा।
चंद्र का वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।
चंद्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः
चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः
नोट – उपरोक्त में से किसी एक मंत्र का श्रद्धा के अनुसार सायं काल में ग्यारह हज़ार बार जपें।
मंगल के मंत्र
ज्योतिष में मंगल को क्रूर ग्रह कहा गया है। इसके अशुभ प्रभावों से मनुष्य को रक्त संबंधी विकार होते हैं। मंगल साहस और पराक्रम का कारक है।
यह जातक की मानसिक शक्ति में वृद्धि करता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार का व्रत धारण करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा मंगल से संबंधित इन मंत्रों का जाप करें-
मंगल का वैदिक मंत्र
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।
मंगल का तांत्रिक मंत्र
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:
मंगल का बीज मंत्र
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
नोट – ऊपर दिए गए मंत्रों में से किसी एक मंत्र का प्रातः 8 बजे दस हज़ार बार जाप करें। विशेष परिस्थिति में इस हेतु ब्राह्मणों का भी सहयोग ले सकते हैंं।
बुध के मंत्र
बुध ग्रह बुद्धि एवं संचार का कारक होता है। कुंडली में बुध की कमज़ोर स्थिति त्वचा संबंधी विकार, एकाग्रता में कमी, गणित तथा लेखनी में कमजोरी जैसी परेशानी को जन्म देती है।
यदि नियमित रूप से बुध के मंत्रों का जाप एवं अन्य प्रकार के उपाय किए जाएँ तो इन समस्याओं का निदान पाया जा सकता है।
बुध का वैदिक मंत्र
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
बुध का तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः
बुध का बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
नोट – प्रातः काल के समय ऊपर दिए गए मंत्रों में से किसी एक मंत्र का नौ हज़ार बार जाप करना चाहिए।
बृहस्पति के मंत्र
बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है। यह धर्म, ज्ञान और संतान का कारक है।
यदि कुंडली में गुरु की स्थिति कमज़ोर होती है तो संतान प्राप्ति में बाधा, पेट से संबंधी विकार और मोटापा की समस्या होती है।
अतः गुरु की शांति के लिए जातकों को इससे संबंधित मंत्रों का जाप करने चाहिए।
गुरु का वैदिक मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
गुरु का तांत्रिक मंत्र
ॐ बृं बृहस्पतये नमः
बृहस्पति का बीज मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
नोट – इनमें किसी एक मंत्र का नित्य संध्याकाल में उन्नीस हज़ार बार जाप करना चाहिए।
शुक्र के मंत्र
शुक्र को भौतिक सुखों और कामुक विचारों का कारक कहा जाता है।
कुंडली में यदि शुक्र ग्रह अपनी मजबूत स्थिति में न हो तो जातकों के आर्थिक, भौतिक एवं कामुक सुखो में कमी आ जाती है।
इसके अलावा व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या भी हो जाती है। शुक्र ग्रह की शांति के लिए इसके वैदिक और तांत्रिक मंत्रों का जाप करना चाहिए।
शुक्र का वैदिक मंत्र
ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।
ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
शुक्र का तांत्रिक मंत्र
ॐ शुं शुक्राय नमः
शुक्र का बीज मंत्र
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
नोट – ऊपर दिए गए किसी एक मंत्र का सूर्योदय के समय सोलह हज़ार बार जाप करना शुभ माना जाता है।
शनि के मंत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि हमारे कर्मों के अनुसार ही फल देता है। इसलिए शनि को कर्म के भाव का स्वामी भी कहा जाता है।
कुंडली में शनि के कमजोर होने से नौकरी, व्यापार अथवा कार्यक्षेत्र में विपत्तियाँ आती हैं। ऐसी परिस्थिति में शनि ग्रह की शांति के लिए जातकों को शनि से संबंधित मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः
शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
नोट – संध्याकाल में उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक मंत्र का तेईस हज़ार बार जाप करना चाहिए।
राहु के मंत्र
राहु को क्रूर ग्रह की संज्ञा प्रदान की गई है। कुंडली में राहु दोष लगने से व्यक्ति को मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान और गृह क्लेश आदि का सामना करना पड़ता है।
अपवाद परिस्थितियों को छोड़ दिया जाए तो राहु जातकों के लिए क्लेशकारी ही सिद्ध होता है। राहु ग्रह की शांति के लिए इसके वैदिक और तांत्रिक मंत्र जाप करना चाहिए।
राहु का वैदिक मंत्र
ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृध: सखा।
कया शचिष्ठया वृता।।
राहु का तांत्रिक मंत्र
ॐ रां राहवे नमः
राहु का बीज मंत्र
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
नोट – ऊपर दिए गए किसी एक मंत्र का नित्य रात्रि के समय अट्ठारह हज़ार बार जाप करना चाहिए।
केतु के मंत्र
केतु को तर्क, कल्पना और मानसिक गुणों आदि का कारक कहा जाता है। यदि कुंडली में केतु की स्थिति ठीक न हो तो जातकों को इसके कष्टकारी परिणाम मिलते हैं।
इसकी प्रतिकूलता से जातकों को दाद-खाज तथा कुष्ट जैसे रोग होते हैं। केतु के वैदिक और तांत्रिक मंत्र के जाप तथा अन्य उपाय से आप इन कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं।
केतु का वैदिक मंत्र
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे।
सुमुषद्भिरजायथा:।।
केतु का तांत्रिक मंत्र
ॐ कें केतवे नमः
केतु का बीज मंत्र
ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः
नोट – उपरोक्त में से किसी एक मंत्र का रात्रि के समय सत्रह हज़ार बार जाप करें।
आशा है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आगे भी हम आपके लिए इस तरह के रुचिकर लेख लिखते रहेंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से हमारा उद्देश्य अपने पाठकों का ज्ञानवर्धन करना है।