भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का जितना भी वर्णन किया जाए उतना कम है। फिर बात कीजिए चाहे उनकी बाल लीलाओं का या फिर उनकी युवावस्था में की गयी नटखट शरारतों का, भगवान कृष्ण से जुड़ी हर बात सभी का मन मोह लेती है। ये भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का ही कमाल है कि आज भी माँएं अपने बेटों को प्यार से कान्हा कह कर पुकारती हैं। अपनी युवावस्था में कृष्ण ने राधा-रानी से ऐसा प्रेम किया जिसकी लोग आज भी मिसालें पेश करते हैं। ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि भगवान कृष्ण का ज़िक्र हो वृंदावन की बात ना की जाए। कहा जाता है कि वृन्दावन के कण-कण में आज भी भगवान कृष्ण वास करते हैं।
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‘वृंदावन’, ये नाम सुनकर दिल और दिमाग में सिर्फ एक ही आवाज़ गूंजती है और वो है भगवान श्री-कृष्ण की नगरी। अपनी इस बेहद खूबसूरत और प्यारी नगरी को भगवान कृष्ण ने हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया है। माना जाता है कि इस पावन जगह के कण-कण में आज भी श्री-कृष्ण विराजते हैं। ऐसे में आज हम बात करने जा रहे हैं मथुरा क्षेत्र के इसी प्रसिद्घ गांव वृन्दावन के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके बारे में ये कहा जाता है कि ये मंदिर दिव्य प्रेम को समर्पित एक अनोखा मंदिर है।
दिव्य प्रेम को समर्पित वृन्दावन के अनोखे प्रेम मंदिर के करें दर्शन
वृंदावन में वैसे तो कई मंदिर हैं जो बेहद खूबसूरत हैं लेकिन यहाँ हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वो मंदिर है प्रेम मंदिर।
वृंदावन में स्थित ये प्रेम मंदिर प्राचीन भारतीय कला और स्थापत्य कला में एक पुनर्जागरण का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर अपने आप में इतना भव्य और खूबसूरत है कि यहाँ आने वाले भक्त और पर्यटक इसमें पूरी तरह से खो जाते हैं। इस मंदिर में भक्त वैसे ही खिंचे चले आते हैं जैसे कृष्ण अपनी नटखट शरारतों से सबको अपने तरफ खींच लेते थे। इस मंदिर की दीवारों पर हर तरफ राधा-कृष्ण की रास-लीला का बेहद सुंदरता से वर्णन किया गया है।
इस मंदिर को बनाने की घोषणा जगतगुरू कृपालु महाराज ने वर्ष 2001 में की थी। जिसके बाद ही इस मंदिर का निर्माण शुरू किया गया और अब पूरे 11 सालों बाद और तक़रीबन हज़ारों मज़दूरों की कड़ी मेहनत के बाद इस मंदिर का जो रूप सामने आया है वो वाकई में देखने लायक है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में आने का अलग ही मज़ा होता है और वो दृश्य इतना खूबसूरत होता है जिसे पहले कभी किसी ने नहीं देखा होता।
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इस मंदिर को और भी खूबसूरत बनाती है ये बात
54 एकड़ में फैला ये भव्य मंदिर 125 फुट ऊँचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। इस मंदिर को और ज़्यादा खूबसूरत बनाने के लिए इसमें फव्वारे, राधा-कृष्ण की मन मोह लेने वाली झाकियां, श्री-गोवर्धन धारण लीलाएं, कालिया नाग की दमन लीला और झूलन लीलाएं बहुत अच्छे से दर्शायी गयी हैं। इस पूरे मंदिर में कुल 94 कलामंडित स्तम्भ हैं। इन स्तम्भ में किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह दिखाए गए हैं। मंदिर के गर्भ-गृह के अंदर और बाहर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प का एक नमूना दिखाते हुए बेहद सुन्दर नक्काशी की गई है।
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इस मंदिर में होते हैं स्वर्ग के दर्शन
इस मंदिर की खूबसूरती शब्दों में बयां करने से परे है। जो भक्त या पर्यटक इस मंदिर में एक भी बार आ जाते हैं वो इस मंदिर की खूबसूरती के कायल हो जाते हैं। यूँ तो ये मंदिर हर समय ही सुंदर लगता है लेकिन शाम और रात के समय इस मंदिर में जिस तरह की रौशनी फैलती है उससे लोग धरती पर ही स्वर्ग के दर्शन का अनुभव कर लेते हैं।
इस मंदिर तक कैसे पहुंचे?
मथुरा रेलवे स्टेशन से प्रेम मंदिर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है और यहाँ का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा आगरा में है, जहाँ से यह बेहद ही सुन्दर मंदिर 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वृन्दावन की महिमाओं का बखान हरिवंश पुराण, श्रीमद् भागवत पुराण, विष्णु पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में किया गया। आज भी अगर वृन्दावन जाइए तो आपको ऐसा लगेगा कि भगवान श्री-कृष्ण यहाँ मौजूद हैं, शायद इसलिए ही कहा जाता है कि अपने जीवन में आत्म शांति की इच्छा रखने वालों को अपने जीवन में एक बार तो वृन्दावन ज़रूर ही जाना चाहिए।
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वृंदावन जाएं तो ज़रूर कीजिए इन मंदिरों के दर्शन:
वृन्दावन में भगवान श्री कृष्ण और राधा-जी के मन्दिर काफी बड़ी संख्या में मौजूद है। जब भी आप वृन्दावन जाए तो यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन ज़रूर करें। वृन्दावन में स्थित भगवान बांके बिहारी-जी और राधा वल्लभ लाल जी का मंदिर बेहद प्राचीन मंदिरों की सूची में शुमार है। इसके साथ ही यहाँ का राधा-रमण मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधा श्याम सुंदर मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गोकुलेश मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर इत्यादि परम सुख देने वाले मंदिर हैं। कहा जाता है कि जिस किसी भी इंसान ने इन मंदिरों के दर्शन कर लिए उन मनुष्यों का जीवन सफल हो जाता है। इस बात का ज़िक्र ग्रंथों में भी है कि जीवन में प्रगति पथ पर हारे इंसान को वृन्दावन में सहारा अवश्य ही मिलता है। अपनी इसी पवित्रता के लिए ही वृन्दावन की धरा को देव भूमि भी माना जाता है।
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