चंद्रमा की राशि में मंगल चलेंगे वक्री चाल, इन राशियों को बनाएंगे धनवान और इन्हें करेंगे परेशान!

चंद्रमा की राशि में मंगल चलेंगे वक्री चाल, इन राशियों को बनाएंगे धनवान और इन्हें करेंगे परेशान!

एस्ट्रोसेज अपने पाठकों के लिए “मंगल कर्क राशि में वक्री” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके माध्यम से आपको मंगल की वक्री चाल के बारे में समस्त जानकारी प्राप्त होगी। बता दें कि युद्ध के देवता के नाम से विख्यात मंगल महाराज जल्द ही अपनी चाल में परिवर्तन करते हुए वक्री होने जा रहे हैं। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि जब भी मंगल ग्रह अपनी चाल, स्थिति या राशि में बदलाव करते हैं, तो इसका असर राशियों समेत पूरे विश्व पर नज़र आता है। ऐसे में, हमारा यह ब्लॉग न सिर्फ आपको मंगल की वक्री चाल के बारे में बताएगा, बल्कि यह कब, किस समय और कौन सी राशि में वक्री होंगे आदि से भी आपको रूबरू करवाएंगे। इसके अलावा, मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है? इसकी जानकारी भी आपको इस लेख में मिलेगी। तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं मंगल की वक्री चाल के बारे में सब कुछ। 

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सिर्फ इतना ही नहीं, मंगल कर्क राशि में वक्री के साथ-साथ हम आपको यह भी बताने जा रहे हैं कि कुंडली के 12 भावों में मंगल महाराज की उपस्थिति जातक को किस तरह के परिणाम देती है। साथ ही, जब मंगल देव कर्क राशि में वक्री हो जाएंगे, तब इनकी यह चाल किन राशियों के लिए शुभ और किन राशियों के लिए अशुभ परिणाम लेकर आएगी। अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मंगल कर्क राशि में वक्री का समय। 

कब और किस समय होंगे मंगल कर्क राशि में वक्री

वैदिक ज्योतिष में मंगल को पराक्रम और साहस का ग्रह कहा जाता है जो कि शनि देव की राशि मकर में उच्च के होते है और चंद्रमा की राशि कर्क इनकी नीच राशि है। बात करें नक्षत्रों की तो, मंगल देव को 27 नक्षत्रों में से चित्रा, धनिष्ठा ओर मृगशिरा नक्षत्र पर आधिपत्य प्राप्त हैं। अब यह 07 दिसंबर 2024, सोमवार की सुबह 04 बजकर 56 मिनट पर कर्क राशि में वक्री हो जाएंगे। मंगल देव की वक्री चाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगी। आइये अब आगे बढ़ते है और जानते हैं वक्री होने का अर्थ। 

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किसे कहते हैं ग्रह की वक्री अवस्था?

हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि सूर्य के अलावा सभी ग्रह अपनी राशि के साथ-साथ चाल और स्थिति में भी बदलाव करते हैं जो कि अस्त, मार्गी, वक्री और उदय के नाम से जानी जाती है। हालांकि, इन सभी का अपना महत्व है, लेकिन यहां हम बात कर रहे हैं ग्रहों की वक्री चाल के बारे में। 

ज्योतिष के अनुसार, जब कोई ग्रह अपने पथ पर पीछे की तरफ यानी कि उल्टा चलता हुआ प्रतीत होता है, तो इस घटना को ग्रह का वक्री होना कहा जाता है। कहते हैं कि ग्रह वक्री अवस्था में नकारात्मक परिणाम देने लगते हैं, लेकिन ऐसा सबके साथ हो, यह जरूरी नहीं होता है। हालांकि, विज्ञान ग्रहों के वक्री होने की बात को नहीं मानता है और उसके अनुसार, ग्रह कभी वक्री नहीं होते हैं। 

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कुंडली के 12 भावों में मंगल का आपके जीवन पर प्रभाव  

ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं और प्रत्येक भाव में मंगल का अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलते हैं। यहां हम आपको हर भाव में मंगल महाराज की उपस्थिति के बारे में बताने जा रहे हैं।

प्रथम/लग्न भाव में मंगल

लग्न भाव में बैठे मंगल महाराज आपको साहस प्रदान करते हैं और ऐसे जातकों को किसी भी तरह के दबाव में रहना पसंद नहीं होता है। साथ ही, यह मुंहफट होते हैं। 

दूसरे भाव में मंगल

कुंडली के दूसरे भाव में मौजूद मंगल व्यक्ति से कड़ी मेहनत करवाने के बाद सफलता प्रदान करते हैं। इनकी वाणी कभी-कभी कड़वाहट भरी हो सकती है। 

तीसरे भाव में मंगल

जब मंगल देव तीसरे भाव में विराजमान होते हैं, तो यह व्यक्ति को साहसी, बहादुर और प्रसिद्ध बनाते हैं। यह लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं और एकदम तंदुरुस्त होते हैं। 

चौथे भाव में मंगल

मंगल ग्रह की चौथे भाव में स्थिति जातक को जीवन में वाहन और संतान सुख का आशीर्वाद देता है। हालांकि, इन्हें अपनी जन्मभूमि या घर से दूर जाना पड़ता है। 

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पांचवें भाव में मंगल

कुंडली के पांचवे भाव में मंगल महाराज की मौजूदगी व्यक्ति को बुद्धिमान बनाने के साथ-साथ चंचल स्वभाव का बनाती है, परन्तु यह थोड़े गुस्सैल हो सकते हैं। 

छठे भाव में मंगल

मंगल देव छठे भाव में बैठे होने से आप अपनी मेहनत के बल पर अपार धन कमाने में सक्षम होते हैं। यह आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। आप दुश्मनों को आसानी से परास्त कर देते हैं। 

सातवें भाव में मंगल

कुंडली का सातवां भाव विवाह एवं साझेदारी का होता है और इस भाव में मंगल ग्रह की उपस्थिति को अशुभ माना जाता है क्योंकि यह विवाह में देरी और जीवनसाथी के साथ समस्याओं का कारण बनते हैं। 

आठवें भाव में मंगल

मंगल महाराज जब आठवें भाव में होते हैं, तो इस स्थिति को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि यहां बैठे मंगल आपके जीवन के लगभग हर कार्य में समस्याएं पैदा करते हैं। 

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नौवें भाव में मंगल

कुंडली के नौवें भाव में विराजमान मंगल देव आपको अहंकारी और उग्र स्वभाव का बनाने का काम करते हैं। हालांकि, यह स्थिति आपको नेता या बड़ा अधिकारी भी बना सकती है। 

दसवें भाव में मंगल

दसवें भाव में मंगल ग्रह की स्थिति जातक को अमीर बनाने का काम करती है और आपको ऐसे विशिष्ट गुण का आशीर्वाद देती है कि आप लोकप्रिय हो जाते हैं। 

ग्यारहवें भाव में मंगल

अगर मंगल देव ग्यारहवें भाव में बैठे होते हैं, तो यह आपको धैर्यवान बनाते हैं और घूमने-फिरने के अवसर प्रदान करते हैं। यह जातक जीवन में ख़ूब लाभ कमाने में सक्षम होते हैं। 

बारहवें भाव में मंगल

कुंडली के बारहवें भाव में मंगल की उपस्थिति जातक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नकारात्मक परिणाम देने का काम करती है। हालांकि, ऐसे लोग अस्त्र-शस्त्र चलाने में माहिर होते हैं। 

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मंगल कर्क राशि में वक्री के दौरान जरूर करें ये उपाय

  • कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए प्रत्येक मंगलवार के दिन व्रत करें।
  • मंगल महाराज से शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए मूंगा रत्न धारण करना शुभ साबित होता है, लेकिन ऐसा किसी अनुभवी एवं विशेषज्ञ ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही करें। 
  • जिन जातकों की कुंडली में मंगल कमजोर या अशुभ होता है, उन्हें हर मंगलवार हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। 
  • मंगल ग्रह की कृपा प्राप्ति के लिए मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर संकटमोचन को सिंदूर का चोला चढ़ाएं। इसके पीछे मान्यता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। 

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मंगल कर्क राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए मंगल देव आपके पहले और आठवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके …(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके सातवें और बारहवें भाव के अधिपति देव हैं जो अब आपके तीसरे ……(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों की कुंडली में मंगल देव आपके छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके दूसरे भाव… (विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि वालों की कुंडली के लिए मंगल ग्रह आपके पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके … (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों की कुंडली में मंगल देव आपके चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके बारहवें … (विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए मंगल ग्रह आपके तीसरे और आठवें भाव के अधिपति देव हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों की कुंडली में मंगल देव आपके दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके दसवें…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके पहले/लग्न भाव और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

धनु राशि वालों की कुंडली में मंगल देव आपके पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके आठवें …(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए मंगल ग्रह आपके ग्यारहवें और चौथे भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके सातवें … (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि 

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल महाराज आपके तीसरे और दसवें भाव के स्वामी ग्रह हैं जो अब आपके छठे… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए मंगल देव आपके दूसरे और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके पांचवें… (विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मंगल किस राशि में स्थित है?

मंगल ग्रह वर्तमान समय में कर्क राशि में उपस्थित है। 

कर्क राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की चौथी राशि कर्क पर चंद्र देव का स्वामित्व है। 

मंगल ग्रह की उच्च राशि कौन सी है?

शनि देव की राशि मकर मंगल ग्रह की उच्च राशि है।