जैन समुदाय में सबसे बड़ा पर्व होता है महावीर जयंती का। चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर महावीर भगवान का जन्म हुआ था। ऐसे में जैन समाज के लोग इस दिन को महावीर जयंती (महावीर जी के जन्मदिवस) के रूप में प्रति वर्ष मनाते हैं। इस वर्ष महावीर जयंती 25 अप्रैल को मनाई जाएगी। कहा जाता है महावीर भगवान ने ही समाज को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था।
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कौन थे भगवान महावीर?
सबसे पहले जानते हैं कि महावीर भगवान थे कौन? तो बताया जाता है कि देश भर में अहिंसा परमो धर्म का संदेश फैलाने वाले भगवान महावीर जैन समाज के अंतिम तीर्थंकर थे। इनका जन्म 599 ईसवी में बिहार के एक राजघराने में हुआ था। राजघराने से ताल्लुक रखने वाले भगवान महावीर ने महज 30 साल की उम्र में अपने सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर तप और साधना का रास्ता चुना था। इसके बाद 12 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद उन्होंने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। इसी वजह से उन्हें महावीर के नाम से जाना जाता है।
कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती?
महावीर जयंती के दिन जैन धर्म के लोग भगवान महावीर की तस्वीर या मूर्ति का अभिषेक करते हैं। इसके बाद इस मूर्ति या तस्वीर को एक रथ पर बिठाकर भव्य और शानदार जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस में जैन धर्म के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मुख्य रूप से इस त्यौहार का सबसे खूबसूरत रंग गुजरात और राजस्थान में देखने को मिलता है। हालांकि महावीर जयंती पूरे पूरे भारतवर्ष में धूमधाम के साथ मनाई जाती है।
भगवान महावीर के सिद्धांत
भगवान महावीर ने दुनिया को कई सिद्धांत दिए हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा सिद्धांत था अहिंसा का। इसके अलावा सत्य की राह पर चलना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, इत्यादि सिद्धांत महावीर स्वामी ने देश और दुनिया को दिए थे। महावीर स्वामी ने दुनिया को दिखाया कि कैसे अहिंसा ही परम धर्म होना चाहिए, कैसे अहिंसा ही परम धर्म होना चाहिए, कैसे अहिंसा ही व्यक्ति को सुख शांति देता है, और कैसे अहिंसा ही संसार का उद्धार करने वाला होता है।
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