महाशिवरात्रि पर करें ये काम और पाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा

शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़े पर्व में से एक माना जाता है। इस वर्ष 11-मार्च गुरुवार के दिन देश और दुनियाभर में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। जहां दक्षिण भारतीय पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का यह पर्व माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है वहीं, उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। भगवान शिव के भक्त महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध आदि चढ़ा-कर विधि विधान से पूजा व्रत और रात्रि जागरण करते हैं। 

इस वर्ष कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि? 

11 मार्च, 2021- गुरुवार

क्या है महाशिवरात्रि का शुभ पूजा मुहूर्त? 

निशीथ काल पूजा मुहूर्त :24:06:41 से 24:55:14 तक

अवधि :0 घंटे 48 मिनट

महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त :06:36:06 से 15:04:32 तक 12, मार्च को

जानकारी के लिए बता दें कि ऊपर दिया क्या मुहूर्त केवल दिल्ली के लिए मान्य है।
अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए आप यहां क्लिक करें 

महाशिवरात्रि की पूजा विधि 

  • शिव पुराण में इस दिन के बारे में दी गई पूजन विधि के अनुसार सुबह उठकर स्नान करें। 
  • इसके बाद मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर उसके ऊपर बेलपत्र डालें। आक- धतूरे के फूल डालें। चावल आदि डालें और फिर इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं। 
  • इस दिन यदि आप शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आपका उनका पूजन कर सकते हैं। 
  • इस दिन शिव पुराण का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें। 
  • महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान बताया गया है। 
  • इसके बाद शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हालांकि भक्त रात्रि के चारों पहरों में से अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन का पूजन कर सकते हैं। 

अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए हमारे विद्वान ज्योतिषियों से करें बात!

महाशिवरात्रि का महत्व 

हिंदू धर्म में भगवान शिव को कल्याणकारी, बाबा भोलेनाथ, शिव शंकर, शिव शंभू, शिव जी, नील-कंठ, रूद्र आदि नामों से जाना जाता है। भगवान शिव शंकर सभी देवताओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय माने जाते हैं। देवों के देव कहे जाने वाले महादेव केवल देवताओं और इंसानों के लिए ही पूजनीय नहीं है बल्कि, असुरों के राजा भी भगवान शिव के उपासक रहे हैं। माना जाता है कि, क्योंकि भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद ही आसान है और इनकी यही सरलता इनकी लोकप्रियता की वजह बन जाती है। भगवान शिव केवल जलाभिषेक, बिल्व पत्रों को चढ़ाने और रात्रि जागरण करने वाले लोगों पर मेहरबान होकर उनके समस्त मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। 

सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए निर्धारित किया गया है। इसके अलावा हर महीने में मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाती है। लेकिन साल में आने वाली इस एक महाशिवरात्रि को व्यापक रूप से देश और दुनिया में मनाया जाता है। यह पर्व भी साल में दो बार आता है। पहली शिवरात्रि फाल्गुन के महीने में आती है और दूसरी, श्रावण मास में। फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव के भक्त कांवड़ से गंगा-जल लेकर आते हैं और इसी जल से अपने भोलेनाथ को स्नान कराते हैं। 

250+ पृष्ठों की बृहत कुंडली से पाएं प्रचुर मात्रा में सफलता और समृद्धि पाने का मंत्र!

जलाभिषेक के लिए इन चीजों की होगी जरूरत 

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त भोले का जलाभिषेक करते हैं। तो आइए जानते हैं इस दिन किन चीजों से जलाभिषेक करना चाहिए। बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर, धतूरा, गंगाजल। मान्यता है कि, इस दिन जो कोई भी इंसान पूरे विधि विधान से पूजा करता है, भगवान शिव का जलाभिषेक करता है, भगवान शंकर उस व्यक्ति की समस्त समस्याएं अवश्य दूर करते हैं और उसकी इच्छाएं भी पूरी करते हैं। 

ज्योतिष के दृष्टिकोण से महाशिवरात्रि पर्व का महत्व 

भगवान शिव चतुर्दशी तिथि के स्वामी माने जाते हैं इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस तिथि को बेहद ही शुभ माना गया है। महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु परिवर्तन भी हो रहा होता है। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमजोर स्थिति में आ जाते हैं। 

क्योंकि चंद्रमा को शिव जी ने अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है ऐसे में, शिव जी के पूजन करने से व्यक्ति का चंद्रमा सबल होता है। अर्थात इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से इंसान की इच्छाशक्ति मजबूत होती है और महादेव उस व्यक्ति के अंदर साहस और वीरता का संचार करते हैं। 

महाशिवरात्रि के ये महाउपाय दूर करेंगे हर बाधा 

शिक्षा से संबंधित परेशानियों को दूर करने के उपाय

शिवरात्रि के दिन मंदिर जाकर भगवान शिव को दूध और मिश्री युक्त जल अर्पित करें। भगवान शिव के नाम का मन में जप करें। आप चाहे तो इस दिन 5 मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में पिरोकर धारण भी कर सकते हैं।

आर्थिक मामलों से संबंधित परेशानियों को दूर करने के उपाय

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को पंचामृत से अभिषेक करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, पांचों सामग्री दूध, दही, शक्कर, शहद और घी आपको एक साथ नहीं चढ़ानी है बल्कि इन्हें एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित करें। इस दौरान “ॐ पार्वतीपतये नमः” मंत्र का 108 बार स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें।

प्रेम और वैवाहिक जीवन से संबंधित परेशानियों को दूर करने के उपाय

शिवरात्रि के दिन शाम के समय शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर अपनी उम्र के अनुसार बेलपत्र अर्पित करें। इन बेलपत्र पर चंदन अवश्य लगा लें। बेलपत्र चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव से जल्दी विवाह होने की प्रार्थना करें।

अपने जीवन साथी के साथ शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल भी अर्पित करें और इस दौरान शिव नाम का जाप करें। इसके बाद अपने जीवनसाथी के साथ शिवलिंग पर 27 गुलाब के फूल अर्पित करें और अपने वैवाहिक जीवन में परेशानियां ना आने की कामना करें।

नौकरी और व्यापार से संबंधित परेशानियों को दूर करने के उपाय

महाशिवरात्रि के दिन चांदी के लोटे से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव पर सफेद रंग के फूल चढ़ाते हुए नौकरी में सफलता, व्यापार में बरकत या मनचाही नौकरी की प्रार्थना करें।

स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों को दूर करने के उपाय

महाशिवरात्रि के दिन एक मिट्टी का दिया लें और इसमें शुद्ध घी डाल लें। इसके बाद चार बत्ती लगाकर इसे जला लें। फिर भगवान शिव को जल, में दूध, मिश्री और चावल आदि मिलाकर अर्पित करें। इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें और भगवान से उत्तम स्वास्थ्य की कामना करें।

आज का दिन किस राशि के जातकों के लिए कैसा रहेगा? सुनिए आचार्या विन्नी अरोड़ा से आज की भविष्यवाणी

महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथाएं 

महाशिवरात्रि को लेकर बताया जाता है कि, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है कि, महाशिवरात्रि के दिन को बेहद ही महत्वपूर्ण विशेष और पवित्र माना जाता है। 

इसके अलावा गरुड़ पुराण में महाशिवरात्रि के उल्लेख में जो कथा दी गई है वह कुछ इस प्रकार है। एक दिन निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गए। हालांकि काफी देर तक शिकार ढूंढने पर भी उन्हें शिकार नहीं मिला। ऐसे में थक हार कर भूख प्यास से व्याकुल होकर निषादराज एक तालाब के किनारे आ गए और आराम करने लगे। यहां पर एक बिल्व का वृक्ष था। जिसके नीचे ही शिवलिंग मौजूद था। निषादराज ने जब अपने शरीर को आराम देने के लिए पेड़ से बिल्वपत्र तोड़ने शुरू किए तो कुछ पत्ते शिवलिंग पर भी जा गिरे। इसके बाद जब उसने अपने पैरों को साफ करने के लिए तालाब के जल छिड़का तो उसकी कुछ बूँदें शिवलिंग पर भी जा गिरी। इसके बाद उसका एक तीर नीचे गिर गया अब तीर को उठाने के लिए निषादराज जब नीचे झुका तो वह अनजाने में ही सही लेकिन शिवलिंग के सामने झुक गया। 

ऐसे में अनजाने में ही सही लेकिन शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा की सारी प्रक्रिया उसने पूरी कर ली। अब मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए तो शिव गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा। दिया ऐसे में कहा जाता है कि, अज्ञानता-वश महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा का अगर इतना अद्भुत फल प्राप्त होता है तो जो व्यक्ति इस पूरे सच्ची निष्ठा आस्था से इस दिन का व्रत करें तो सोचिए महादेव उसे कितना फल प्रदान करेंगे।

आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।