ब्रज में पारंपरिक होली के साथ-साथ होली के कई अन्य और बेहद खूबसूरत रंग देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि, कहा जाता है कि यदि किसी भी व्यक्ति को होली का असली मायना समझना हो तो उसे एक बार ब्रज की होली अवश्य देखनी चाहिए। ब्रज में होली की शुरुआत होगी लड्डू होली के साथ जिसे 22 मार्च के दिन मनाया जाएगा। अब यह लड्डू होली क्या होती है? इसका महत्व क्या होता है और इसे कैसे मनाया जाता है? आइए इस विशेष आर्टिकल में इन सभी सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
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लड्डू, आमतौर पर इसे हिंदू धर्म की पूजा में भोग के तौर पर या शगुन इत्यादि के तौर पर देखा जाता है लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि लड्डुओं से होली भी खेली जाती है? जी हां यह बात एकदम सत्य है क्योंकि बरसाना में लठमार होली से ठीक 1 दिन पहले रंग और अबीर गुलाल की ही तरह लड्डू से होली खेली जाती है। यह होली का ही एक रंग है जिसे सालों से लोग आज भी निभाते आ रहे हैं।
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लड्डू होली से जुड़ी पौराणिक कथा
द्वापर युग में सखी बरसाने की होली खेलने का निमंत्रण लेकर नंद गांव आई थी। उनके होली के इस निमंत्रण को नंद बाबा ने स्वीकार किया और इस बात की खबर पांडे (पुरोहित) के माध्यम से बरसाना में भेज दी। ऐसे में बृजभान ने नंद गांव से आए हुए पुरोहितों को खाने के लिए लड्डू दिए। इसके बाद गोपियों ने पांडे के गालों पर गुलाल लगाना शुरू कर दिया। लेकिन पांडे के पास गुलाल तो था ही नहीं ऐसे में उन्होंने खाने के लिए दिए गए लड्डू को ही गोपियों पर फेंकना शुरू कर दिया।
माना जाता है कि, तभी से लड्डुओं से होली खेलने के लिए बेहद ही मीठी और अनूठी परंपरा की शुरुआत हो गई और देखते ही देखते यह होली का एक विस्तृत रूप बन गया। आज के समय में लड्डू होली को साक्षात देखने और उसका गवाह बनने के लिए देश और दुनिया से लाखों भक्त साल के इस समय बरसाना पहुंचते हैं और लड्डू होली में शामिल होते हैं।
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लड्डू होली के अगले दिन लठमार होली का आयोजन किया जाता है। लड्डू होली बेशक होली का आगमन होता है लेकिन उसका अंत इतनी जल्दी नहीं होता है। तो आइए जानते हैं कि ब्रजभूमि में किस दिन कौन सी होली खेली जाएगी।
ब्रज की रंगारंग होली की शुरुआत होगी 22 मार्च सोमवार को लड्डू होली के साथ। लड्डू होली के अगले दिन यानी 23 मार्च मंगलवार के दिन नंद गांव के होली यारों के संग बरसाना की लट्ठमार होली खेली जाएगी। इसके बाद 24 मार्च बुधवार को नंदगांव में लठमार होली का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद 25 मार्च गुरुवार को फूलों वाली और रंग भरी होली का बांके बिहारी मंदिर में आयोजन किया जाएगा।
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26 मार्च शुक्रवार को गोकुल में होली खेली जाएगी। 27 मार्च शनिवार को वृंदावन में अबीर और गुलाल वाली होली खेली जाएगी। इसके बाद बांके बिहारी मंदिर में 28 मार्च रविवार के दिन होलिका दहन किया जाएगा और अंत में यानी कि 29 मार्च सोमवार को व्रत और द्वारकाधीश मंदिर में रंगों और पानी वाली पारंपरिक होली खेली जाएगी।
हम आशा करते हैं कि, हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी अवश्य साबित हुआ होगा। ऐस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।