हिन्दू ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव आमदनी और लाभ का भाव होता है। यह भाव व्यक्ति की कामना, आकांक्षा एवं इच्छापूर्ति को दर्शाता है। किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए प्रयासों में उसे कितना लाभ प्राप्त होगा, यह ग्यारहवें भाव से देखा जाता है। एकादश भाव लाभ, आय, प्राप्ति, सिद्धि, वैभव आदि को दर्शाता है। इसलिए सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कुंडली में ग्यारहवाँ भाव वह स्थान होता है जिससे मनुष्य को संपूर्ण जीवन में प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभों को देखा जाता है।
एकादश भाव के कारकत्व
लाभ, पूर्ति, मित्र, व्यक्तित्व, आभूषण, बड़े भाई एवं दोष तथा पीड़ा से मुक्ति आदि को एकादश भाव से ज्ञात किया जा सकता है। जन्म कुंडली में एकादश भाव मुख्य रूप से जातकों की इच्छाओं, आशाओं और आकांक्षाओं का बोध कराता है। यह भाव कार्य अथवा व्यवसाय से होने वाले लाभ, उच्च शिक्षा अथवा विदेशी सहभागिता, चुनाव, मुक़दमा, सट्टा, लेखन एवं स्वास्थ्य आदि को दर्शाता है।
ज्योतिष में एकादश भाव का महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव लाभ का स्थान होता है। काल पुरुष कुंडली में एकादश भाव की राशि कुंभ है और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि होता है। जातका देश मार्ग के लेखक के अनुसार, एकादश भाव से कर्मों के द्वारा प्राप्त होने वाले लाभ एवं कष्ट मुक्त जीवन की भविष्यवाणी की जाती है। भटोत्पल के अनुसार, घोड़े एवं हाथियों की सवारी, परिधान, फसलें, आभूषण, बुद्धि एवं धन से संबंधित जानकारी कुंडली में ग्यारहवें भाव से प्राप्त होती है।
उत्तर-कालामृत में कालिदास के अनुसार एकादश भाव से निम्न बातों की जानकारी प्राप्त होती है: इच्छा और इच्छाओं का अहसास, धन का अधिग्रहण, प्रयास द्वारा प्राप्त लाभ, आय, निर्भरता, बड़े भाई, चाचा-ताऊ, देवताओं की पूजा, ईश्वर भक्ति, बुजुर्गों के प्रति सम्मान, ज्ञान द्वारा प्राप्त लाभ, उच्च बौद्धिक स्तर, नियोक्ता के कल्याण, धन हानि, महंगी धातू, गहने आदि का अधिकार, दूसरों को सलाह देना, भाग्य, माँ की दीर्घायु, बायाँ कान, घुटने, चित्रकला एवं सुखदायक और मोहक संगीत या खुशखबरी, मंत्रिपरिषद आदि।
यह भाव समृद्धि, लाभ, कार्य में सफलता, उपलब्धि के बाद प्राप्त होने वाला सूकून, साझेदारी एवं स्थायी मित्रता का बोध कराता है। यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति को धन उधार में देते हैं तो उस धन पर लगने वाला ब्याज और उसका मूलधन को ग्यारहवें भाव से विचार किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर, यदि आप किसी व्यक्ति से धन उधार लेते हैं तो कुंडली में पाँचवाँ भाव उस धन से संबंधित होगा।
प्रेम करने वाले जातक को ग्यारहवें भाव के माध्यम से अधिक सटीकता से परखा जा सकता है क्योंकि यह भाव किसी व्यक्ति का किसी दूसरे व्यक्ति से भावनात्मक संबंध को भी बताता है। ख़ुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली में दूसरा, सातवाँ और ग्यारहवाँ भाव अवश्य देखना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुंडली में एकादश भाव जातकों के सामाजिक और वित्तीय मामलों में सफलता के विषय में जानकारी मिलती है।
ज्योतिष में एकादश भाव बहुत ही प्रभावशाली भाव होता है। यह भाव जातकों की विश्वसनीयता की ओर भी इशारा करता है। इसके साथ कुंडली में एकादश भाव वित्तीय मामलों या नियोक्ता की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। शारीरिक दृष्टि से, एकादश भाव का संबंध जातकों के बाएं कानऔर बाएं हाथ से होता है।
विद्वान ज्योतिष वैद्यनाथ दिक्षित के अनुसार, धन संचय को लेकर जातकों के ग्यारहवें भाव को देखा जाना चाहिए। वहीं वराहमिहिर के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव आय का भाव होता है। यह व्यक्ति की आमदनी के विषय में जानकारी देता है। सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार, यदि किसी जातक का एकादश भाव अथवा इस भाव के स्वामी बली हैं तो इसके प्रभाव से जातक के जीवन में धन-वैभव और संपन्नता आती है। मंत्रेश्वर ने इस भाव को सिद्धि तथा प्राप्ति का भाव कहा है।
मेदिनी ज्योतिष में एकादश भाव से संसद, कानून, राज्य विधायकों, राज्य, शहर, देश, राष्ट्रीय कोष, मुद्रा मुद्रण, सरकारी विभाग, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के निचले सदनों, निगमों, नगर निकायों, जिला बोर्ड, पंचायत, निकायों के नियम आदि का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त एकादश भाव राजदूत, उपराष्ट्रपति, सलाहकार समूह, राज्य स्तरीय शासकीय निकाय, राष्ट्रीय उद्देश्य, राष्ट्रीय योजनाएँ, राष्ट्र के मित्र, उद्यम, क्लब, जुआ रिसॉर्ट्स, अनुयायियों, परियोजनाएँ, सहकारी समितियों, विरासतों को समाप्त करने, सार्वजनिक समारोह, समर्थक आदि को दर्शाता है।
प्रश्न ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव का संबंध किसी जातक की कामना और उसकी आकांक्षा को बताता है। जातकों के लिए यह भाव प्राप्ति का भी भाव होता है। वायदा बाज़ार भविष्यवाणी में सरकारी लोन, इलेक्ट्रॉनिक कंपनी, गैस एवं म्यूजियम आदि का संबंध एकादश भाव से होता है। घोड़ों की दौड़ आयोजन में एकादश भाव प्रबंधन समिति का प्रतिनिधित्व करता है। विभिन्न क्षेत्रों में विजेताओं का विचार भी एकादश भाव से होता है।
कुंडली में एकादश भाव से क्या देखा जाता है?
- आय
- लाभ
- प्राप्ति
- अधिकता
- ज्येष्ठ भाई-बहन
- मित्र
- आर्थिक स्थिति
- काम-वासना
एकादश भाव का अन्य भावों से अतंर्संबंध
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, कुंडली में 12 भावों होते हैं और इन भावों का संबंध एक-दूसरे से होता है। इसी प्रकार एकादश भाव का संबंध अन्य भावों से होता है। कुंडली में एकादश भाव लाभ का भाव होता है। इसके द्वारा जातकों के संतान को भी देखा जाता है और हम जानते हैं कि संतान जातकों की बुढ़ापे की लाठी बनती है। यह भाव उन लोगों को भी दर्शाता है जिनके द्वारा हमें सहयोग प्राप्त होता है।
ग्यारहवाँ भाव लाभ का कारक होता है। यह भाव सोना, कर्मों के द्वारा प्राप्त होने वाली प्रसिद्धि, बड़े संगठन और समिति आदि को दर्शाता है। एकादश भाव से किसी व्यक्ति के परिश्रम, चाची और चाचा, छोटी यात्रा और पिता के संदेश, मानसिक शांति, कानूनी शिक्षा, परीक्षक, गुप्त ज्ञान, पत्नी या पति के मामलों और उनके व्यापार निवेश लाभ, दुश्मनों के दुश्मन, नौकरों की बीमारी, किरायेदारों का कर्ज, पति-पत्नी का अफेयर और उनके व्यापारिक लाभ, संतान का वैवाहिक जीवन, भाइयों की विदेश यात्रा, माता जी की विरासत, पारिवारिक प्रतिष्ठा, दुश्मनों का विनाश और स्वास्थ्य लाभ का विचार किया जाता है ।
यह भाव आपकी पारिवारिक वंशावली, पड़ोसियों का धार्मिक एवं आध्यात्मिक विश्वास, माता की मृत्यु और पुनर्जन्म आदि को दर्शाता है। इसके साथ ही एकादश भाव संतान का जीवनसाथी, विदेशी जानवरों, संयुक्त राष्ट्र, गैर सरकारी संगठनों, शत्रुओं, बच्चों, लक्ष्यों, 8वें भाव के कर्म, अहंकार और आपके पिता की शैली एवं आपके व्यवसाय के संपर्क क्षेत्र को भी बताता है।
लाल किताब के अनुसार एकादश भाव
लाल किताब के अनुसार, ज्योतिष में 11वाँ भाव आपकी आमदनी, पड़ोसी अथवा न्यायाधीश, लाभ, अदालत एवं न्यायाधीश के आसन को दर्शाता है। तीसरे भाव में बैठे ग्रह एकादश भाव में स्थित ग्रहों को सक्रिय करते हैं। इस समय ग्यारहवें भाव में स्थित ग्रहों का प्रभाव जातकों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रह सकता है। हालाँकि दशा की समाप्ति पर जातकों पर इन ग्रहों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इस प्रकार आप देख सकते हैं कि कुंडली में एकादश भाव का कितना व्यापक महत्व है। व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार ही फल को प्राप्त करता है। इसलिए यदि व्यक्ति कोई बड़ी सफलता पाना चाहता है तो उसेअपने कर्मों को महान बनाने की आवश्यकता है।