गजकेसरी योग का अलग-अलग भावों में फल और इसके लाभ

गजकेसरी योग ज्योतिषशास्त्र का वह योग है जिसके कुंडली में होने से व्यक्ति को कई शुभ फल प्राप्त होते हैं। कुंडली में इस योग के होने से क्या लाभ होते हैं और यह योग कुंडली में बनता कैसे है इसके बारे में हम आज अपने इस लेख में चर्चा करेंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर गजकेसरी योग है क्या। 

गजकेसरी योग

इस योग का निर्माण दो शुभ ग्रहों बृहस्पति और चंद्रमा के योग से बनता है। जाहिर है दो शुभ ग्रहों से बनने वाला यह योग अति शुभ माना जाता है। कुंडली के द्वादश भावों में से किसी में भी यदि गुरु और चंद्रमा की युति होती है तो गजकेसरी योग माना जाता है। हालांकि इन दोनों ग्रहों पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही कई विद्वान यह भी मानते हैं कि यदि गुरु और चंद्रमा एक दूसरे पर दृष्टि डालते हैं तो तब भी इस योग का निर्माण होता है। इसके अलावा कुछ अन्य बातें भी इस योग के बारे में ध्यान में रखनी चाहिए, इनके बारे में नीचे बताया जा रहा है। 

  • कर्क राशि में यदि गुरु और चंद्रमा विराजमान हों और इस युति पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि न हो तो यह सबसे शुभ गजकेसरी योग माना जाता है, क्योंकि कर्क गुरु की उच्च राशि है और चंद्रमा की स्वराशि। 
  • केंद्र में विराजमान चंद्रमा और गुरु एक दूसरे पर दृष्टि डाल रहे हों तो इसे भी गजकेसरी योग माना जाता है और इससे भी लाभ की प्राप्ति होती है। 
  • यदि गुरु पंचम, सप्तम या नवम दृष्टि से चंद्रमा को देख रहा हो तो यह भी गजकेसरी योग का निर्माण करता है, हालांकि इनमें पंचम और नवम दृष्टि को सबसे प्रबल माना जाता है। गुरु की इन दोनों में से कोई भी दृष्टि यदि चंद्र पर पड़े तो शुभ होता है। 
  • किसी भी केंद्र या त्रिकोण में गजकेसरी योग का बनना भी शुभ माना जाता है। 
  • इस योग का प्रभाव षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव में बहुत कम प्रभावशाली माना जाता है। इसके साथ ही इन दोनों ग्रहों की नीच राशि में यदि यह योग बने तो ज्यादा लाभदायक नहीं होता। 

गजकेसरी योग कुंडली में हो तो जातक में पाए जाते हैं यह गुण

गज को भगवान गणेश जी का प्रतीक माना गया है और वह बुद्धि के देवता हैं इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है। गज को अहम रहित माना जाता है इसलिए इस योग में जन्मा व्यक्ति बहुत सरल हृदय का हो सकता है। हालांकि केसरी का अर्थ होता है सिंह यानि बुद्धि के साथ-साथ व्यक्ति में स्फूर्ति भी पाई जाती है, अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऐसा व्यक्ति जी तोड़ मेहनत करने से नहीं चूकता, साथ ही उसमें सिंह की तरह दूरदर्शिता भी देखी जाती है। यह योग बहुत शुभ माना गया है और इस योग में जन्म लेने वाले लोगों में निम्नलिखित गुण भी पाए जाते हैं। 

  • इस योग में जन्म लेने वाले जातक साहसी और फुर्तीले होते हैं। खुद को फिट रखने के लिए यह कोशिशें भी बहुत करते हैं। 
  • इस योग वाले जातकों को अपटुडेट रहना पसंद होता है। 
  • इन पर भगवान गणेश की कृपा सदा बनी रहती है। 
  • ऐसे लोग समझदार होते हैं और अपनी वाणी से लोगों को प्रभावित करने में भी सक्षम होते हैं। 
  • अपने गुणों से यह समाज में मान सम्मान की प्राप्ति भी करते हैं। 
  • नौकरी में यह उच्च पदों पर होते हैं। इनमें अच्छा राजनेता बनने के भी सभी गुण होते हैं। 
  • इस योग में जन्मे जातक कई विद्याओं में पारंगत हो सकते हैं। किसी भी विद्या को सीखने में इनको ज्यादा समय नहीं लगता। 
  • इस योग में जन्मे व्यक्ति आध्यात्मिक प्रवृति के भी हो सकते हैं। 

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गजकेसरी योग को ऐसे करें मजबूत

कई बार व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग बनता तो है लेकिन इसके अनुकूल परिणाम प्राप्त नहीं होते। ऐसे में गजकेसरी योग को मजबूती देने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। इन उपायों के बारे में नीचे बताया गया है।

  • गजकेसरी योग को मजबूत करने के लिए व्यक्ति को पीला पुखराज धारण करना चाहिए। 
  • इसके अलावा मोती पहनकर भी इस योग को मजबूती दी जा सकती है।
  • भगवान शिव की आराधना करने से भी यह योग मजबूत होता है।

गजकेसरी योग से मिलने वाले लाभ

इस योग के कुंडली में बनने से व्यक्ति को अपनी बातें लोगों को समझाने और लोगों की बातों को समझने में समय नहीं लगता। ऐसे लोगों का स्वास्थ्य भी ज्यादातर दुरुस्त रहता है। गजकेसरी योग में जन्मे लोगों को कई स्रोतों से धन लाभ मिलने की पूरी संभावना होती है। सामाजिक रूप से सक्रिय होने के कारण इनको समाज में प्रतिष्ठा मिलती है, समाज में सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए भी यह प्रयास करते देखे जाते हैं। ऐसे लोग प्रशासनिक सेवाओं या राजनीति में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। पारिवारिक जीवन में भी इनको परेशानियों का सामना ना के बराबर करना पड़ता है। 

अलग-अलग भावों में गजकेसरी योग का फल

 

गजकेसरी एक शुभ योग है और इससे व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं लेकिन अलग-अलग भावों में इसके बनने से कुछ विशेष फल भी प्राप्त होते हैं। आइए अब जानते हैं कि कुंडली के विभिन्न भावों में इस योग के बनने से मुख्य रूप से कैसे फल मिलते हैं। 

  • प्रथम भाव में गजकेसरी योग का निर्माण व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है। 
  • द्वितीय भाव में गजकेसरी योग का बनना व्यक्ति की वाणी में मिठास भरता है और ऐसे लोगों को धन की कभी कमी नहीं होती। 
  • तृतीय भाव में इस योग का बनना व्यक्ति को साहसी बनाता है। 
  • चतुर्थ भाव में इस योग का निर्माण व्यक्ति को विद्वान बनाता है और पारिवारिक जीवन में भी ऐसे लोगों को शुभ फल मिलते हैं। 
  • पंचम भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति को शिक्षा और प्रेम के क्षेत्र में सफलता मिलती है। 
  • सप्तम भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति को करोबार में सफलता मिलती है और साथ ही वैवाहिक जीवन भी शांतिपूर्ण होता है। 
  • नवम भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति धार्मिक प्रवृति का होता है और साथ ही अच्छा सलाहकार भी। 
  • दशम भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति धनवान बनता है और कार्यक्षेत्र में जबरदस्त सफलता पाता है। 
  • एकादश भाव में इस योग का बनना व्यक्ति को सरकारी सेवाओं पर उच्च पद दिलाता है। ऐसे लोग राजनीति में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। 
  • षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव में यह योग बहुत ज्यादा फलदायी नहीं होता। हालांकि द्वादश भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

निष्कर्ष

गजकेसरी एक शुभ योग है। इसके कुंडली में मौजूद होने से व्यक्ति को जीवन में कई शुभ फल मिलते हैं। हालांकि यह योग तब ज्यादा प्रभावी होता है जब गुरु और चंद्र ग्रह पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि न हो। इसके साथ ही कुछ भावों में यह ज्यादा फलदायी नहीं माना जाता। इसलिए गजकेसरी योग पर टिप्पणी करने से पहले कुंडली का पूरी तरह से अवलोकन करना चाहिए।

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