आषाढ़ पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत किया जाता है। कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसके मनोवांछित इच्छा पूर्ति होती है और साथ ही उस व्यक्ति के विवाह में आ रही है किसी भी प्रकार की बाधा दूर होती है और कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है। इस वर्ष कोकिला व्रत शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को किया जायेगा।
कोकिला व्रत 2021 शुभ मुहूर्त
कोकिला व्रत पूजा समय :
पूर्णिमा तिथि शुरू : 10:40 – 23 जुलाई 2021
पूर्णिमा तिथि ख़त्म : 08:05 – 24 जुलाई 2021
कोकिला का महत्व
कहा जाता है कोकिला व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में तमाम मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दुख, कष्ट और परेशानियां दूर होते हैं और साथ ही विवाह में यदि कोई परेशानी है तो वह भी दूर होती है। इसके अलावा यदि कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की तलाश हो तो उनके लिए भी यह व्रत बेहद ही चमत्कारी और लाभदायक माना जाता है।
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कोकिला व्रत कथा
कोकिला व्रत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि राजा दक्ष अपनी पुत्री सती का विवाह कहीं और करना चाहते थे। हालांकि उन्होंने अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से शादी कर ली। इसके कुछ ही समय बाद राजा दक्ष ने अपने घर पर यज्ञ किया जिसमें उन्होंने ना ही माता सती को आमंत्रित किया और न ही भगवान शिव को। माता सती को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने भगवान शिव से यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी।
अनुमति न मिलने पर माता सती हठ करने लग गयी। तब भगवान शिव ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी। हालांकि यज्ञ स्थल पर पहुंचकर माता सती ने देखा कि उनका कोई भी मान सम्मान नहीं कर रहा है और साथ ही भगवान शिव के लिए भी आपत्तिजनक बातें कही जा रही हैं। इससे माता सती को इतना क्रोध आया कि उन्होंने यज्ञ वेदी में अपनी आहुति दे दी।
भगवान शिव को जब इस बात के बारे में पता चला तो उन्होंने माता सती को श्राप दे दिया कि, क्योंकि आपने मेरी इच्छाओं के विरुद्ध जाकर आहुति दी है इसलिए आपको भी वियोग में रहना पड़ेगा। कहा जाता है भगवान शिव के इस शाप की वजह से माता सती ने 10,000 साल तक कोयल बनकर वन में काटे थे और उस दौरान उन्होंने भगवान शिव की आराधना की थी।
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