Hanuman jayanti 2021: देश का वो मंदिर जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी की पूजा होती है, जानिए क्या है कहानी

देश का वो मंदिर जहां हनुमान जी और उनकी पत्नी की पूजा होती है, जानिए क्या है कहानी

हनुमान जी के बारे में एक बात जो हम सब जानते आ रहे हैं कि भगवान हनुमान बाल ब्रह्मचारी थे। लेकिन अगर आज हम आपको बताएं कि भारत में ही एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां भगवान हनुमान अपनी पत्नी के साथ मौजूद हैं तो शायद आप में से कईयों का सिर चकरा जाएगा। लेकिन यह बिल्कुल ही सच है और आज इस लेख में हम आपको उसी मंदिर के बारे में बताने वाले हैं और साथ ही वो कहानी भी बताएँगे जब हनुमान जी को विवाह करना पड़ा था। 

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तेलंगाना का खम्मम हनुमान मंदिर

देश के दक्षिण में देश का सबसे नया राज्य यानी कि तेलंगाना का एक जिला खम्मम एक खास मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर तो भगवान हनुमान का ही है लेकिन यहां इस मंदिर में हनुमान जी अपनी पत्नी सुर्वाचला के साथ मौजूद हैं और यही बात इस मंदिर की तरफ सबका ध्यान खींचती है। सनातन धर्म के ज़्यादातर अनुयायी यही जानते होंगे कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और उनकी कभी शादी नहीं हुई। जबकि तेलंगाना के इस छोटे से जिले के स्थानीय लोग हर साल ज्येष्ठ शुद्ध दशमी के दिन बड़े धूमधाम के साथ हनुमान जी का विवाह उत्सव मनाते हैं।

ऐसे में आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर हनुमान जी का विवाह कब हुआ और हुआ तो फिर उन्हें बाल ब्रह्मचारी क्यों बताया जाता है। चलिए ये भी आपको बता ही देते हैं।

कैसे हुआ था हनुमान जी का विवाह?

यह बात सच है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे लेकिन उनकी शादी का उल्लेख पाराशर संहिता में भी मिलता है। कथा के अनुसार भगवान हनुमान के गुरु भगवान सूर्य थे। भगवान सूर्य के पास नौ विद्या थी जिसमें से भगवान सूर्य ने हनुमान जी को पांच ही विद्या सिखाई और बाकी की चार विद्या सिखाने से मना कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि उन चार विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना अनिवार्य था जबकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे।

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लेकिन हनुमान जी वह चार विद्याएँ भी सीखना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने विवाह के लिए हाँ कह दिया। तब भगवान सूर्य के तेज से एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम था सुर्वाचला। हनुमान जी ने उन चार विद्याओं को सीखने के लिए इस कन्या से ही विवाह किया।

विवाह के बाद भी कैसे रहे बाल ब्रह्मचारी?

दरअसल भगवान सूर्य ने हनुमान जी को यह बताया कि सुर्वाचला के साथ  विवाह के बाद भी हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी ही कहलाएंगे क्योंकि विवाह के बाद सुर्वाचला पुनः तपस्या में लीन हो जाएगी। वहीं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार चूंकि सुर्वाचला का किसी भी कोख से जन्म नहीं हुआ था इसलिए उनसे शादी करने बावजूद हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी ही बने रहे।

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