पंचम भाव में केतु ग्रह का प्रेम और शिक्षा जीवन पर प्रभाव

केतु ग्रह को वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इसे एक पापी ग्रह भी कहा जाता है जो कुंडली के अलग-अलग भाव में अलग-अलग फल प्रदान करता है। हालांकि इसकी शुभ स्थिति व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। आज हम अपने इस लेख में केतु के पंचम भाव में होने से जातक के जीवन में क्या प्रभाव पड़ते हैं इसके बारे में चर्चा करेंगे।

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आइए  सबसे पहले जानते हैं कि पंचम भाव व्यक्ति के जीवन में क्या महत्व रखता है।

 कुंडली का पंचम भाव

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के पंचम भाव को संतान प्रेम शिक्षा और भावनाओं का घर कहा जाता है। इस भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि या इस भाव की शुभता इंसान को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे फल दिलाती है इसके साथ ही व्यक्ति को संतान सुख भी प्राप्त होता है और उसे टीम जीवन में भी सफलता मिलती है। यह घर यदि शुभ ना हो तो उपरोक्त चीजें मिलने में परेशानी आ सकते हैं। क्योंकि यह भावनाओं का घर भी कहा जाता है इसलिए दूसरे लोगों के प्रति व्यक्ति की भावनाएं कैसी होंगी उसके बारे में भी इस भाव से पता चलता है।

 पंचम भाव में केतु

इस भाव में केतु की उपस्थिति होने से व्यक्ति में निम्नलिखित गुण पाए जा सकते हैं।

  • पंचम भाव में केतु व्यक्ति को पराक्रमी बनाता है। हालांकि ऐसे लोग करियर में बिना किसी की मार्गदर्शन के फीके पड़ सकते हैं। ऐसे लोग दूसरों के नीचे काम करना पसंद करते हैं।
  • ऐसे लोग छल करने में भी माहिर होते हैं अपना काम निकालने के लिए यह किसी भी तरह की तिकड़म बाजी कर सकते हैं।
  • कई बार भावनात्मक रूप से ऐसे लोग कमजोर होते हैं जिसके कारण यह गलत निर्णय ले लेते हैं।
  • यदि है पंचम भाव में शुभ ग्रहों से दृष्ट है या की स्थिति शुभ है तो व्यक्ति अपनी बातों से लोगों को प्रभावित करता है। इसके साथ ही इनके पास पारिवारिक जीवन में भी सुख समृद्धि रहती है।
  •  जिनकी कुंडली में केतु पंचम भाव में प्रतिकूल हो उनमें धैर्य की कमी देखी जाती है।
  • ऐसे लोगों को पशु धन की प्राप्ति होती है।
  • घर से बाहर रहना या विदेशों में निवास करना ऐसे लोगों को पसंद आता है।

संतान के लिए शुभ नहीं माना जाता पंचम भाव का केतु

पंचम भाव को संतान भाव भी कहा जाता है। इस भाव में केतु की उपस्थिति शुभ नहीं मानी जाती। ऐसे में संतान होने में देरी होती है और संतान के साथ ऐसा व्यक्ति ज्यादा समय भी नहीं बिताता। संभव है कि पंचम भाव का केतु व्यक्ति को अपनी संतान से दूर कर दे। साथ ही संतान के साथ संबंध भी इसके कारण बहुत अच्छे नहीं रहते। बच्चों के स्वास्थ्य पर भी केतु ग्रह बुरे प्रभाव डालता है। यदि केतु पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो नकारात्मकता में कुछ कमी आ सकती है। 

पंचम भाव में केतु का आपके प्रेम और शिक्षा जीवन पर प्रभाव

चूंकि पंचम भाव शिक्षा का भाव भी कहा जाता है इसलिए इस भाव में केतु के होने से व्यक्ति को शिक्षा जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति में एकाग्रता की कमी देखी जाती है और विषयों को समझने में उसे दिक्कतें आ सकती हैं। इस भाव में बैठा केतु यदि शुभ है तो व्यक्ति गूढ़ विषयों में अच्छी पकड़ बना सकता है। ऐसे लोगों को आध्यात्मिक क्षेत्र में भी सफलता मिलती है। वहीं प्रेम जीवन में भी इस ग्रह की पंचम भाव में स्थिति का बुरा असर पड़ता है। गलतफहमियों के कारण प्रेम जीवन की गाड़ी डगमगा सकती है। 

पंचम भाव के केतु का स्वास्थ्य पर असर

इस भाव में बैठा केतु व्यक्ति को कई स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है। व्यक्ति के अंदर नकारात्मकता रहती है जिसके कारण मानसिक तनाव होने की भी संभावना होती है। ऐसे लोग विपरीत स्थितियों में बहुत नर्वस हो जाते हैं। पेट से संबंधी समस्याओं से भी व्यक्ति को परेशान होना पड़ता है। पंचम भाव में केतु के प्रभाव को करने के लिए और स्वास्थ्य को दुरुस्त करने के लिए व्यक्ति को योग ध्यान अवश्य करना चाहिए।

केतु के उपाय

यदि आपके पंचम भाव में केतु ग्रह विराजमान है तो आपको कुछ उपाय करके इस ग्रह की नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं। इन उपायों के बारे में नीचे बताया गया है। 

  • यदि केतु पंचम भाव में स्थित होकर बुरे परिणाम दे रहा है तो प्रतिदिन सुबह उठकर गणेश भगवान की पूजा करें। 
  • श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना भी आपके लिए शुभ रहेगा। 
  • केतु के नक्षत्र अश्विनी, मूल या मघा में बुधवार के दिन दान करने से भी केतु के प्रभाव कम होते हैं। 
  • तिल, काला कंबल आदि दान करना भी शुभ है। 
  • माता लक्ष्मी की पूजा करने से भी केतु के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। 
  • केतु के बीज मंत्र ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः’ का जाप करें। 
  • इन सब उपायों के अलावा ध्यान का अभ्यास करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे मानसिक समस्याओं से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।

निष्कर्ष

केतु एक छाया ग्रह है जिसका कोई भौतिक स्वरूप तो नहीं है लेकिन अपने गुणों के कारण इसे पापी ग्रह माना जाता है। इसकी शुभ स्थिति आध्यात्मिकता तो देती है लेकिन अशुभ स्थिति के कारण यह कई परेशानियां देता है। यह हड्डियों की परेशनी भी दे सकता है। साथ ही मानसिक रूप से भी यह व्यक्ति को परेशान कर सकता है। इसलिए हमारे इस लेख में बताए गए उपायों को करके आप इसकी स्थिति को शुभ बना सकते हैं। यदि आपके पंचम भाव में यह ग्रह में विराजमान है तो उपरोक्त उपाय आपको फायदा पहुंचाएंगे। सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर