कंस वध: जानें क्यों भगवान कृष्ण ने किया था अपने मामा का वध?

भगवान कृष्ण के अनेकों रूप में एक रूप वो भी है जिसमें उन्होंने अपने मामा कंस का वध कर के लोगों को उनके आतंक से मुक्त किया था। जिस दिन भगवान कृष्ण ने अपने मामा का वध किया था वो दिन  कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का दिन था। इसी महत्वपूर्ण दिन को मनाने के लिए हर साल कार्तिक माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कंस वध का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 24 नवंबर- मंगलवार के दिन मनाया जायेगा। 

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तो आइये इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस दिन के बारे में कुछ और जानकारी देते हैं। साथ ही इस दिन के शुभ मुहूर्त और भगवान कृष्ण की कुछ रोचक लीलाओं की भी जानकारी आपको यहाँ दी जा रही है।

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कंस वध शुभ मुहूर्त 

दशमी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 24, 2020 को 12 बज-कर 34 मिनट (सुबह)

दशमी तिथि समाप्त – नवम्बर 25, 2020 को 02 बज-कर 44 मिनट (सुबह)

भगवान कृष्ण ने कैसे किया था कंस वध?

अहंकारी और अत्याचारी कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए लाखों जतन किये थे। जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है कि, एक आकाशवाणी के मुताबिक कहा गया था कि कंस का वध उसी की बहन देवकी की आठवीं संतान के हाथों होना था, इसी के चलते कंस इस कदर बौखलाया हुआ था कि उसने भगवान कृष्ण को मारने के लिए कई चालें चलीं, लेकिन अंत में कंस की मृत्यु भगवान कृष्ण के ही हाथों हुई।

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बताया जाता है कि कंस मामा का वध करने से पहले भगवान कृष्ण ने पहले उनके दो सुरक्षा-कवच पहलवानों को मारा था। ये दोनों पहलवान मुष्ठिक और चाणूर बेहद ही शक्तिशाली हुआ करते थे। जब कंस को मारने के लिए भगवान कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ कंस के सभागार में पहुचे थे तो इन्हीं दोनों पहलवानों ने उन्हें चुनौती देते हुए लड़ाई के लिए ललकारा था। इसके बाद देखते ही देखते मुष्ठिक बलराम से भिड़ गया और चाणूर भगवान श्रीकृष्ण से युद्ध करने लगा। अंत में भगवान कृष्ण और बलराम ने इन दोनों पहलवानों का अंत कर दिया था।

अपने दो शक्तिशाली और विशाल पहलवानों को यूँ मृत्यु के मुँह में जाता देख कंस भयभीत हो उठा। भगवान कृष्ण और बलराम का क्रोध देखकर कंस की पूरी सेना कायरों की तरह भाग खड़ी हुई। हालाँकि अहंकार में चूर कंस ने भगवान कृष्ण पर वार करने के लिए अपनी तलवार निकाल ली, और वहीं दूसरी तरफ भगवान कृष्ण उसके सामने निहत्थे खड़े थे।

जैसे ही खुद को बचाने और भगवान कृष्ण को चोटिल करने के लिए कंस ने तलवार चलायी, वैसे ही भगवान कृष्ण ने कंस को उसके बाल से पटक-कर जमीन पर गिरा दिया। इससे पहले की कंस को कुछ समझ आता, वो उठकर दोबारा भगवान कृष्ण पर प्रहार कर पाता, भगवान कृष्ण उसकी छाती पर चढ़ गए और देखते-ही-देखते कंस के प्राण-पखेरू उड़ गए, और इस तरह से कृष्ण भगवान ने समस्त लोगों को कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। 

कंस के बारे में कुछ बातें 

  • मथुरा के राजा उग्रसेन के पुत्र थे कंस। हालाँकि राज-गद्दी के लालच में कंस ने अपने ही पिता को कारावास में डाल दिया था और स्वयं राजा बन बैठा था।
  • देवकी कंस की चचेरी बहन थीं, जिनसे कंस को लगाव तो बहुत था, लेकिन देवकी की ही आठवीं संतान से अपनी मृत्यु की आकाशवाणी सुनने के बाद कंस ने देवकी और उनके पति को कारावास में डाल दिया था।
  • कंस ने मगध के राजा की दो बेटियों से विवाह किया था।
  • जब कंस को इस बारे में जानकारी मिली की कृष्ण गोकुल धाम में हैं, तब से लेकर अपनी मृत्यु तक उसने कृष्ण भगवान को मारने के लिए लाखों जतन किये थे, जिन सभी में उसे मुँह की खानी पड़ी थी।
  • अंत में भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया, और राजा अग्रसेन को पुनः उनका राजसिंहासन सौंपा और मथुरा के लोगों को कंस के आतंक और पाप से मुक्ति दिलाई।  

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