रामनवमी के एक दिन बाद है कामदा एकादशी, जानें इस दिन का महत्व और व्रत कथा

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कामदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष कामदा एकादशी 23 अप्रैल के दिन पड़ रही है। बहुत सी जगहों पर कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति इस दिन का व्रत करता है उसे सभी कष्टों से छुटकारा प्राप्त होता है। कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है।

कामदा एकादशी 2021 मुहूर्त 

कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त :05:47:12 से 08:24:09 तक 24, अप्रैल को

अवधि :2 घंटे 36 मिनट

कामदा एकादशी महत्व 

कामदा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, प्रत्येक दुख कष्ट और परेशानियां दूर होती है। सिर्फ इतना ही नहीं जिन लोगों के पतियों या फिर संतान के जीवन में कोई बुरी आदत हो उन्हें भी कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी जाती है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन से हर बुरी आदत दूर होती है। साथ ही इस दिन का व्रत करने से व्यक्ति की कोई भी अधूरी मनोकामना भी अवश्य पूरी होती है।

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कामदा एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत में उस व्रत से संबंधित कथा सुनने का विशेष महत्व बताया जाता है। तो आइए जानते हैं कामदा एकादशी की व्रत कथा क्या कहती है। बहुत समय पहले पुंडरीक नामक नाग का एक राज्य हुआ करता था। इस राज्य में अप्सराएं, गंधर्व और किन्नर रहते थे। इसी नगर में एक ललिता नाम की बेहद खूबसूरत अप्सरा भी रहती थी। ललिता का पति ललित भी इसी नगर में रहता था। ललित और ललिता दोनों में बेहद ही प्रेम था। 

एक समय की बात है कि राजा ने ललित को गाने और नृत्य करने के लिए अपने महल में बुलाया। ललित नृत्य कर रहा था कि तभी उसे अपनी पत्नी की याद आ गई जिससे वह नृत्य और गाने के बारे में भूल गया। सभा में मौजूद नाग देवता ने नागराज को ललित की किस गलती के बारे में बता दिया जिससे क्रोधित होकर नागराज ने ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया। 

ऐसे में इस श्राप के प्रभाव से ललित एक बेहद ही भयानक राक्षस दिखने लगा। ललित कि ऐसी स्थिति देखकर उसकी पत्नी ललिता बेहद दुखी हो गयी और अपने पति को इस श्राप से मुक्त करने का उपाय ढूंढने लगी। तब एक विद्वान मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ललिता ने मुनि की बात मान कर कामदा एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उसके पति पर चढ़ा श्राप दूर हो सका और उसे राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई।

कहा जाता है कि, तभी से लोगों के बीच कामदा एकादशी व्रत को किये जाने की मान्यता की शुरुआत हुई।

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