Kalashtami 2021: कालाष्टमी आज, इस विधि से करें काल भैरव की पूजा

(Kalashtami 2021) कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है। माघ माह में कालाष्टमी का व्रत 4 फरवरी 2021-गुरुवार के दिन यानि की आज किया जायेगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन की पूजा अर्चना और व्रत उपवास करने वाले जातक भगवान शिव के काल भैरव अवतार की पूजा करते हैं। 

कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी जातक इस दिन भगवान शिव की कथा पढ़ते हैं, उनका भजन कीर्तन आदि करते हैं उसके आसपास की सभी नकारात्मक शक्तियां सकारात्मक शक्तियों और उर्जाओं में तब्दील हो जाती है और साथ ही ऐसे व्यक्ति के जीवन से आर्थिक तंगी और सभी दुख कष्ट और परेशानियां भी दूर होते हैं। 

भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के 2 स्वरूप बताए जाते हैं। पहला बटुक भैरव, जिन्हें सौम्य माना जाता है और दूसरा स्वरूप है काल भैरव (Kaal Bhairav) का जो भगवान शिव का रौद्र रूप होता है। मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami) यानी प्रत्येक मास में आने वाली कालाष्टमी। कालाष्टमी की पूजा रात को की जाती है। इस दिन की पूजा में रात में चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद ही व्यक्ति के का व्रत पूरा होता है। 

काल भैरव मंत्र का महत्व, जाप विधि और उससे प्राप्त होने वाले लाभ।

कालाष्टमी महत्व (Kalashtami Mahatva)

मान्यताओं के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है उसे भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन की पूजा में श्री भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा काल भैरव की सवारी काले कुत्ते को इस दिन विशेष रूप से भोजन कराना चाहिए। ऐसा करने से काल भैरव (Kaal Bhairav) तो प्रसन्न होती ही हैं साथ ही व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होती हैं। 

कालाष्टमी (Kalashtami) या मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami) के दिन जो कोई भी जातक व्रत उपवास रखते हैं उन्हें सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। 

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त 2021 (Kalashtami Shubh Muhurat)

माघ मास कृष्ण अष्टमी तिथि 4 फरवरी 2021 गुरुवार 

अष्टमी तिथि आरंभ 4 फरवरी 2021: गुरुवार: रात 12 बज-कर 07 मिनट से 

अष्टमी तिथि समाप्त 5 फरवरी 2021: शुक्रवार: रात 10 बज-कर 07 मिनट तक 

कालाष्टमी पूजन विधि (Kalashtami Pooja Vidhi)

कालाष्टमी के दिन काल भैरव के साथ साथ मां दुर्गा की पूजा करने का विधान बताया गया है। इस दिन अर्ध रात्रि के बाद दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को कालरात्रि देवी के पूजन की तरह इस दिन का पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा कालाष्टमी (Kalashtami) की पूजा में काल भैरव के साथ में मां पार्वती और भगवान शिव की कथा सुननी चाहिए। कालाष्टमी पूजा के दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया गया है। 

इसके अलावा इस दिन का व्रत फलाहार किया जाता है। ऐसे में इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें। मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami) के दिन भैरव मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। 

कालाष्टमी के दिन क्या करें क्या ना करें (Kalashtami Do’s And Don’ts)

  • कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  • कालाष्टमी के दिन भैरव मंदिर में सिंदूर, सरसों के तेल, नारियल, चना इत्यादि का दान करना चाहिए। 
  • काला अष्टमी के दिन भैरव देवता की तस्वीर या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और श्री काल भैरव अष्टक का पाठ करें। 
  • काल भैरव (Kaal Bhairav) की सवारी काले कुत्ते को कालाष्टमी के दिन मीठी रोटियाँ खिलाएं। 
  • कालाष्टमी के दिन भूल से भी कुत्तों पर अत्याचार ना करें।

कालाष्टमी व्रत नियम (Kalashtami Vrat Niyam)

  • कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) के दिन काल भैरव भगवान के भक्त काल भैरव की पूजा करते हैं और उन शिव मंदिरों में जाते हैं जहां काल भैरव की मूर्तियां मौजूद होती हैं। 
  • इसके अलावा मासिक कालाष्टमी व्रत (Masik Kalashtami Vrat) के दिन बहुत से लोग अपने घर में देवी-देवताओं के लिए तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और उनका देवी देवताओं को भोग भी चढ़ाते हैं। 
  • तंत्र पूजा और काले जादू इत्यादि के लिए कालाष्टमी का दिन बेहद सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। 
  • कालाष्टमी व्रत के दिन रात्रि जागरण का नियम सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। 
  • इसके अलावा इस दिन किया जाने वाला व्रत अगले दिन सुबह पूजा के बाद समाप्त होता है। 
  • उपवास के दौरान यदि आप के लिए मुमकिन हो तो बिना कुछ खाए पिए यह व्रत रहना चाहिए। हालाँकि आप चाहे तो इस दिन की व्रत में फलाहार सेवन भी कर सकते हैं।

काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra)

अब जानते हैं काल भैरव के कुछ मंत्र जिन्हें कालाष्टमी (Kalashtami) की पूजा में विशेष रूप से शामिल करने की सलाह दी जाती है। काल भैरव के ये मंत्र बेहद ही शुभ और पुण्य फलदायी माने गए हैं। इन मंत्रों का जाप करते समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि, इनका उच्चारण स्पष्ट और सही रूप से ही किया जाना चाहिए।

ॐ कालभैरवाय नम:।’

ॐ भयहरणं च भैरव:।’

ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्‍।

ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।

ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

कालाष्टमी व्रत 2021 (Kalashtami Vrat 2021) संपूर्ण सूची 

व्रत दिन तिथि 
मासिक कालाष्टमी व्रतबुधवार6 जनवरी 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतगुरूवार4 फरवरी 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतशुक्रवार5 मार्च 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतरविवार4 अप्रैल 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतसोमवार3 मई 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतबुधवार2 जून 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतगुरूवार1 जुलाई 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतशनिवार31 जुलाई 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतसोमवार30 अगस्त 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतबुधवार29 सितंबर 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतगुरूवार28 अक्टूबर 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतशनिवार27 नवंबर 2021
मासिक कालाष्टमी व्रतसोमवार27 दिसंबर 2021

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