हिन्दू नववर्ष: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (विक्रमी संवत 2076) भविष्यवाणी

नववर्ष का फल कथन करते समय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और और नववर्ष अर्थात मेष संक्रांति की कुंडली का अवलोकन किया जाता है जिसके आधार पर वर्ष पर्यन्त होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं का आकलन किया जाता है।

(चैत्र शुक्ल प्रतिपदा)

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की कुंडली कर्क लग्न की है। लग्न का स्वामी चंद्रमा अपने मित्र द्वितीय सूर्य के साथ मीन राशि में नवम भाव में स्थित है। षष्ठेश और नवमेश गुरु, सप्तमेश और अष्टमेश शनि तथा केतु के साथ छठे भाव में स्थित है तथा राहु द्वादश भाव में स्थित है। तृतीयेश और द्वादशेश बुध अष्टम भाव में चतुर्थेश और एकादशेश शुक्र के साथ उपस्थित है। पंचमेश और दशमेश  मंगल एकादश भाव में वृषभ राशि में स्थित है। सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य में स्थित हैं। मंगल और शनि षडाष्टक योग में है।

 (मेष संक्रांति कुंडली)

मेष संक्रांति की कुंडली भी कर्क लग्न की है और लग्नेश चंद्र लग्न में विराजमान हैं। गुरु केतु और शनि छठे भाव में तथा शुक्र अष्टम भाव में स्थित है। बुध नवम भाव में तथा सूर्य दशम भाव में और मंगल एकादश भाव में स्थित है तथा राहु की उपस्थिति द्वादश भाव में है।

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आइए जानते हैं इन दोनों कुंडलियों के आधार पर यह नूतन वर्ष हमारे देश और देशवासियों पर किस प्रकार के प्रभाव लेकर आएगा:

आतंकी घटनाओं से लड़कर क्या भारत विश्व गुरु बनेगा

  • वर्ष लग्न की कुंडली में लग्न का स्वामी चंद्रमा नवम भाव में द्वितीय सूर्य के साथ स्थित है जिसके कारण भारत को आगे बढ़ने के लिए अनेक संभावनाएं मिलेंगी।
  • अपनी नीतियों के बल पर भारत विदेशों में अपनी धाक जमाएगा और कूटनीति के क्षेत्र में जमकर सफलता अर्जित करेगा। हालांकि आंतरिक मोर्चों पर अंतरकलह का सामना करना पड़ सकता है।
  • मई-जून के मध्य में मंगल के मिथुन राशि में गोचर करने से मंगल राहु का अंगारक योग बनेगा जो आतंकी घटनाओं की ओर इशारा करता है।
  • कुछ आकस्मिक घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी बनेगी।
  • लग्नेश चंद्र के नवम भाव में आसीन होने से भाग्य का साथ मिलेगा और देश इन कठिन चुनौतियों का सामना डटकर करेगा और कामयाब होगा।
  • सप्तमेश शनि की छठे भाव से अष्टम भाव में स्थिति होने के कारण बाहरी देशों की मदद से आतंकी गतिविधि फैलाने वाले देशों पर अंकुश लगाया जाएगा और उनको छिन्न भिन्न करने की स्थिति उत्पन्न की जाएगी।

राजनीति: लोकसभा चुनाव 2019 में क्या मोदी लहर बनी रहेगी

  • राजनीति के क्षेत्र में विशेष उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे और संभव है कि इस वर्ष किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त ना हो। जिसके कारण गठबंधन की संभावना बढ़ेगी और छोटी पार्टियों को विशेष महत्वपूर्ण दर्जा मिलेगा। हालांकि इसके बावजूद भी वर्तमान सत्तासीन पार्टी को दोबारा सरकार बनाने का मौका मिल सकता है।
  • वर्तमान में पदासीन श्री नरेंद्र मोदी के केंद्र में मज़बूती के साथ आने के योग है।
  • महागठबंधन को थोड़ा लाभ होगा लेकिन विपक्षी पार्टियों को अपेक्षा अनुरूप सफलता न मिलने से सरकार बनाने में कामयाबी मिलना संदिग्ध दिखाई देता है।
  • तृतीयेश और चतुर्थेश की अष्टम भाव में युति के कारण विपक्षी पार्टियों पर देश विरोधी होने और देश के विरुद्ध षडयंत्र रचने के आरोप लगते रहेंगे।  

खेल: क्या क्रिकेट विश्व कप आएगा भारत की झोली में  

  • तृतीय भाव का स्वामी बुध है और उससे एकादश भाव में स्थित बृहस्पति की स्थिति है तथा वह एकादशेश शुक्र के साथ स्थित होने से खेलों के क्षेत्र में भारत का अच्छा प्रदर्शन रहेगा।
  • हालांकि यह स्थिति प्रारंभ में कुछ संघर्ष अवश्य कराएगी और खिलाड़ियों को अपनी क्षमता से आगे बढ़कर प्रदर्शन करना होगा।

देश का स्वास्थ्य

  • पंचम भाव का स्वामी मंगल एकादश भाव में बैठकर पंचम भाव पर दृष्टि देकर अपने भाव को प्रबल कर रहा है जिसके कारण जन्म दर में वृद्धि होगी।
  • दूसरी और छठे भाव में गुरु शनि तथा केतु की युति है जिस पर मंगल का प्रभाव है इस कारण संक्रामक रोगों की संख्या बढ़ सकती है और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं परेशान कर सकती हैं।

आर्थिक स्थिति: शेयर बाज़ार और मुद्रा कोष  

  • पंचमेश और अष्टमेश मंगल लाभ भाव में होने के कारण आर्थिक स्तर पर भारत उन्नति करेगा। सप्तमेश और अष्टमेश शनि छठे भाव में स्थित होकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों के द्वारा प्रबंधन लाभों की ओर इशारा करता है।
  • इसके कारण विदेशी व्यापार की नीतियाँ देश के लिए अनुकूल साबित होंगी और भारत की प्रगति होगी।
  • शनि छठे भाव में स्थित है, इसलिए पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि हो सकती है। मंगल का शनि पर अष्टम दृष्टि देना कीमती धातुओं की कीमत में तेजी को दर्शा रहा है।
  • मौद्रिक भंडार की वृद्धि होगी और देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा।
  • व्यापारियों के लिए साल अच्छा रह सकता है। धातुओं के दामों में तेजी रहेगी और शेयर बाजार उतार-चढ़ाव से भरा रहेगा।
  • मुद्रास्फ़ीति की दर में वृद्धि हो सकती है और देश का धन बैंकों में संचित होने में सफलता मिलेगी। इसके लिए सरकार कोई कठिन निर्णय ले सकती है।

रक्षा स्थिति: राफेल और अन्य सैन्य समझौते  

  • शनि और मंगल का षडाष्टक योग बन रहा है। मंगल दशमेश है और शनि सप्तमेश और अष्टमेश। इसके परिणामस्वरूप शनि जो कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का कारक ग्रह है, इस चलते मंगल से दृष्ट होने के कारण भारत की सरकार तथा विदेशों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उतार-चढ़ाव रहेगा और संबंधों में कुछ कटुता भी आ सकती है।
  • भारत के रक्षा बजट में वृद्धि होगी और देश रक्षा के क्षेत्र में अधिक उन्नति करेगा।
  • तृतीयेश बुध की अष्टम भाव में स्थिति पड़ोसी देशों के किसी गुप्त षड्यंत्र के होने की ओर इशारा करती है, जिसके प्रति सचेत रहने की आवश्यकता होगी।
  • दोनों ही कुंडलियों में शनि और राहु का सम सप्तक योग भी किसी छद्म युद्ध या सांप्रदायिक हिंसा की ओर इशारा करता है।
  • छठे और आठवें भाव का संबंध होने के कारण विरोधियों पर कठिन कार्यवाही हेतु अनेक रक्षा सौदे होंगे और भारत की रक्षा स्थिति मजबूत होगी।  

हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा का अर्थ एवं महत्व

चैत्रे मासि जगद्ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेऽहनि।
शुक्लपक्षे समग्रं तु तदा सूर्योदय सति।।
-हेमाद्रौ ब्राहोक्तेः  

हेमाद्रि के ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन सूर्य उदय के समय ही परम पिता ब्रह्मा जी ने इस जगत की उत्पत्ति की थी। इसी कारण से प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा तिथि को नववर्ष का प्रारंभ होता है और नया संवत्सर लागू होता है। वर्ष 2019 में दिनांक 6 अप्रैल दिन शनिवार को प्रारंभ होने वाले इस नूतन संवत्सर का नाम परिधावी है। यह संवत्सर क्रम में 46 वां संवत्सर है। चैत्र प्रतिपदा से ही विक्रमी संवत 2076 का आरंभ होगा। इसी तिथि से चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।   

परिधावी नाम नूतन संवत्सर का फल
भूपहावो महारोगोमध्य सस्यार्घ वृष्टरयः।
दुःखिनो जन्तवः सर्वेवत्सरे परिधाविने।।

इसका तात्पर्य यह है कि परिधावी नाम के संवत्सर में संसार के देशों के मध्य तनाव बढ़ेगा तथा युद्ध जैसी हालात उत्पन्न हो सकते हैं। श्रावण और भाद्रपद के महीने में वर्षा की कमी रह सकती है तथा वर्षा के असंतुलन के कारण धन-धान्य मध्यम स्थिति में असंतुलन रहेगा और उसके फल स्वरूप अनाज आदि के मूल्य में वृद्धि होगी। इस संवत्सर में हिंसा का भय और अशांत वातावरण रहेगा। चौपाये जंतुओं को कष्ट रह सकता है तथा विभिन्न प्रकार के फल और रसीले पदार्थ महँगे हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त चाँदी आदि विभिन्न प्रकार की धातुओं के दामों में कमी देखने को मिलेगी।

चैत्रसितप्रतिपदि यो वारोऽर्कोदये सः वर्षेशः।
-ज्योतिर्निबन्ध

अर्थात ज्योतिर्निबन्ध के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को सूर्योदय के समय जो दिन होता है वही वर्ष का राजा माना जाता है। चूंकि इस बार प्रतिपदा शनिवार को पड़ रही है, इसलिए इस वर्ष का राजा शनि ग्रह माना जाएगा।

इस वर्ष के विशेष बिंदु

वर्ष लग्न – कर्क
नक्षत्र – रेवती

इस वर्ष के अधिकारी

राजा –  शनि
मंत्री –  सूर्य
सस्येश – मंगल
धान्येश – चन्द्र
मेघेश – शनि
रसेश – गुरु  
फलेश – शनि
नीरसेश – मंगल  
धनेश – मंगल
दुर्गेश – शनि

कर्के सुखानी पूर्वस्यामुत्तरस्यां तु विग्रहः।
स्यान्मासनवकम यावद दुर्भिक्षं पश्चिमे दिशि।।  
-मेघ महोदय

इस संवत्सर के प्रारंभ के समय में कर्क लग्न उदित हो रहा है जिसके कारण हमारे देश के पूर्वी क्षेत्रों और संसार के पूर्वी देशों में उन्नति और प्रगति होगी तथा सुखों की प्राप्ति होने के कारण लोग प्रसन्न रहेंगे। पश्चिमी राज्य और पश्चिम के देश दुर्भिक्ष के कारण परेशान हो सकते हैं। देश के उत्तरी राज्य और उत्तरी देश सरकारों तथा राजनेताओं के मध्य में सत्ता संघर्ष होने के कारण तथा आरोप प्रत्यारोप के कारण राजनीतिक माहौल गर्म रहेगा।

वर्ष के आरंभ में रेवती नक्षत्र होने से इस वर्ष वर्षा अच्छी मात्रा में हो सकती है, जिसके कारण जन धन की वृद्धि होगी और फ़सलों में भी लाभ होगा।

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वर्ष के अधिकारियों का प्रभाव

वर्ष का राजा शनि

शनैश्चरे भूमिपतो सकृज्जलं प्रभूतरोगै परिपीड्यते जनाः।
युध्दं नृपाणां गदतस्कराद्यैर्भ्रमन्ति लोकाः छुधिताश्च देशान।।       

इस वर्ष का राजा शनि होने के कारण उपद्रवों की संख्या बढ़ सकती है तथा युद्ध जैसे वातावरण निर्मित होंगे और अशांति रहेगी। सूखा पड़ना अर्थात अल्प वर्षा से समस्या होना संभावित है। जन हानि होने की भी संभावना बन रही है और इस वर्ष वर्षा अल्प होगी तथा वायु का प्रकोप तेज हो सकता है। महँगाई बढ़ सकती है जिसके कारण मुद्रास्फ़ीति की दर में प्रभाव देखने को मिलेगा। जनता में रोगों के कारण परेशानी बढ़ सकती है और देश के नेताओं के बीच विरोध के टकराव की स्थिति उत्पन्न होने की भी संभावना रहेगी। असामाजिक तत्व अधिक सक्रिय रहेंगे और बाढ़ तथा आतंकी घटनाओं के कारण लोगों का पलायन एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो सकता है।

वर्ष का मंत्री सूर्य

नृपभयं गदतोऽपि हि तस्करात प्रचुर धान्यधनादि महीतले।
रसचयं हि समर्घतमं तदा रवि रमात्यापदं हि समागतः।।        

इस वर्ष का मंत्री रवि अर्थात सूर्य होने के कारण सरकार की ओर से कठोर निर्णयों के कारण तथा विभिन्न प्रकार के घोटालेबाज लोगों की ओर से जनता भयभीत हो सकती है। हालांकि देश में धन-धान्य की उपज अच्छी होगी और इसका लाभ मिलेगा। पूर्वोत्तर में उत्तम कृषि तथा धान्य की स्थिति सुदृढ़ होगी। राज्य और केंद्र सरकार के मध्य तनातनी को सकती है तथा रसीले  पदार्थों के उत्पादन में कमी होने से उनके भाव में तेजी हो सकती है।

वर्ष का सस्येश मंगल

अथ च सस्यपतौ धरणीसुते गजतुरंगखरोष्ट्रगवामपि।
भवति रोगहतिश्च घना जलं ददति नैव तुषान्नविनाशनम।।

सस्येश मंगल होने के परिणाम स्वरूप इस साल पशुधन पर संकट की स्थिति रहेगी और उन्हें विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ेगी। संक्रमण का प्रभाव बढ़ेगा। दक्षिण के कुछ राज्यों में पीने के पानी का संकट उत्पन्न हो सकता है। सामाजिक अस्थिरता तथा हिंसात्मक घटनायें बढ़ेंगी तथा वर्षा की कमी होने के कारण फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके परिणाम स्वरुप इनके दामों में तेजी देखने को मिलेगी।

वर्ष का दुर्गेश शनि

रविसुते गढपालिनी विग्रहे सकलदेशगताश्चलिता जनाः।
विविधवैरि विशेषित नागरा कृषिधनं शलभैरमुषितं भुवि।।

दुर्गेश अर्थात सेनापति शनि होने के कारण पड़ोसी देशों से बैर भाव बढ़ सकता है तथा युद्ध जैसे हालात पैदा होने के कारण अशांति पैदा हो सकती है। अनेक राष्ट्रों में आंतरिक कलह और विद्रोह के कारण राजनीतिक आंदोलन और प्रदर्शन तथा अस्थिरता दिखाई दे सकती है। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से जनता के प्रभावित होने की संभावना रहेगी। सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा और समुदायों के बीच में संघर्ष बढ़ सकता है। विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिकी असंतुलन के कारण फसलों को नुकसान हो सकता है।

वर्ष का मेघेश शनि

रविसुते जल्दाधिपतौ भवेद विरलवृष्टिवति वसुधा तदा।
मनसि तापकरो नृपतिः सदा विविधरोगयुता जनता तदा।।

मेघेश का अर्थ होता है मेघ अर्थात बादलों का स्वामी। मेघेश के द्वारा वर्ष भर वर्षा के बारे में पता चलता है। इस वर्ष का मेघेश शनि होने के कारण वर्षा असंतुलित रहेगी अर्थात कहीं अधिक वर्षा होगी और कहीं बहुत कम। इसी कारण कुछ स्थानों पर बाढ़ की स्थिति आ सकती है तो कहीं सूखा भी पड़ सकता है। इसके परिणाम स्वरूप पश्चिमी देशों में प्राकृतिक घटनाओं की वृद्धि हो सकती है तथा सांप्रदायिक स्थिति बिगड़ सकती है। फ़सलों को नुकसान होने की संभावना भी रहेगी।

वर्ष का धनेश मंगल

धरणिजे धननायकतां गते शरदि ताम्रकरास्तुष धान्यहा।
सकल देश जनाश्चलितास्तदा नरपतिर्नर शोकविधायकः।।

धनेश का अर्थ होता है धन पति। इस वर्ष का धनेश मंगल होने के कारण व्यापार के क्षेत्र में उतार चढ़ाव की स्थिति देखने को मिलेगी और वस्तुओं के मूल्य में भी विशेष रूप से उतार-चढ़ाव बना रहेगा। समय पर वर्षा ना होने और बेमौसम वर्षा होने के कारण अनाजों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त देश की परिस्थितियां अनिश्चितता की ओर बढ़ने की संभावना रहेगी और अस्थिरता आ सकती है। शासन और प्रशासन द्वारा कुछ कठिन निर्णय लिए जाएंगे। विश्व में अनेक देशों की अर्थव्यवस्था में भी उतार चढ़ाव की स्थिति देखने को मिलेगी।

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वर्ष का रसेश गुरु

यदि गुरौ रसपे सुखिनो जनाः समधिकेन फलादि युता द्रुमाः।
जनपदा जननायक सैनिका हव हयायुध वाह विगहिताः।।    

इस वर्ष में रसेश गुरु बनता है जिसके परिणाम स्वरुप जनता को सुखों की प्राप्ति होगी और लोग साधन संपन्न बनेंगे। फल-फूल वाले वृक्ष अधिक पनपेंगे और समाज में विद्वानों का सम्मान बढ़ेगा। प्रकृति की अनुकंपा से वनस्पति की वृद्धि होगी और जल की स्थिति भी अनुकूल बनेगी। इसके अतिरिक्त जल के स्रोत बनेंगे। किसी-किसी स्थान पर पुलिस अथवा सेना के वाहनों की तैनाती विशेष रूप से की जा सकती है। जड़ी बूटियों की उत्पत्ति में वृद्धि होगी।

वर्ष का फलेश शनि

यदि शनिः फलपः फलहा भवेत् जनित पुष्पगणस्य दमः सदा।
हिमभयं वर तस्कर जन्तुभिः जनपदौ गदराशि महाकुलः।।

फलेश अर्थात फलों का स्वामी। इस वर्ष के लिए फलेश शनि होने के फलस्वरूप पुष्प दार पौधों का और फलों की खेती में कमी होने की संभावना रहेगी और संभव है कि पौधों पर फूल कम लगें। असमय हिमपात होने की स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त असामाजिक तत्व अधिक क्रियाशील होने से दूर घटनाएँ घटित हो सकती हैं और जटिल रोगों की उत्पत्ति हो सकती है। जनसंख्या का दबाव भी बढ़ सकता है।

वर्ष का धान्येश चंद्र

चन्द्रे धान्याधिपे जाते प्रजवृद्धिः प्रजायते।
गोधूमाः सर्षपाश्चैव गोषुक्षीरं तदाबाहुः।।

धान्येश चन्द्रमा होने के कारण वर्षा अच्छी होगी और इस उत्तम वर्षा के कारण जनता में उत्साह बढ़ेगा और उनकी उन्नति होगी। जनसंख्या की वृद्धि होने की संभावना रहेगी और शीत कालीन फसलों में विशेष वृद्धि होगी। दूध देने वाले पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी इसलिए दूध और दूध से बनने वाले पदार्थों की वृद्धि होगी। वर्षाकाल में आध्यात्मिक अनुष्ठान से वर्षा की स्थिति श्रेष्ठ होगी। पशुधन की सुरक्षा का लाभ मिलेगा। जनता के बीच पारस्परिक भाईचारे की भावना और आपसी सौहार्द में वृद्धि होगी। नदियों और जलाशयों का जल स्तर संतुलित रहेगा।

वर्ष का नीरसेश मंगल

नीरसेशो यदा भौमः प्रवाल रक्त वाससाम।
रक्त चन्दन ताम्राणां अर्घ वृद्धिर्दिने दिने।।

नीरसेश का अर्थ होता है धातुओं का स्वामी। इस वर्ष नीरसेश मंगल होने के कारण धातुओं के मूल्यों में अधिक वृद्धि होगी। लाल रंग के वस्त्र, हीरे जवाहरात, मूँगा, पुखराज, कीमती रत्न, तथा सोना, तांबा, पीतल आदि के दामों में भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है।

इस प्रकार हम निम्नलिखित आगामी घटनाओं के संकेत देख सकते हैं:

  • नव वर्ष में 10 विशेष अधिकारियों में से 8 पद क्रूर ग्रहों को प्राप्त हुए हैं और केवल 2 पद ही सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। इसके परिणाम स्वरूप इस वर्ष मिश्रित परिणामों की प्राप्ति होगी। क्रूर ग्रहों के अधिक प्रभावी होने के कारण समस्याएं अधिक हो सकती हैं केवल बृहस्पति और चंद्रमा के कारण बीच-बीच में कुछ अच्छी ख़बरें सुनने को मिल सकती हैं।
  • सबसे अधिक पदों पर शनि की उपस्थिति शनि को काफी प्रबल बनाएगी। शनि कर्म के प्रधान ग्रह हैं और न्याय दाता भी हैं, इसलिए इस वर्ष न्यायपालिका द्वारा कुछ सख्त निर्णय सुनाए जाएंगे जो जन मानस की भलाई के लिए होंगे।
  • राजा शनि और मंत्री सूर्य परस्पर शत्रु ग्रह होने के कारण संपूर्ण विश्व में अशांति का वातावरण पैदा हो सकता है और जनता तथा शासन के मध्य में विरोध, विद्रोह और संघर्ष की स्थिति का निर्माण हो सकता है।
  • देशों के उच्च पद आसीन व्यक्ति एक दूसरे के प्रति कटु शब्दों का प्रयोग करेंगे और उग्र रूप से एक दूसरे के प्रति बयान जारी करेंगे जिससे पारस्परिक प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ेगी और अस्थिरता की संभावना बनेगी।
  • वर्षा थोड़ी कम रहने की संभावना रहेगी जिसके कारण अनाज और धन्य महंगा होगा तथा वस्तुओं की कीमतों में भी वृद्धि होगी।
  • असामाजिक तत्वों द्वारा समाज में अशांति फैलाने का प्रयास किया जा सकता है और सांप्रदायिक सदभावना को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी हो सकता है।
  • सरकार द्वारा समाज हित में अनेक कठोर निर्णय लिए जा सकते हैं। फिर चाहे वह कानून व्यवस्था को लेकर हो अथवा कर व्यवस्था या प्रावधानों को लेकर।

इस सही विधि अनुसार अब विद्यारंभ संस्कार को घर में ही करें आयोजित!

हम आशा करते हैं कि हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा 2019 आपके लिए शुभ रहें। हम आपके मंगल भविष्य की भी कामना करते हैं।