क्या इस बार होगी हैप्पी दिवाली?

दिवाली भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में मनाया जाने वाला एक ऐसा त्यौहार है, जिसके लिए हर किसी के दिल में उत्साह रहता है और सभी इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं। यही वजह है कि चाहे कोई अमीर हो या गरीब, दीपावली पर दीए जलाना, मोमबत्ती जलाना, मिठाई बांटना और सभी तरह से अपनी खुशी को जताने के काम करने की कोशिश करता है। वास्तव में दिवाली का त्यौहार अंधेरे पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है और हमारे अंदर के अन्धकार को दूर कर हमें रोशनी का रास्ता दिखाता है।

सच्चे अर्थों में दिवाली हमारी आर्थिक स्थिति का आईना होती है क्योंकि हम अपनी स्थिति के अनुसार दिवाली मनाते हैं। केवल इतना ही नहीं, यदि ज्योतिष की बात की जाए तो मेदिनी ज्योतिष किसी व्यक्ति विशेष नहीं अपितु विभिन्न राज्यों, देशों और पूरे विश्व के लिए ग्रहों की स्थिति के अनुसार आने वाली घटनाओं का सूचक होती है। जिस प्रकार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नए वर्ष का शुभारंभ किया जाता है, उसी प्रकार कार्तिक अमावस्या अर्थात दिवाली के दिन ग्रहों की स्थिति के आधार पर आने वाले एक वर्ष की अवधि में देश और दुनिया की आर्थिक स्थिति पर नजर डाली जाती है और यह ज्ञात करने का प्रयास किया जाता है कि आने वाला वर्ष आर्थिक तौर पर किस तरह के परिणाम देने वाला होगा।

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दिवाली 2020 से जुडी कुछ ख़ास बातें 

इस बार दिवाली का त्यौहार 14 नवंबर 2020 शनिवार को मनाया जाएगा। इस बार लंबे समय अंतराल के बाद दीपावली का त्यौहार सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा, जो सभी प्रकार के कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला शुभ मुहूर्त माना गया है और इस दिन खरीदारी करना भी शुभ रहेगा। जब सूर्य और चंद्रमा एक अंश पर होते हैं तो अमावस्या मनाई जाती है। इस वर्ष दीपावली के अवसर पर सूर्य और चंद्र तुला राशि में समान अंशों पर युति करने के कारण कार्तिक अमावस्या होगी और लोग ख़ुशी के दिए जलाएंगे।

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क्या है दिवाली 2020 और शनिवार का कनेक्शन

इस बार दीपावली शनिवार को मनाई जाएगी। गौरतलब है कि जब अमावस्या तिथि संध्या काल में उपस्थित हो तभी दीपावली मनाई जाती है क्योंकि माता लक्ष्मी संध्या के उपरांत रात्रि में सभी के घरों में प्रवेश करती हैं। शनिवार की रात्रि को संध्या काल में सरसों के तेल के दीए पीपल वृक्ष के नीचे जलाए जाते हैं ताकि माता महालक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति हो सके और इस बार दीपावली शनिवार को ही मनाई जाएगी और उस दिन तेल के दीए भी जलाए जाएंगे। जाहिर है कि यह शनिवार एक खास शनिवार होगा और माता महालक्ष्मी की कृपा आप पर बरसेगी। इस दिन तेल के दिए जलाने से न केवल अन्धकार दूर होगा बल्कि स्वास्थ्य में सुधार के योग बनेंगे। 

दीपावली 2020 और ग्रहों की स्थिति 

इस वर्ष 2020 में दीपावली के दिन ग्रहों की एक विशेष स्थिति बहुत लंबे समय बाद निर्मित हो रही है। इस वर्ष दीपावली के दिन शनि देव अपनी राशि मकर में और बृहस्पति देव अपनी राशि धनु में स्थित रहेंगे जो कि देश और दुनिया के लिए बहुत अच्छी स्थिति हो सकती है। दिवाली 2020 के दिन की ग्रह स्थिति को नीचे दी गयी कुंडली में प्रदर्शित किया गया है:

यदि इस दिन के ग्रह नक्षत्रों पर ध्यान दिया जाए तो निम्नलिखित बातें पता चलती हैं:

  • धनु लग्न की कुंडली बनती है जिसमें लग्नेश बृहस्पति लग्न भाव में विराजमान हैं।
  • द्वितीय भाव में स्वराशि मकर के अधिपति शनिदेव स्थित हैं।
  • चतुर्थ भाव में मंगल देव वक्री अवस्था से बाहर निकलकर मार्गी अवस्था में चल रहे हैं।
  • छठे भाव में वृषभ राशि के राहु महाराज विद्यमान हैं।
  • दशम भाव में नीच राशि में स्थित शुक्र देव हैं जो वर्गोत्तम भी हैं।
  • एकादश भाव में नीच राशि का सूर्य चंद्रमा और बुध के साथ स्थित हैं।
  • द्वादश भाव में केतु महाराज वृश्चिक राशि में विराजमान हैं।

उपरोक्त दी गई कुंडली दीपावली के दिन की है और यह देश में आने वाले एक वर्ष के दौरान आर्थिक स्थिति के बारे में बताती है। इसी के आधार पर देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का भी लेखा-जोखा किया जा सकता है।

इस वर्ष दीपावली शनिवार के दिन पड़ रही है। शनि देव को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है और कुछ लोग एक दिन दीपावली का होना ज्यादा शुभ नहीं मानते लेकिन इस बार शनिदेव अपनी ही राशि मकर में विराजमान हैं और इसलिए यह जीवन में स्थिरता प्रदान करने में सफलता देंगे। धर्म की राशि धनु में धर्म और ज्ञान के देवता बृहस्पति देव विराजमान होंगे। यह भी एक उत्तम स्थिति है। 

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कुछ ऐसा होगा आने वाला साल

इस बार दीपावली के दिन शनिदेव अपनी राशि में स्थित होकर वर्तमान आर्थिक स्थिति से बाहर निकालने में सहायता प्रदान करेंगे। हालांकि शनि सबसे मंद गति में चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। इस कारण अभी कुछ समय देशवासियों को और धैर्य रखना होगा क्योंकि आर्थिक स्थिति को उबरने में थोड़ा समय जरूर लग सकता है लेकिन हम उबरेंगे अवश्य। शास्त्रानुसार कार्तिक अमावस्या शनिवार के दिन होने से खाद्यान्न के लिए नुकसानदायक होती है अर्थात कृषि संबंधित कार्यों की हानि हो सकती है। यही कारण है कि आने वाले समय में कृषि पदार्थों में तेजी देखने को मिलेगी।

कुंडली के द्वादश भाव में काल पुरुष की अष्टम भाव की राशि वृश्चिक में केतु की उपस्थिति होना छद्म युद्ध की ओर इशारा करता है जिससे यह ज्ञात होता है कि आने वाले समय में देशों के मध्य संघर्ष और युद्ध की स्थिति बन सकती है। बेशक युद्ध होने में समय लगेगा लेकिन तनाव चरम पर होगा। यही वजह है कि अधिकांश देश अपने धन का अधिकांश हिस्सा सैन्य गतिविधियों में खर्च कर सकते हैं जिससे आर्थिक संकट बढ़ सकता है लेकिन जून-जुलाई से स्थितियों में बदलाव आना शुरू हो जाएगा और आर्थिक चुनौतियां धीरे-धीरे करके समाप्त होने लगेंगी।

लग्न में लग्नेश बृहस्पति मजबूत स्थिति में हैं और वह पंचम, सप्तम और नवम भाव पर भी दृष्टि डाल रहे हैं जिससे देश में धार्मिकता की लहर रहेगी और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए न्यायालय द्वारा कुछ महत्वपूर्ण निर्णय दिए जा सकते हैं। यही बृहस्पति देव आर्थिक सुधारों की ओर इशारा कर रहे हैं।

दीपावली और शेयर मार्केट

शनिदेव की कृपा से गैस और तेल से संबंधित वस्तुओं के दामों में तेजी बनी रहेगी। इसके साथ साथ व्यापार के मुख्य कारक ग्रह बुध है, जो अपने मित्र शुक्र की राशि में एकादश भाव में सूर्य और चंद्रमा के साथ स्थित हैं। यह कम्युनिकेशन के कारक भी हैं, जिसकी वजह से कम्युनिकेशन के साधनों में नई क्रांति देखने को मिल सकती है और सरकार द्वारा कम्युनिकेशन सेक्टर को संकट से बाहर निकालने के लिए कुछ नई घोषणाएं की जा सकती है। हालांकि बुध ग्रह पर मंगल और शनि देव की दृष्टि होने के कारण शेयर बाजार में बिकवाली पर जोर ज्यादा रह सकता है। यदि धातु की बात की जाए तो सर्राफा बाजार में कुछ मंदी के तुरंत बाद तेजी दिखाई दे सकती है।

चतुर्थ भाव में उपस्थित मंगल देवता इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर में अब तेजी आने की संभावना बन रही है। लोगों का रुझान भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ेगा और उससे प्रॉपर्टी के दाम बढ़ सकते हैं।

दशम भाव में शुक्र देव की उपस्थिति है जो कि वर्गोत्तम भी हैं। इस से यह ज्ञात होता है कि महिलाओं के लिए यह दिवाली अच्छी सूचना लेकर आएगी और इस वर्ष महिलाओं का बोलबाला रहेगा और सरकार के द्वारा भी महिलाओं को विशेष दर्जा या कोई खास सहूलियत दी जा सकती है लेकिन इसके विपरीत, मंगल की दृष्टि शुक्र पर होने के कारण महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार में भी वृद्धि हो सकती है।

यदि कार्तिक अमावस्या की कुंडली के साथ-साथ हम स्वतंत्र भारत की कुंडली का भी अवलोकन करें तो हम देखेंगे कि वहां चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा जुलाई 2021 के मध्य तक प्रभावी रहेगी, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था में हल्की सुस्ती बनी रहेगी और धीरे धीरे धीरे सुधार दृष्टिगोचर होंगे लेकिन जुलाई के बाद से जब बुध की अंतर्दशा आएगी तो बैंकिंग सेक्टर में उछाल देखने को मिलेगा और सरकार की कुछ नीतियों के कारण कर प्रणाली में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। इस समय से देश की आर्थिक व्यवस्था तेजी से ऊपर की ओर जाने लगेगी और हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि वर्ष 2021 का उत्तरार्ध आर्थिक तौर पर हमारे देश के लिए सुनहरा समय लेकर आ सकता है। 

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! हमारी ओर से आप और आपके परिवार को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!!