साल 2020 में गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2 जनवरी को मनाई जाएगी। सिख धर्म के साथ-साथ हिंदु धर्म को मानने वाले लोग भी इस दिन को बहुत अहम मानते हैं। गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें और आखिरी गुरु थे। गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मोत्सव दिसंबर या जनवरी के महीने में आता है।
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म गुरु तेग बहादुर जी के घर में हुआ था। इनकी माता का नाम गुजरी देवी था। गुरु तेगबहादुर सिख धर्म के नौवें गुरु थे। गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में हुआ था, और यहां उन्होंने लगभग 4 साल बिताए थे। पटना में जिस घर में उनका जन्म हुआ था ‘तखत श्री पटना साहिब’ आज उसी जगह पर स्थित है। जिस समय गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था उस समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश देने को गये थे।
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गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातें
गुरु गोविंद सिंह के पिता ने इस्लामिक धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया था, और इसीलिये उनकी हत्या कर दी गई थी। सिख धर्म को मानने वाले लोग आज भी गुरु गोविंद सिंह के पिता को एक ऐसे योद्धा के रुप में याद करते हैं, जिन्होंने धार्मिक आस्था के लिये खुशी-खुशी अपनी जान तक दे दी। अपने पिता के हत्यारों को सबक सिखाने के लिये गोबिंद सिंह जी ने अपने दम पर योद्धाओं की सेना तैयार की थी। गुरु गोबिंद सिंह ने अपने सैनिकों को धार्मिक जीवन जीने का संदेश दिया था और कहा था कि, अपने धर्म के प्रति समर्पित रहेंं। अपनी खालसा सेना को उन्होंने धार्मिक और राजनीतिक आजादी पाने के लिये संदेश दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी चाहते थे कि उनके योद्धा मुगल शासकों के खिलाफ खड़े हों और उनके अत्याचारों के खिलाफ लड़ें।
भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में सिख धर्म में मानने वाले लोग गुरु गोविंद सिंह की जयंती के दिन, उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद करते हैं। गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं से लोगों को यह संदेश मिलता है कि. हम दूसरों की उन्नति की कामना करें और अपने धर्म का पालन करें। इस दिन गुरुद्वारों में गोबिंद सिंह जी की कविताओं को सुना जाता है। गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन में जो उपलब्धियां प्राप्त की थीं उन्हें हर व्यक्ति तक पहुंचाने की इस दिन कोशिश की जाती है। इस दिन लोगों द्वारा भोजन भी वितरित किया जाता है और हर जाति वर्ग के लोग इस भोजन का सेवन करते हैं।
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खालसा पंथ
सिख धर्म के आखिरी धर्म गुरु श्री गोबिंद सिंह जी नेे सिख धर्म में कई सकारात्मक परिवर्तन किये। गोबिंद सिंह जी द्वारा खालसा की स्थापना की गई, खालसा सिख धर्म के उन अनुयायियों के समुह को कहा गया जिन्होंने सिख धर्म की विधिवत दीक्षा प्राप्त की थी। गोबिंद सिंह जी ने सिख समुदाय की एक सभा में खालसा पंथ का निर्माण किया था। उन्होंने सिख धर्म को पांच ककारों के महत्व को समझाया। यह पांच ककार थे- केश, कड़ा, कंघा, किरपान, कच्चेरा। सिख धर्म को मानने वाले लोग आज भी गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं पर अमल करते हैं और उनकी शिक्षाओं के द्वारा अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।