आज यानी 18 फरवरी 2021 गुरुवार के दिन गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2021) की सप्तमी तिथि है। इस दिन मां धूमवती की पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है। मान्यता है कि, मां धूमवती की पूजा अर्चना करने से संतान और पति की रक्षा होती है। इसके अलावा सही विधि विधान से पूजा करने पर माता धूमवती अपने भक्तों को सभी तरह के कष्टों और पापों से मुक्त कर देती हैं।
माँ धूमवती के स्वरूप की बात करें तो, माता धूमवती की विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं। ऐसे में सुहागिन महिलाओं को माता की पूजा नहीं करने की सलाह दी जाती है। बल्कि सुहागिन महिलाएं केवल दूर से ही माता के दर्शन करती हैं और आपकी मनोकामना पूर्ति के लिए माता से प्रार्थना करती हैं। धूमवती माता मां पार्वती का एक अत्यंत ही उग्र स्वरूप मानी जाती हैं।
माता धूमवती का वाहन कौवा होता है। इसके अलावा माता ने श्वेत रंग के वस्त्र धारण किए हैं और मां धूमावती के बाल खुले हुए होते हैं।
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माँ धूमवती की पूजन विधि (Maa Dhumavati Puja Vidhi)
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, मां धूमवती सभी दस महाविद्याओं में अंतिम विद्या होती हैं। इसके अलावा विशेष तौर पर गुप्त नवरात्रि के दौरान मां धूमवती की पूजा की जाती है।
- आज यानी मां धूमवती की पूजा वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जायें।
- उसके बाद पूजा वाली जगह को गंगा जल से पवित्र करके सुगंधित फूल, सिंदूर, धूप, दीप, फल इत्यादि अर्पित करके माता का पूजन करें।
- इस पूजा के बाद मां धूमवती की कथा अवश्य सुननी या पढ़नी चाहिए।
- इसके अलावा आप इस दिन की पूजा में मां धूमवती से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना अवश्य करें।
- कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति सच्चे मन और विधि विधान से मां धूमवती की प्रार्थना करता है उसके सभी पाप और कष्ट दूर होते हैं और साथ ही ऐसे व्यक्ति की सभी मनोवांछित इच्छाएं अवश्य पूरी होती हैं।
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माँ धूमवती मंत्र (Maa Dhumavati Puja Mantra)
माँ धूमवती की पूजा में इन मन्त्रों को अवश्य शामिल करें।
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।।
धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।
इस दिन की पूजा में रुद्राक्ष की माला से 108 बार, 21 या 51 बार अपने सामर्थ्य अनुसार स्पष्ट उच्चारण पूर्वक इन मन्त्रों का जाप करना बेहद फलदायी होता है।
माँ धूमवती से संबंधित कथा (Maa Dhumavati Katha)
माँ धूमवती कैसे प्रकट हुई इस संदर्भ में अलग-अलग कहानियां मिलती है। ऐसी एक कथा के अनुसार बताया जाता है कि,
“जब माता सती अपने पिता के यज्ञ में अपनी मर्ज़ी से जल-कर भस्म हो गई थी तो उनके शरीर से जो धुआँ निकला उसी से माँ धूमवती का जन्म हुआ था। कहा जाता है यही वजह है जिसके चलते माँ धूमवती हमेशा उदास रहती हैं। माँ धूमवती सती माता के धुएँ के रूप में भौतिक स्वरूप मानी गयी हैं।”
इसके अलावा माँ धूमवती के प्राकट्य की जो दूसरी कहानी है उसके अनुसार कहा जाता है कि,
“एक बार माता सती भगवान शिव के साथ हिमालय पर्वत पर घूम रही थीं। इसी दौरान उन्हें जोर की भूख लगी। ऐसे में मां सती ने भगवान शिव से कहा कि, मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है। कृपया मेरे लिए पूजन का प्रबंध करिए। ऐसे में भगवान शिव ने कहा कि, यहां भोजन का प्रबंध नहीं हो सकता।
हालांकि माता सती को भूख बहुत ज्यादा लगी थी ऐसे में उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया। जिसके बाद भगवान से माता सती से अनुरोध किया कि, मुझे कृपया करके बाहर निकालो। तब माता सती ने उन्हें बाहर उगल दिया। बाहर निकलने के बाद भगवान शिव ने उन्हें श्राप दे दिया कि, अब आज से तुम विधवा स्वरूप में रहोगी। माना जाता है कि, तभी से माँ धूमवती का स्वरूप विधवा है।”
हिंदू धर्म के पुराणों में अभिशप्त, भूख लगना, और पति को निगल जाना यह सब इंसान की कामनाओं का प्रतीक माने जाते हैं जो कभी भी खत्म नहीं होते हैं और ऐसे में इंसान जीवन भर असंतुष्ट रहता है। माँ धूमवती उन कभी न खत्म होने वाली कामनाओं को नष्ट करने की ओर इशारा करती हैं।
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